मंजीत ठाकुर
पिछले छह महीने में यानी जून, 2023 से तीसरा फाइनल मुकाबला है जिसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया की भिड़ंत होगी. यह मौका भी पिछले साल नवंबर जैसा ही है, सिवाय इसके कि बेनोनी का मैदान अहमदाबाद जितना डरावना नहीं होगा.
बिलाशक, दक्षिण अफ्रीका का विशाल भारतीय समुदाय अंडर-19 विश्व कप के लिए संघर्ष कर रही टीमों के बीच अपनी भी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश करेगा.
अंडर-19 विश्वकप का मौजूदा चैंपियन भारत इस प्रतियोगिता के इतिहास में सबसे सफल टीम रहा है. अपने नौवें फाइनल में भारत अपने लिए छठा खिताब जीतने की पूरी कोशिश करेगा. इस बीच, ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार 2010 में मिशेल मार्श के नेतृत्व में जीत हासिल की थी. तब से वे दो बार प्रचंड भारतीय टीम से भिड़ चुके हैं, और उनके नसीब में अभी तक उप-विजेता बनना ही रहा है.
2012 में टाउन्सविले में खेले गए फाइनल में उन्मुक्त चंद ने कमाल की पारी खेली थी. 2018 में, मनजोत कालरा ने अच्छा प्रदर्शन किया था और इन दोनों ही फाइनलों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पीटा था. छह साल के बाद एक बार फिर दोनों दिग्गज आमने-सामने हैं.
मोटे तौर पर प्रतियोगिता में अभी तक भारत की राह आसान रही है. उन्होंने पहले बल्लेबाजी करने का एक टैम्पलेट सेट किया है, इसमें पारी की सधी और आहिस्ता शुरुआत की जा रही है और फिर डेश ओवर्स में ताबड़तोड़ खेल होता है.
जबकि सेमीफाइनल में, जोखिम उठाते हुए भारत ने पहले फील्डिंग करने का फैसला किया. दक्षिणी अफ्रीकी तेजी और स्विंग के सामने भारत के शुरुआती बल्लेबाज ढह गए पर आखिरकार भारत मैच जीत ले गया.
246 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआती 4 विकेट महज 32 रनों पर गिर गए. लेकिन तभी दो धाकड़ बल्लेबाजों, उदय सहारन और सचिन दास ने अपने बल्ले के जौहर दिखाए और इन दोनों ने मिलकर अंडर-19 विश्वकप के इतिहास में पांचवें विकेट के लिए रिकॉर्ड साझेदारी निभाते हुए भारत का रास्ता फाइनल के लिए साफ कर दिया.
सेमीफाइनल में भारत के प्रदर्शन ने एक बात साफ कर दी है कि भारत की टीम मानसिकता के स्तर पर कितनी दृढ़ है.
ऑस्ट्रेलिया पाकिस्तान से किसी तरह जीत कर फाइनल तक आया है. पाकिस्तान को ऑस्ट्रेलिया ने बहुत मामूली अंतर हराया. सेमीफाइनल में अंतिम ओवर में जीत के लिए एक विकेट शेष रहते हुए चार रनों की जरूरत थी, पाकिस्तान के ओवर-रेट पेनल्टी के कारण उन्हें रिंग के बाहर केवल चार फील्डर रखने पड़े.
नतीजतन, पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ गया.
इस सेमीफाइलन से पहले वेस्ट इंडीज के खिलाफ मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 87 रन बनाने में 5 विकेट खो दिए थे और बोर्ड पर ठीक-ठाक स्कोर टांगने के लिए उन्हें रिजर्व बल्लेबाजी की मदद लेनी पड़ी. सैम कोनस्टास, जिनके स्वभाव की तुलना कई विशेषज्ञ माइकल क्लार्क से करते हैं, ने 108 रन बनाकर जवाब दिया.
लेकिन, भारत को कैलम विडलर पर नजर रखनी होगी जो महज 18 साल के हैं लेकिन 140 की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं. हर टीम के बल्लेबाजों को उन्होंने छकाया है और अपनी तेज और नश्तर जैसी स्विंग करती गेंदों से विकेट चटकाए हैं. पांच मैचों में विडलर 12 विकेट ले चुके हैं और यह औसत अंदाजन 10.75 का है और इकोनॉमी महज 3.88 की.
इस इतवार को जब दोनों टीमें मैदान पर उतरेंगी तो यह महज खिताब की भिड़ंत नहीं होगी बल्कि दोनों देशों में क्रिकेट के भविष्य की आहट होगी और कुछ ऐसे सितारों की झलक दिखेगी जो आने वालों सालों में क्रिकेट के आसमान में चमक बिखेरेंगे.
जिन पर रहेगी नजर
अर्शिन कुलकर्णी बॉल-स्ट्राइकर के रूप में ढेर सारी संभावनाएं लेकर आए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक ज्यादा बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाए है. अमेरिका के खिलाफ शतक को छोड़कर, कुलकर्णी को शीर्ष क्रम को गति देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. गेंदबाजी में उन्होंने सधा हुआ प्रदर्शन किया है. कुलकर्णी क्या फाइनल में अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन कर पाएंगे?
हरजस सिंह ने स्कूली स्तर पर अपनी बल्लेबाजी को कइयों को प्रभावित किया है. उनके अंदर रनों की भूख है. लेकिन हरजस ने अब तक टूर्नामेंट की छह पारियों में केवल 49 रन बनाए हैं. उन्हें अब तक हर मैच में खिलाया गया है और यह टीम प्रबंधन के उन पर भरोसे का संकेत है. इस भरोसे को सही साबित करने के लिए रविवार के फाइनल से बढ़िया क्या ही मौका होगा भला?
भारत ने अब तक इस प्रतियोगिता में पचास रन से अधिक की कोई ओपनिंग साझेदारी नहीं की है. अगर फाइनल में भी भारत ऐसा नहीं कर पाता है तो भारत के लिए यह पहला विश्वकप होगा जब किसी भी मैच में भारत ने पचास रन की ओपनिंग साझेदारी न की हो.
आखिरी बार अंडर 19 के किसी मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 1998 में हराया था. 2012 और 2018 के फाइनल समेत, तब से अबतक भारत ने अंडर 19 विश्वकप के सभी छह मुकाबलों में ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाई है.