आवाज द वाॅयस/अजमेर/कश्मीर
22 अप्रैल को कश्मीर के खूबसूरत बैसरन घास के मैदान में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस दर्दनाक घटना में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए. इस भयावह हमले के बाद दरगाह अजमेर शरीफ के प्रमुख हस्ती, हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने एक मार्मिक संदेश जारी करते हुए आतंकवाद के इस नृशंस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की है.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने अपने संदेश में कहा,"यह क्रूर कृत्य मानवता और जीवन की पवित्रता का अपमान है. आतंकवाद शांति और सद्भाव को नष्ट करने का प्रयास करता है, लेकिन हमें इसे हर कीमत पर असफल करना होगा."
उन्होंने कहा कि बैसरन के शांत वातावरण को इस जघन्य हमले ने रक्तरंजित कर दिया, जिसमें निर्दोष पर्यटक और अधिकारी निशाना बने. यह त्रासदी न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे भारत के लिए एक गहरी पीड़ा लेकर आई है.
दरगाह अजमेर शरीफ के प्रतिनिधि ने अपने संदेश में शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा,"हमारे विचार और प्रार्थनाएँ उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने इस हमले में अपने प्रियजनों को खो दिया.
हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने और सभी पीड़ितों के लिए शक्ति और सांत्वना की प्रार्थना करते हैं."
संदेश में आगे कहा गया कि आतंकवाद के ऐसे अमानवीय हमलों के बावजूद, हमें शांति, करुणा और लचीलेपन के मूल्यों को बनाए रखना चाहिए.हाजी सलमान चिश्ती ने अपील की,"आइए हम इस कठिन घड़ी में भी शांति और सहिष्णुता के पथ पर अडिग रहें. एकजुटता और भाईचारे की भावना से ही हम आतंकवाद को परास्त कर सकते हैं,"
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आतंकवाद किसी धर्म, जाति या संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करता. दरगाह अजमेर शरीफ, जो सैकड़ों वर्षों से प्रेम, भाईचारा और सार्वभौमिक मानवता का प्रतीक रही है, इस अवसर पर भी शांति का संदेश फैलाने के अपने संकल्प को दोहराती है.
अंत में, हाजी सलमान चिश्ती ने दिवंगत आत्माओं की शांति और पीछे छूटे परिवारों के धैर्य के लिए प्रार्थना करते हुए कहा,"ईश्वर इस त्रासदी में मारे गए निर्दोषों को शाश्वत शांति प्रदान करें और उनके परिवारों को इस दुख की घड़ी में धैर्य और शक्ति दे. हम सभी से अपील करते हैं कि हम नफरत की ताकतों के सामने प्रेम और एकता की मशाल जलाए रखें."
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ऐसी घटनाओं के मद्देनजर दरगाह अजमेर शरीफ की ओर से भविष्य में भी शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियानों और विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाएगा.