फरहान इसराइली/जयपुर
अगर आपको ब्लड की जरूरत हैं और आप परेशान हो रहे है, तो घबराने की बात नहीं.रक्त के लिए किसी भी मरीज की जान अब नहीं जाएंगी.राजधानी जयपुर के दो युवा आगे आकर रक्त दान कर लोगों की जान बचाने का जिम्मा उठा रहे है.ये ऐसे रक्तवीर हैं जो समाज सेवा में लगे है.
आवाज द वाॅयस ने राजधानी जयपुर के दोनो युवाओं से चर्चा की उनसे पूछा की रक्त से जुड़ी गलतफहमियों में लोग अभी भी शामिल हैं?युवाओं ने काफी जानकारी दी। ऐसे युवा अब रक्त के लिए किसी को परेशानी नहीं होने देते.आइए आपको इसके बारे में बताते है.
इसमें एकहैं जयपुर के रामगढ़ मोड़ निवासी 42 वर्षीय अबरार अहमद.अबरार 70 बार रक्तदान एव 21 बार सिंगल ड़ोनर प्लेटलेट (एसडीपी) दान कर चुके हैं.अबरार पिछले 23 वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं.रक्तदान की शुरुआत को लेकर वे बताते हैं कि जब 18साल के हुए तब उनके सभी दोस्तों ने सामाजिक कार्य करने के लिए एक ग्रुप शुरू किया था.
तब एक बार उनके दोस्त के पिता को खून की जरूरत पड़ी तब उन्होंने पहली बार रक्तदान किया था.तब से वह लगातार बिना थके निरंतर रक्तदान और एसडीपी दान कर रहे हैं. लगातार रक्तदान शिविर एवं नशा मुक्ति शिविरों का आयोजन भी करते हैं.
अबरार बताते हैं, “रक्तदान और एसडीपी दान करने से उनके मन को तसल्ली मिलती है.वे जगह-जगह कैंप लगा कर 15000 से अधिक लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित कर चुके हैं.समय-समय पर ब्लड डोनेशन एवं नशा मुक्ति शिविर भी लगाते हैं और दूसरों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं.”
अबरार वर्ष 2000 से रक्तदान एव एसडीपी डोनेट कर रहे हैं.रक्तवीर समाजसेवी अबरार आवाज द वाॅयस को बताते है कि लोगों की खिदमत करना मेरा मकसद है.मरते दम सेवा करता रहूँगा.बोले, “मेरे पास किसी भी समय किसी भी शख्स का फोन रक्त या एसडीपी के लिए आता है तो मैं तुरंत संज्ञान लेता हूं.आवश्यकतानुसार सुविधा प्रदान कर खुशी महसूस करता हूं.
दूसरे रक्तवीर हैं जयपुर के ही गंगापोल निवासी यामीन रंगरेज,जो कि 40 साल की उम्र में 72 बार रक्त, व 22 बार सिंगल डोनर प्लेटलेट (एसडीपी) दान कर चुके हैं.यामीन बताते हैं कि 23 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार रक्तदान शिविर में रक्तदान किया था.तब से वे लगातार रक्त व इसके घटक डोनेट (दान) कर लोगों की जिंदगी बचाने की मुहिम में जुटे हुए हैं.
वे लगातार रक्तदान शिविरों का आयोजन भी करते हैं.वे रंगरेज सामाजिक सेवा समिति, नशा मुक्ति जागरूकता जैसे कई संगठनों से जुड़े हैं.यामीन को रक्तदान के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है.उनका कहना है कि रक्तदान और सिंगल डोनर प्लेटलेट (एसडीपी) दान करते रहने से उनके मन को तसल्ली मिलती है कि एक तो नेक काम किया.
यामीन विभिन्न संगठन से जुड़कर जगह-जगह कैंप लगाकर 15 हजार से अधिक लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित कर चुकेहैं.वे समय समय पर ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाते रहते हैं.दूसरों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करते हैं.पिछले 15 वर्षों से लगातार जयपुर के एसएमएस अस्पताल में सुबह 9.00 से 11.00 तक लोगों की सहायता करने के लिए अस्पताल में मौजूद रहते हैं.