प्रेम, एकता और आत्मचिंतन का संगम: इंटरनेशनल अफेयर्स यूथ समिट 2025

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 12-04-2025
A confluence of love, unity and introspection: International Affairs Youth Summit 2025
A confluence of love, unity and introspection: International Affairs Youth Summit 2025

 

आवाज द वाॅयस / सोनीपत  हरियाणा)

 

11 अप्रैल 2025, एक ऐसा दिन जब ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी का कैंपस सिर्फ़ एक शैक्षणिक परिसर नहीं था, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा, वैश्विक मित्रता और इंसानी करुणा से भरपूर तीर्थ बन गया था.

जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स द्वारा आयोजित इंटरनेशनल अफेयर्स यूथ समिट 2025 का भव्य समापन एक ऐसे सत्र के साथ हुआ जिसने न केवल युवाओं के मन को छुआ, बल्कि उनकी आत्मा को भी झंकृत कर दिया.

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"नफरत पर विजय और दोस्ती के पुल बनाना" — एक विषय, जो आज की ज़रूरत है

इस वर्ष का विषय अत्यंत सामयिक और विचारोत्तेजक था — "नफरत पर विजय और दोस्ती के पुल बनाना".जब दुनिया नफरत, असहिष्णुता और सांस्कृतिक टकरावों से जूझ रही है, ऐसे में यह समिट 30 से अधिक देशों से आए युवाओं के लिए साझा समझ, सहिष्णुता और आध्यात्मिक संवाद का एक अद्वितीय मंच बन गया.


हाजी सैयद सलमान चिश्ती का संदेश: "प्रेम ही असली इबादत है"

समापन सत्र के मुख्य अतिथि रहे हाजी सैयद सलमान चिश्ती, जो अजमेर शरीफ दरगाह के 26वीं पीढ़ी के गद्दीनशीन और चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हैं. उनका आगमन ही जैसे वातावरण को रूहानी बना गया।

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा:

"नफरत का जवाब नफरत से नहीं, बल्कि प्रेम, सेवा और करुणा से दिया जाना चाहिए. जब हम एक-दूसरे में ईश्वर का अक्स देखना शुरू कर देंगे, तो दुनिया में दीवारें नहीं रहेंगी — सिर्फ़ पुल होंगे, दोस्ती के पुल."

उनका हर शब्द सैकड़ों युवा प्रतिनिधियों के दिल में उतरता गया. ऐसा लगा जैसे उन्होंने आधुनिक दुनिया की उलझनों का हल सूफी विचारधारा के माध्यम से सामने रख दिया हो — सरल, सच्चा और स्पर्शकारी.

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अंतरसंस्कृतिक संवाद की सराहना

विशिष्ट अतिथि डॉ. मरियान अर्दो, निदेशक, लिस्ट इंस्टीट्यूट – हंगेरियन कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली, ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा:

"इस तरह की पहलें दुनिया के युवाओं को न केवल एक मंच देती हैं, बल्कि उन्हें वैश्विक शांति के दूत बनने की प्रेरणा भी देती हैं."

उन्होंने यह भी जोड़ा कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को बढ़ावा देना आज के समय में शांति स्थापित करने का सबसे प्रभावी मार्ग है.


एक विश्वविद्यालय, जहां शिक्षा आत्मा से जुड़ती है

जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के डीन प्रोफेसर श्रीराम चौलिया ने इस समिट के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा:

"एक विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ़ शैक्षणिक विकास तक सीमित नहीं होना चाहिए. उसे एक ऐसा मंच बनना चाहिए जहाँ नैतिक और आध्यात्मिक नेतृत्व भी पनपे। इस समिट ने यही करके दिखाया है."

उन्होंने इस आयोजन को आध्यात्मिक समावेशिता और वैश्विक दृष्टिकोण का अद्भुत मेल बताया.


सूफी संगीत की मनमोहक प्रस्तुति: संगीत से जुड़ा संदेश

समापन समारोह का सबसे भावुक और रूहानी क्षण तब आया, जब विनय वर्मा कलेक्टिव्स द्वारा सूफी कव्वाली की प्रस्तुति दी गई.
इन युवा कलाकारों की प्रस्तुति ए.आर. रहमान के केएम म्यूज़िक कंसर्वेटरी से प्रेरित थी. उन्होंने जो गीत प्रस्तुत किए, जैसे —

  • "ख्वाजा मेरे ख्वाजा",

  • "कुन फया कुन",

  • "ज़िक्रअल्लाह",

— उन्होंने समिट के संदेश को शब्दों से आगे ले जाकर, ध्वनि और भावना के माध्यम से आत्मा तक पहुंचाया.श्रोतागण जैसे एक मौन साधना में लीन हो गए. उनकी आँखों में श्रद्धा, चेहरों पर शांति और दिलों में अपनापन था.


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एक समिट, जो सिर्फ़ चर्चा नहीं, चेतना थी

यह समिट एक औपचारिक आयोजन नहीं था। यह एक सांस्कृतिक जागरण, एक आध्यात्मिक मिलन, और एक वैश्विक मित्रता का संकल्प बन गया.

यह आयोजन उस यथार्थ की झलक बन गया, जिसकी इस समय सबसे ज्यादा ज़रूरत है —

  • जहां धर्म, राष्ट्र और संस्कृति की सीमाएं नहीं होतीं,

  • जहां भाषा की जगह भावना बोलती है,

  • और जहां विचारों से ज्यादा जरूरी दिलों का मिलन होता है.


अंत में बस यही कहा जा सकता है —

जब युवा प्रेम, एकता और सेवा के पथ पर चलते हैं, तो वह सिर्फ़ अपने लिए नहीं, पूरी दुनिया के लिए उजाला बन जाते हैं.
ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की यह पहल आने वाले समय में अनगिनत दिलों में उम्मीद और रोशनी का दीपक जलाती रहेगी.