बासित जरगर /श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
ज़बरवान पहाड़ियों की गोद में बसा बादामवारी गार्डन फिर एक बार वसंत और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बन गया, जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पारंपरिक ‘बादाम ब्लॉसम फेस्टिवल 2025’ का विधिवत उद्घाटन किया.
इस रंगारंग समारोह ने न केवल कश्मीर के सांस्कृतिक गौरव को फिर से जीवंत किया, बल्कि स्थायी पर्यटन को प्रोत्साहित करने के सरकार के दृष्टिकोण को भी मजबूती दी.
कश्मीर में वसंत ऋतु के आगमन को चिह्नित करने वाला यह अनूठा उत्सव प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक परंपरा और लोक कलाओं का संगम है. बादाम के पेड़ों के गुलाबी और सफेद फूलों से ढका बादामवारी गार्डन इस समय एक स्वप्निल दृश्य प्रस्तुत कर रहा है, जिसे देखने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से पर्यटक खिंचे चले आए.
यह त्योहार कश्मीर की कृषि विरासत में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. सदियों से बादाम के पेड़ों का खिलना खेती-किसानी के नए चक्र की शुरुआत का प्रतीक रहा है.
संस्कृति, संगीत और शिल्प की झलक
इस वर्ष के उत्सव की खास बात रही घाटी के कुछ बेहतरीन कलाकारों द्वारा प्रस्तुत जीवंत संगीत कार्यक्रम, जिसमें नूर मोहम्मद, अयान सज्जाद, इरफान बिलाल और जैद सिकंदर जैसे लोकप्रिय कलाकारों ने पारंपरिक कश्मीरी लोक गीतों और समकालीन धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
वहीं दूसरी ओर, स्थानीय कारीगरों द्वारा लगाए गए स्टॉलों में कश्मीरी हस्तशिल्प, पश्मीना शॉल, लकड़ी की नक्काशी, और पारंपरिक आभूषणों का प्रदर्शन किया गया — जिसने पर्यटकों को कश्मीर की शिल्पकला से रूबरू कराया.
बादाम के फूल: आशा और पुनरुत्थान का प्रतीक
कश्मीर में बादाम के फूलों को केवल एक सुंदर दृश्य नहीं, बल्कि लंबी और कठोर सर्दियों के बाद आशा और नवीनीकरण का प्रतीक माना जाता है. फूलों की यह बहार किसानों और बागवानों के लिए नई उम्मीदों और फसल के मौसम की शुरुआत का संदेश लेकर आती है.
बादामवारी में आने वाले पर्यटक न सिर्फ बादाम के फूलों की छटा देखते हैं, बल्कि चेरी ब्लॉसम, सेब के बगीचे और अन्य वसंतकालीन फूलों का भी आनंद लेते हैं, जो इस गार्डन को एक जीवंत पुष्प संग्रहालय में बदल देते हैं.
संधारणीय पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि इस तरह के आयोजन कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान और प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हैं.हम चाहते हैं कि कश्मीर की सुंदरता का अनुभव दुनिया करे, लेकिन इसके साथ ही हमें अपने पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय समुदायों की भी रक्षा करनी है.
संधारणीय पर्यटन को केंद्र में रखकर आयोजित किए जा रहे ऐसे त्योहार घाटी में पर्यावरण के प्रति जागरूक पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं, जो स्थानीय संस्कृति को सम्मान देने के साथ-साथ संरक्षण को प्राथमिकता देते हैं.
कश्मीर के सांस्कृतिक परिदृश्य का पुनर्जागरण
बादाम खिलने का त्योहार अब सिर्फ एक मौसमी आयोजन नहीं, बल्कि कश्मीर की आत्मा का उत्सव बन चुका है.यह त्योहार लचीलापन, सांस्कृतिक एकता और कश्मीरी पहचान का प्रतीक है, जो हर साल घाटी में सकारात्मकता और रचनात्मकता का संदेश लेकर आता है.
एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव: पर्यटन का नया आयाम
इस सप्ताहांत तक चलने वाला यह उत्सव घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है, जो वसंत ऋतु में कश्मीर की खूबसूरती को करीब से देखने के लिए उत्सुक हैं. यह न केवल स्थानीय पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करता है, बल्कि कश्मीरी विरासत को वैश्विक मंच पर पेश करने का माध्यम भी बन रहा है.