ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत का मुस्लिम सांसदों और विधायकों को साथ लाने पर जोर

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 24-09-2024
All India Muslim Majlis Mushawarat's emphasis on bringing together Muslim MPs and MLAs
All India Muslim Majlis Mushawarat's emphasis on bringing together Muslim MPs and MLAs

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिए ए  मुशावरत  के अध्यक्ष एडवोकेट फिरोज अहमद ने मुस्लिम सांसदों और विधायकों को साथ लाने पर जोर दिया है.मुशावरत ए आमला और जनरल बॉडी की आम सभा की संयुक्त बैठक के दौरान अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने यह बातें कहीं कही.
 
उन्होंने कहा कि मुशावरत अपनी प्रांतीय इकाइयों को मजबूत करेगी और इस वर्ष कम से कम 20 राज्यों में परिषद को सक्रिय किया जाएगा.

मुस्लिम सांसदों और विधायकों के बीच संबंध बढ़ाने पर जोर
 
मुशावत के सदस्य और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने इस मौके पर कहा कि मशावरत एक ऐतिहासिक संगठन है. उसकी प्रतिष्ठा जरूरी है. उन्होंने मुशावरत के सदस्यों को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आप इसकी विश्वसनीयता बहाल करें, न लोगों की कमी होगी और न ही संसाधनों की. 

विधानसभा और संसद के मुस्लिम सदस्यों के बीच आपसी संबंध बढ़ाने की जरूरत है. इस पर विचार-विमर्श से काम होना चाहिए ताकि विधानसभा और संसद के हर सत्र से पहले कम से कम संसद और विधानसभा के मुस्लिम सदस्य एक साथ बैठें.

मुशावरत के सदस्य और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक और सामाजिक नेता अख्तर हुसैन अख्तर ने कहा कि मुशावरत को मुसलमानों के लिए अवकाफ़ और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर दिशानिर्देश जारी करने चाहिए. इस काम के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए.


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मीडिया मॉनिटरिंग सेल और एक डेटा सेंटर स्थापित किए जाएंगे

इससे पहले मुशावरत के महासचिव मीडिया ने मुशावरत की पिछली कार्यवाही पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें मुशावरत के प्रदर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला गया. जोर दिया गया कि मीडिया मॉनिटरिंग सेल और एक डेटा सेंटर स्थापित किया जाना है. 

 रिपोर्ट में, मुशावरत ने बताया कि जल्द ही राष्ट्र के मुद्दों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया जाएगा और इस रिपोर्ट में उल्लेखित प्रत्येक वर्ष 4 नवंबर, 2024 को सैयद शहाबुद्दीन मेमोरियल व्याख्यान किया जाएगा.मुशावरत ने बताया कि  रेफरेंस लाइब्रेरी के लिए दो वर्षों में पचास हजार रुपये से अधिक मूल्य की किताबें खरीदी गई हैं.

मीडिया के बजट बढ़ाने का प्रस्ताव
 
मालूम हो कि मुशावरत बिल्डिंग में एक अलग रुम है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए आरक्षित है. मुशावरत के महासचिव वित्त अहमद रजा ने पिछले वर्ष की आय-व्यय की गणना और वर्तमान का बजट प्रस्तुत किया और वर्ष 2024-25 का बजट पेश किया. बैंगलोर (कर्नाटक) से  मशावरत के सदस्य डी. हैदर वली ने मुशावरत के बजट में प्रशासन और मीडिया बजट को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई.

भीड़ हिंसा और मुस्लिम विरोधी राजनीति

बैठक के दूसरे सेशन में, कैंसर शमीम ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 पर प्रस्ताव पेश किया. पूर्व सांसद अजीज पाशा और अन्य सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया. भीड़ हिंसा के विषय पर चर्चा में भाग लेने वालों में खुर्शीद हसन रूमी, मंजूर अहमद और वकील एजाज मकबूल और पूर्व सांसद कंवर दानिश अपनी बातें रखी.

अली, नवेद हामिद, तस्लीम रहमानी, शाहिद सिद्दीकी और अन्य सदस्यों ने भी भाग लिया. इसी तरह, मंजूर अहमद, खुर्शीद हसन रूमी, अख्तर हुसैन अख्तर और अन्य सदस्यों ने भीड़ हिंसा और मुस्लिम विरोधी राजनीति पर प्रस्ताव पेश किया और नवेद हामिद ने सीबीएसई के द्वारा उर्दू छात्रों को उदू भाषा में कॉपी लिखने पर रोक पर विरोध दर्ज कराया. उन्होंने कहा कि सीबीएसई के फैसले से एक लाख से अधिक छात्र और छात्राओं का भविष्य खतरे में है.

सामाजिक ताने-बाने के खतरों पर चिंता 

डॉ. जावेद आलम खान ने मुस्लिम आर्थिक नीति प्रस्तुत की. जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार का अल्पसंख्यक कल्याण बजट घटकर 0.6 प्रतिशत रह गया है. असम, मणिपुर और उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर अलग-अलग प्रस्ताव पेश किए गए, जिसमें हिंसा और सांप्रदायिक राजनीति की बढ़ती प्रवृत्ति की निंदा की गई और सामाजिक ताने-बाने के खतरों पर चिंता व्यक्त की गई. सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गये.

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देशभर के कोने-कोने से पहुंचे सदस्य 

इससे पहले संयुक्त बैठक की शुरुआत मजलिस-ए-आमला के वरिष्ठ सदस्य सैयद मंसूर आगा द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई और उन लोगों के लिए शोक पेश किया गया जो पिछले एक साल में हमारे बीच से गुजर गए हैं.

बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र और कर्नाटक सहित देश भर से लगभग 40 सदस्यों और कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया और देश के ज्वलंत मुद्दों पर प्रस्तुत प्रस्तावों पर चर्चा में भाग लिया.

मौके विचार रखने वालों के अलावा मोहम्मद आकिफ़, परिषद के सदस्य, मोहम्मद अहमद मोमिन (औरंगाबाद), डॉ. एमएन हक (कोलकाता), डॉ. इदरीस क़ुरैशी (दिल्ली), अख्तर हुसैन अख्तर (कानपुर), इंजीनियर सिकंदर हयात, मुहम्मद इमरान अंसारी, अनवर अहमद, हाफिज जावेद (दिल्ली), मंजर जमील (कोलकाता), अबरार अहमद, आईएएस (सेवानिवृत्त), एम सलीम कासमी (मुरादाबाद), अब्दुल खालिक, आसिफ अंसारी मौजूद थे.