अजमेर दरगाह के करीब मिलने वाले स्वादिष्ट पकवान, जरूर चखें

Story by  फिदौस खान | Published by  onikamaheshwari | Date 04-12-2024
Delicious dishes of Ajmer, must try
Delicious dishes of Ajmer, must try

 

फ़िरदौस ख़ान

हर जगह के खाने का अपना अलग ही ज़ायक़ा होता है. आज हम अजमेर शरीफ़ के चिश्ती बाज़ार के होटलों के खाने की बात कर रहे हैं. अजमेर शरीफ़ में हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के पास स्थित चिश्तिया बाज़ार के होटल अपने लज़ीज़ मुग़लई खाने के लिए बहुत मशहूर हैं.  
 
 
दरगाह के गेट के पास भी खाने के बहुत से मुस्लिम होटल हैं, जिनमें मुग़लई व्यंजन मिलते हैं. यहां मटन बिरयानी, चिकन बिरयानी, मटन क़ौरमा, चिकन क़ौरमा, नहारी, पाये, क़ीमा, कोफ़्ता, नरगिसी कोफ़्ता, मटन चाप, स्टू, शामी कबाब, सींख कबाब और गोश्त से बने मुख़तलिफ़ क़िस्म के लज़ीज़ खाने मिलते हैं.
 
फ़िश फ़्राई, फ़िश करी और अंडा करी भी मिलती है. इनके अलावा यहां मलाई कोफ़्ता, शाही पनीर, मटर पनीर, पालक पनीर, दाल मखनी, दाल चावल, सब्ज़ियां और रायता भी मिलता है. रोटियां भी कई तरह की मिलती हैं, जिनमें नान, रुमाली रोटी, लच्छा परांठा, आलू का परांठा और अंडे का परांठा आदि शामिल हैं.  
 
 
दिल्ली के मटिया महल और हज़रत निज़ामुद्दीन की तरह ही यहां के होटलों में भी ग़रीबों के लिए सस्ता खाना मिल जाता है. यहां होटलों के बाहर भूखे लोगों की भीड़ लगी रहती है. सुबह से देर रात तक होटलों के सामने बहुत से लोग बैठे रहते हैं. जो लोग इन्हें खाना खिलाना चाहते हैं, वे 30 से 40 रुपये में एक व्यक्ति को खाना खिला देते हैं. दो रोटी और एक सब्ज़ी या दाल 30 से 40 रुपये में मिल जाती है.
 
इसी तरह दाल चावल, छोले चावल, राजमा चावल और कढ़ी चावल भी 30 से 40 रुपये में मिल जाते है यानी तीन सौ से चार सौ रुपये में दस लोगों को भरपेट खाना खिलाया जा सकता है. ये होटल वाले ऑर्डर पर बिरयानी, क़ौरमा, नहारी और नान आदि भी बनाते हैं. बहुत से लोग इनसे खाना पकवाकर ज़रूरतमंदों में तक़सीम भी करते हैं.  
 
दरगाह के पास बहुत से शुद्ध शाकाहारी वैष्णव होटल भी हैं. इनमें स्वादिष्ट भोजन मिलता है. इनमें पनीर से बने व्यंजन, दाल, कढ़ी, राजमा, छोले, रायता और सब्ज़ियां मिलती हैं. यहां तंदूरी और तवा दोनों ही तरह की रोटियां भी मिल जाती हैं.
 
 
राजस्थान का प्रसिद्ध दाल बाटी चूरमा भी मिलता है. यहां पनीर, आलू, गोभी और मूली के परांठे भी मिलते हैं. इन परांठों के साथ दही, अचार, चटनी और सलाद परोसा जाता है. यहां होटलों पर राजस्थानी थाली भी मिल जाती है, जिसमें पंचरत्न दाल, केर सांगरी, पापड़ की सब्ज़ी, गट्टे की सब्ज़ी, राबड़ी, बाजरे की खिचड़ी आदि व्यंजन भी शामिल होते हैं. इनमें बहुत-सा देसी घी डाला जाता है.
         
खाने के अलावा यहां पूड़ी छोले, समोसे और पकौड़े भी मिलते हैं. अमूमन कचौरी के साथ छोले, आलू की सब्ज़ी या चटनी मिलती है, लेकिन यहां कचौरी के साथ कढ़ी मिलती है. बहुत से लोगों को यह बहुत अजीब ज़रूर लगे, लेकिन यहां लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं.
 
इसी तरह यहां समौसे के साथ भी कढ़ी मिलती है. यहां बेसन के अलावा मसूर दाल की पकौड़ियां भी मिलती हैं. ये भी बहुत ही ज़ायक़ेदार होती हैं. इन्हें हरे धनिये और पुदीने की चटनी के साथ खाया जाता है. यहां की प्याज़ की कचौरी भी बहुत मशहूर है.
 
 
अब तो प्याज़ की कचौरियां हर जगह मिल जाती हैं, लेकिन यहां की बात ही अलग है. यह दाल की कचौरी से बड़ी होती है और इसमें दाल की जगह मसाले वाली प्याज़ भरी होती है. इसे खट्टी-मीठी चटनी के साथ खाया जाता है. यहां का मिर्ची वड़ा भी बहुत मशहूर है. 
 
यहां का दाल-ढोकला भी बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन है. इसे चने की दाल में पकाया जाता है यानी चने की दाल में आटे या मैदे की छोटी-छोटी पूड़ियां होती हैं. ये अपने आप में पूर्ण भोजन है. यह एक पारम्परिक भोजन है. 
 
हालांकि राजस्थानी खाने में तीखे मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें मिर्च भी ख़ूब होती है. चूंकि दरगाह पर दूर-दूर से लोग आते हैं. सभी लोग इतना ज़्यादा तीखा खाना नहीं खाते. इसलिए यहां इस बात का ख़ास ख़्याल रखा जाता है कि खाने में ज़्यादा मिर्च का इस्तेमाल न किया जाए. छोले और चाट आदि में लोग अपने स्वादानुसार मसाले डाल लेते हैं. खाने में सलाद के साथ मिर्च का अचार भी दिया जाता है.    
 
 
अजमेर का मावा बहुत मशहूर है. इसलिए यहां मावे से बनी मिठाइयां ख़ूब मिलती हैं. यहां का पेड़ा, बर्फ़ी, रबड़ी, गुलाब जामुन, रसगुल्ले, मालपुआ, मूंग दाल का हलवा, बालू शाही, इमरती, जलेबी, लड्डू भी बहुत मशहूर हैं. यहां बड़ी बूंदी वाले लड्डू भी मिलते हैं.
 
हलवाइयों के यहां के कड़ाही दूध का तो कोई जवाब ही नहीं है. इसमें मलाई भी डाली जाती है. बारह महीने इसकी मांग रहती है. सर्दियों में इसकी मांग बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है. गर्मियों में यहां की लस्सी की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है. लस्सी में कच्चा मक्खन और पेड़े भी डाले जाते हैं. मिल्क शेक भी यहां ख़ूब बिकता है.   
 
अजमेर जाएं, तो वहां के पारम्परिक व्यंजनों का ज़ायक़ा ज़रूर चखें, क्योंकि वहां का ज़ायक़ा कहीं और नहीं मिलेगा.