ओलंपिक में खेलूंगी, मुल्क के लिए जीतूंगी मेडल...हिना का बस इतना सा ख्वाब है

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 05-07-2022
ओलंपिक में खेलूंगी, मुल्क के लिए जीतूंगी मेडल...हिना का बस इतना सा ख्वाब है
ओलंपिक में खेलूंगी, मुल्क के लिए जीतूंगी मेडल...हिना का बस इतना सा ख्वाब है

 

एम मिश्र/लखनऊ.

नवाबों के शहर की नजाकत और नफासत के माहौल में पली—बढ़ी लड़कियां सूबे और मुल्क के बाद विदेशी मैदान भी मार रही हैं.मुफलिसी और गुरबत के हालात को अपने हौसलों से मात देने वाली सब्जी बेचने वाली मुमताज के बाद लखनऊ की ही हिना भी अपने कुनबे में पसरे मायूसी के माहौल में खुशियों के रंग भरने की राह पर चल पड़ी हैं.

छावनी के रेसकोर्स में एक छोटे से मकान में रहने वाली हिना डबलिन आयरलैंड में हुए पांच देशों के अंडर 23 हॉकी टूर्नामेंट में अपने मुल्क को सिल्वर मेडल जिताने के बाद मंगलवार को घर लौटीं.पहले ही टूर्नामेंट में हिना की इस रूपहली कामयाबी पर उसकी विधवा मां जरीना और नाना उजागर के सपनों पर भी सुनहरा वर्क चढ़ गया.

 चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट पर जहां हिना की अगवानी के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी आफ इंडिया की कोच नीलम कपूर मौजूद थीं तो उनके नाना उजागर व मां जरीना भी अपनी लाडली का माथा चूमकर घर लाने के लिए पहुंचे.

 एयरपोर्ट से साई सेंटर पहुंची हिना का कोच वगैरह ने शाबाशी दी.इसके बाद हिना अपने घर यानि ननिहाल पहुंचीं तो छावनी के रेसकोर्स का पूरा मोहल्ला जगमगा उठा.

हिना की इस कामयाबी में असल रंग नाना उजागर और मां जरीना की कोशिशों ने भरा.हिना के सिर से अब्बू का साया उस समय ही उठ गया जब वह छोटी थी.मां जरीना अपने मायके आकर रहने लगी.जरीना के अब्बा उजागर पेशे से हज्जाम थे.उन्होंने जरीना के साथ हिना की पर​वरिश का जिम्मा उठाया.

अपने तमाम जरूरतों को सीने दफन कर उजागर ने हिना को तालीम के साथ उसके हर शौक को पूरा करने का बीड़ा उठाया.नाना उजागर और मां जरीना ने जिंदगी की तमाम मुश्किलों से दो—चार होने के बावजूद हिना को उस मुकाम पर पहुंचाने में कामयाबी हासिल की जिस पर आज उन्हें ही नहीं नवाबों के शहर, इस सूबे को नाज है.