भारत के मुसलमानों का दो टूक संदेश: आतंकवाद के खिलाफ हैं, हमेशा रहेंगे

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 26-04-2025
A clear message from Indian Muslims: We are against terrorism, we will always be against it
A clear message from Indian Muslims: We are against terrorism, we will always be against it

 

✍️ मलिक असगर हाशमी

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया।. दो विदेशी नागरिकों समेत 26 बेगुनाह लोगों की जान चली गई। इस कायराना हमले की निंदा देशभर में हुई, लेकिन इस बार एक बात अलग थी — भारत का मुसलमान न केवल हमले के विरोध में खुलकर सामने आया, बल्कि अपनी हरकतों से यह जता दिया कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता, और इंसानियत सबसे ऊपर है.


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जब सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही थी नफरत

हमले के तुरंत बाद कुछ ट्रोलर्स ने सोशल मीडिया पर अफवाहें उड़ानी शुरू कर दीं. दावा किया गया कि हमलावरों ने पर्यटकों से कलमा पढ़वाने को कहा, जो नहीं पढ़ सके उन्हें गोली मार दी गई. 

इस नैरेटिव के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई कि आतंकवाद का चेहरा इस्लाम है. लेकिन इस बार कहानी का दूसरा हिस्सा भी उतनी ही तेज़ी से सामने आया — वह हिस्सा जिसमें देश का मुसलमान न केवल शांति और मानवता के पक्ष में खड़ा था, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ नेतृत्व करता दिखा.


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जब देशभर के मुस्लिम संगठन सड़कों पर उतर आए

पहलगाम हमले के खिलाफ पूरे देश के मुस्लिम संगठनों ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान की निंदा की. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों गुट – मौलाना अरशद मदनी और मौलाना महमूद मदनी, दारुल उलूम देवबंद, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, रज़ा अकादमी मुंबई, और यहां तक कि अजमेर दरगाह से जुड़े सलमान चिश्ती और नसीरुद्दीन चिश्ती जैसे लोगों ने एकजुट होकर इस आतंकी कृत्य की निंदा की.
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AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नमाजियों से अपील की कि वे काली पट्टी बांधकर जुमे की नमाज़ पढ़ें, जो आतंकवाद के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विरोध का प्रतीक था. दिल्ली की जामा मस्जिद से लेकर देश के कोने-कोने की मस्जिदों में इमामों ने आतंकवाद के खिलाफ तकरीरें दीं और पाकिस्तान को फटकार लगाई.
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जब कश्मीर के मुसलमान बन गए इंसानियत के रक्षक

हमले का सबसे बड़ा जवाब उन कश्मीरी मुसलमानों ने दिया जो घटनास्थल के पास थे. उन्होंने न केवल पीड़ितों की मदद की, बल्कि अपने घरों और मस्जिदों के दरवाज़े सैलानियों के लिए खोल दिए.

कई कैब ड्राइवरों और होटल मालिकों ने मुफ्त में सेवाएं दीं, जबकि कुछ ने पर्यटकों को अपनी पीठ पर बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया.

एक दिल दहला देने वाला मगर प्रेरणादायक किस्सा नजाकत भाई का भी है. उत्तराखंड से आए बीजेपी पार्षद लक्की का परिवार उस हमले में फंस गया था.

लक्की खुद बताते हैं कि जब गोलियां चलने लगीं तो नजाकत ने उनके दोनों बच्चों को गोद में उठाकर ज़मीन पर लिटा दिया, खुद ढाल बनकर उनके ऊपर लेट गया.

लक्की ने रोते हुए कहा — "मैंने नजाकत से कहा, मेरे बच्चों को कुछ मत होने देना, तो उसने जवाब दिया — लक्की भाई, गोली पहले मुझे लगेगी."

नजाकत ने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और फिर लौटकर बाकी पर्यटकों को भी बचाया.एक कश्मीरी घुड़सवार ने तो सैलानियों की जान बचाने में अपनी जान तक कुर्बान कर दी.

जब भारतीय मुसलमानों के समर्थन में आए भाजपा नेता

इस अभूतपूर्व इंसानियत की मिसाल ने उन तमाम नफ़रती सोच वालों को करारा जवाब दिया, जो हर बार किसी आतंकी हमले के बाद भारतीय मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने लगते हैं.

प्रयागराज से भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी ने साफ-साफ कहा –"भारत के मुसलमानों की तुलना पाकिस्तान से मत कीजिए। पहलगाम हमले में मारने वाले पाकिस्तान के मुसलमान थे, बचाने वाले भारत के मुसलमान."

वहीं दक्षिण भारत से भाजपा के कट्टर हिंदुत्ववादी नेता और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण गारू ने भी वीडियो जारी कर कहा –"भारत का मुसलमान इस देश का अभिन्न हिस्सा है.

उसने भारत के लिए अपनी जान तक दी है. पाकिस्तान की हरकतों की सजा भारतीय मुसलमानों को नहीं दी जा सकती. उन्हें हर बार राष्ट्रभक्ति का प्रमाण देने की ज़रूरत नहीं है.."

मुसलमानों की प्रतिक्रिया ने बदली सोच

पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर यह साबित किया कि आतंकवाद की कोई जाति, धर्म या मजहब नहीं होता. भारत का मुसलमान जब शांति, इंसानियत और एकता के साथ खड़ा होता है, तो वह केवल एक समुदाय का प्रतिनिधि नहीं होता – वह पूरे देश की आत्मा बन जाता है.
 

इस बार मुसलमानों की भूमिका इतनी प्रभावशाली रही कि 'राष्ट्रवाद' का ठेका लेने वालों को पीछे छोड़ दिया. यह एक नई सोच, नई ऊर्जा और भारतीय मुसलमान की नई पहचान का प्रमाण है — जो आतंकवाद के खिलाफ है, मानवता के साथ है, और भारत का गर्व है.