Lucknow hosted India's first National Games, should organise the next edition too: Rajnath
लखनऊ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि लखनऊ अपनी खेल संस्कृति के लिए जाना जाता है, जिसने 1948 में भारत के पहले राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की थी, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अब खेल आयोजन के अगले संस्करण को यहां आयोजित करने का प्रयास करना चाहिए.
यहां केडी सिंह बाबू स्टेडियम में 'सांसद खेल महाकुंभ' में बोलते हुए उन्होंने कहा, "हम खेलों को बहुत गंभीरता से लेते हैं. आज हमारी सरकार 2036 में गुजरात में ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जबकि भारत में अन्य विश्व स्तरीय खेलों की मेजबानी के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा: "जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को अगले राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए प्रयास करना चाहिए."
लखनऊ ने 1948 में स्वतंत्र भारत में पहले राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की थी.
लखनऊ से लोकसभा सदस्य सिंह ने कहा, "लखनऊ अपनी खेल संस्कृति के लिए कितना प्रसिद्ध है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद जब पहली बार राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हुआ था, तो वह हमारे इसी शहर में हुआ था." लखनऊ की खेल संस्कृति के बारे में उन्होंने कहा, "लखनऊ शहर अपनी खेल संस्कृति के लिए न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश-विदेश में भी जाना जाता है. महान हॉकी खिलाड़ी केडी सिंह बाबू, जिनके नाम पर यह स्टेडियम जाना जाता है, ने यहां लंबा समय बिताया था. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने भी लखनऊ की खेल संस्कृति को बढ़ाया है. यह उनके बेटे अशोक कुमार और मशहूर ओलंपियन जमनालाल शर्मा की कर्मभूमि रही है. भारत का पहला एस्ट्रो टर्फ भी 80 के दशक में लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में लगाया गया था." उन्होंने कहा, "आजकल लखनऊ में आईपीएल मैच हो रहे हैं, लेकिन एक समय था जब केडी सिंह बाबू स्टेडियम में शीशमहल ट्रॉफी नाम से क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन होता था और टीम इंडिया के बड़े-बड़े खिलाड़ी लखनऊ में खेलते नजर आते थे."
उन्होंने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित लखनऊ की अवधारणा सीधे तौर पर विकसित भारत से जुड़ी हुई है. "इसलिए भारत के हर नागरिक को एक लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा." ओलंपिक खेलों के आदर्श वाक्य - सिटियस, अल्टियस, फोर्टियस का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि इसका मतलब है तेज, ऊंचा और मजबूत. लखनऊ के सांसद ने कहा, "आपको इसी प्रेरणा के साथ इन खेलों में भाग लेना है और इस आयोजन को सफल बनाना है.
आज यहां आयोजित हो रहे खेल महाकुंभ के परिणाम आने वाले वर्षों में स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे, जब लखनऊ से बड़ी संख्या में युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतेंगे." खेलो इंडिया पर उन्होंने कहा, "ज़मीनी स्तर पर लगभग 1,000 खेलो इंडिया केंद्रों पर हज़ारों खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं. आज के बदलते भारत में छोटे शहरों की प्रतिभाओं को खुलकर आगे आने का मौका मिल रहा है. आज खेलो इंडिया के तहत 3,000 से ज़्यादा खिलाड़ियों को 50,000 रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जा रही है, जिससे उन्हें प्रशिक्षण, आहार, कोचिंग, किट, ज़रूरी उपकरण और दूसरी ज़रूरतों में मदद मिलती है." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में नई खेल संस्कृति विकसित होने का ज़िक्र करते हुए सिंह ने कहा, "पहले भारतीय खिलाड़ी जीतने से ज़्यादा भाग लेने से संतुष्ट रहते थे.
लेकिन आज भारतीय खिलाड़ी जहाँ भी जाते हैं, उन्हें गंभीरता से लिया जाता है. इस बदलाव के पीछे एक बड़ी वजह केंद्र और हमारी उत्तर प्रदेश सरकार की खेल हितैषी नीतियां हैं." उन्होंने कहा, "मोदी जी से प्रेरित होकर कई सांसदों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करके समाज के विकास की नई राह प्रशस्त की है. आज उस सूची में लखनऊ का नाम भी जुड़ गया है." सिंह ने यह भी कहा कि आज माता-पिता अपने बच्चों को लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, रोहित शर्मा, पीवी सिंधु, गुकेश और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी और एथलीट बनते देखना चाहते हैं.
'खेलोगे कूदोगे होगे खराब, परहोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब' नामक लोकप्रिय मुहावरे का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि एक समय ऐसा माना जाता था कि खेलों में समय लगाना समय की बर्बादी है.
उन्होंने कहा, "आज यह सोच बदल गई है और खेलों और खिलाड़ियों के प्रति समाज की धारणा भी बदल गई है."