आज के खुदाई खिदमतगार फैसल खान: नवरात्र करने वाली आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं में बांट रहे हैं ‘व्रत किट’
मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से सटे गफ्फार मंजिल इलाके की एक बिल्डिंग में इनदिनों खासा गहमागहमी है. दरअसल, खुदाई खिदमतगार नामक एक गैर सरकारी संगठन चलाने वाले फैसल खान आज कल अपने कार्यकर्ताओं के साथ ‘व्रत किट’ तैयार करने और उसके वितरण में व्यस्त हैं. आवाज द वाॅयस से बातचीत में कहते हैं-‘‘ जिस इलाके से ‘व्रत किट’ की डिमांड आती है, हमारे कार्यकर्ता वहां तक तुरंत पहुंचाने की व्यवस्था करते हैं.’’
फैसल खान और उनकी टीम कोई पहली बार ऐसा नहीं कर रही है. उन्होंने फोन पर बताया,‘‘ यह न समझना कि मौजूदा सरकार (उनका इशारा मोदी गवर्नमेंट को लेकर था) को खुश करने के लिए कोई पहली बार यह कर रहा हूं. यह काम पिछले तीन-चार वर्षों से चल रहा है.’’
हर नवरात्रि में ऐसे कितने और कितने के बीच ‘व्रत किट’ बांटे जाते हैं ? इस सवाल पर फैसल बोले-इसका हमने कभी हिसाब नहीं रखा. इस बार भी ऐसा ही है. डिमांड के अनुसार किट तैयार होता है और उसे तुरंत बांट दिया जाता है. चूंकि ‘व्रत किट’ में फल-फ्रूट भी होते हैं, इसलिए इसे बहुत दिनों तक अपने पास नहीं रख सकते. खराब हो जाएगा.’’
फल के अलावा ‘व्रत किट’ में वह तमाम सामग्री होती है, जिसे नवरात्रि में व्रत रखने वाले खाते हैं. मसलन, साबूदाना, मूंगफली, मखाना, आलू चिप्स और दूसरे जरूरी सामान. इन सामानों की बाजाब्ता एक अच्छी पैकिंग तैयार की जाती है. इनदिनों इन सामानों की पैकिंग में खुदाई खिदमतगार के कार्यकर्ता के अलावा फैसल खान के परिजन भी लगे हुए हैं.
व्रत किट तैयार करते फैसल और खुदाई खिदमतगार के कार्यकर्ता
कहां हो रहा है ‘व्रत किट’ का वितरण
‘व्रत किट’ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के करीब के इलाकों जसोला, ओखला और तैमूर नगर में बांटा जाता है. फैसल खान बताते हैं, ‘ऐसा नहीं है कि नाम कमाने के लिए कहीं भी भीड़ लगा कर व्रत सामग्री बांट दी जाती है.
घरों मंे काम करने वालियों, निर्माण कार्य और दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाओं में इनका वितरण होता है. इनमें से अधिकांश वो महिलाएं होती हैं जिन्हें हमारे कार्यकर्ता या हमारे जानने वाले पहचानते हैं. यानी उन्ही व्रती महिलाओं को ‘व्रत किट’ दिया जाता है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और इसकी जानकारी हम लोगों को है.
फैसल खान बताते हैं कि वह रमजान के दिनों में गरीबों में ‘रमजान किट’ भी बांटते हैं. यह सिलसिला कई वर्षों से चला आ रहा है. वहां से ‘व्रतियों में किट’ बांटने का विचार आया. आने वाले समय में इसका दायरा और बढ़ेगा.
वर्षों में धार्मिक सद्भाव के लिए कर रहे हैं काम
फैसल खान के अनुसार, ऐसे कार्यों के पीछे उनका उद्देश्य है समाज में सौहार्द का माहौल बनाना. हम सबको सभी धर्मों के लोगों के सुख-दुख में शामिल होना चाहिए. इससे सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारा बढ़ेगा.
इसी उद्देश्य से उन्हांेने 2011 में खुदाई खिदमतगार नामक एनजीओ की स्थापना की थी. वह कहते हैं, अपने बैनर तले वह जहां कुंभ मेले में व्यवस्था में सहयोग के लिए अपना प्रतिनिधिमंडल भेजते हैं, वहीं सभी धर्मावलंबियों तक हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब का संदेश पहुंचाने के लिए ईद-मिलादुन नबी पर सर्वधर्म सम्मेलन भी आयोजित करते हैं.
कुछ और बातें फैसल खान के बारे में
तकरीबन 50 साल के फैसल खान उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के रहने वाले हैं. इस वक्त दिल्ली के जामिया नगर इलाके में रहते हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करना शुरू कर दिया.
फैसल खान और उनके साथी खुदाई खिदमतगार’ नाम की संस्था के साथ जुड़े हुए हैं. खुदाई खिदमतगार दिल्ली की एक गैर-सरकारी संस्था है जो शांति, भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करती है.
इसके अलावा साल 2015 में उन्होंने गफ्फार मंजिल इलाके में ‘सबका घर’ नाम का एक घर भी बनवाया था. जिसमें सभी धर्मों के लोग रहते हैं. वे अपने-अपने धर्मों के मुताबिक इबादत भी करते हैं
मथुरा में मंदिर का दौरा करते फैसल खान
मंदिर में नमाज पढ़कर विवादों में घिर चुके हैं फैसल खान
2 नवंबर 20 में नंद बाबा में कथित तौर पर अनुमति के बिना नमाज अदा करने के आरोप में उनके और तीन अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. फिर वे उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिए गए थे.
तब राष्ट्रीय नेतृत्व परिषद के सदस्य और खुदाई खिदमतगार के प्रवक्ता पवन यादव ने बताया था, उन्हें 2 नवंबर की शाम लगभग 4ः00 बजे गिरफ्तार किया गया और जामिया नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया गया.
एफआईआर, जो 1 नवंबर को मथुरा के बरसाना पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, उसमें फैसल खान, चांद मोहम्मद, आलोक रतन और नीलेश गुप्ता के नाम दर्ज थे.उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना) और 505 (सार्वजनिक शरारत) के तहत आरोप लगाए गए थे.
हालांकि, इस बारे में खुदाई खिदमतगार के सदस्य का कहना था कि 24 से 29 अक्टूबर 20 तक सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में यात्रा पर थे. इस दौरान कई मंदिरों का दौरा किया.
मंदिर परिसर में जब वह नमाज अदा कर रहे थे तो उनके साथ आए लोगों ने उनकी फोटो खींची और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी, जो वायरल हो गई. इस बारे में यादव कहते हैं कि “उन्होंने बिना अनुमति के कुछ भी नहीं किया.
सोशल मीडिया पर चुनिंदा तस्वीरें शेयर की गईं. जब वे प्रार्थना कर रहे थे तो मंदिर में मौजूद लोग उनके ठीक पीछे थे. कोई भी कुछ नहीं छिपा रहा था. न ही मंदिर में किसी को कोई समस्या थी.
वे इलाके के सभी मंदिरों में जा रहे थे. जब वे नंद बाबा मंदिर पहुंचे तो उन्होंने पुजारियों और अन्य लोगों से बात की, स्वयं दर्शन किए और प्रसाद भी प्राप्त किया. नमाज का समय हो गया था इसलिए चार में से दो लोग जाने लगे थे जबकि बाकी दो मंदिर में ही रुके हुए थे.
जब वे जाने लगे, तो मंदिर के लोगों ने उन्हें रोका और कहा कि चूंकि मंदिर देवताओं का घर है, इसलिए वे यहां अपनी नमाज अदा कर सकते हैं. इसलिए वे मंदिर से तीन सीढ़ियां नीचे आए और वहां नमाज पढ़ी.