जम्मू-कश्मीर ने भोपाल में दुनिया का पहला दिव्यांग महिला क्रिकेट टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रचा

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 25-02-2024
Jammu and Kashmir created history by winning the world's first disabled women's cricket tournament in Bhopal
Jammu and Kashmir created history by winning the world's first disabled women's cricket tournament in Bhopal

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

श्रीनगर की शाहीन खान ने आवाज द वॉयस को बताया कि मेने ये कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिव्यांग क्रिकेटर बनकर उभरूंगी और देश के दिव्यांग सपोर्टपरसन्स के लिए प्रेरणा बनूंगी आप खुद ही रोमांचित हो जायंगें जब आप देखेंगें कि कैसे हमारी टीम, कोई बैसाखी से क्रिकेट खेल रहा है, किसी का हाथ नहीं है, कोई बगैर पैर के खेल रहा है. दुनिया भर में क्रिकेट प्रेमियों की तादाद करोड़ों की संख्या में है. क्रिकेट के प्रति लोगों का प्रेम जग जाहिर है एक ऐसा ही प्रेम व्हीलचेयर क्रिकेट टीम जोकि राजधानी भोपाल के दिव्यांग महिला क्रिकेट मैच ओल्ड कैंपियन ग्राउंड में आयोजित किया गया ये पहला मैच था जिसमें श्रीनगर की दिव्यांग लड़कियां क्रिकेट खलेने के लिए पहुंची और इस मैच को फतह किया.
 

इस वक़्त में जम्मू एवं कश्मीर दिव्यांग स्थायी महिला टीम की संस्थापक हूं. इस टीम में जम्मू-कश्मीर ने भोपाल में दुनिया का पहला दिव्यांग महिला क्रिकेट टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रचा. उमंग नेशनल ट्रॉफी 2023 के नाम से आयोजित इस टूर्नामेंट में देश के सात राज्यों की दस टीमें शामिल थी जिसमें मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तरप्रदेश आंध्र प्रदेश था और इंसबको हराकर श्रीनगर की दिव्यांग वूमेन क्रिकेटर्स ने जीत हासिल की.
 
शाहीन खान ने आवाज द वॉयस को बताया कि "मेरी विकलांगता निचले अंगों में पोलियो से है और मैं 75% व्हीलचेयर उपयोगकर्ता हूं, यह मेरे साथ चिकित्सीय लापरवाही के कारण हुआ. मैंने रीजनल पब्लिक हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की. सरकारी स्कूल से मेडिकल स्ट्रीम में 11वीं और 12वीं पूरी की. गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल नवाकदल के बाद मैंने प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की. मैंने एनआईएमएस यूनिवर्सिटी जयपुर, राजस्थान से स्नातक और स्नातकोत्तर किया और जेवीसी बेमिना, श्रीनगर से इंटर्नशिप पूरी की."
 
 
अपनी शैक्षिक यात्रा के दौरान शाहीन खान ने कई दुश्वारियों का सामना किया मगर हौसला नहीं खोया और फिर एक दिन सिविल सर्विस इंटरव्यू के दौरान किसी ने उनसे सवाल किया कि अपने कभी स्पोर्ट्स में कुछ नहीं किया तब उन्हें बताया गया कि आपको कई अच्छे अवसर मिल सकते हैं. 
 
फिर मेने दिल्ली दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ़ इंडिया से सम्पर्क किया तो उन्होनें बताया कि आप बहुत अच्छा खेल प्रदर्शन कर सकतीं हैं और फिर इसके बाद मेने श्रीनगर में पहली महिला दिव्यांग क्रिकेट टीम बनाई उन दिव्यांग लड़कियों के घरवालों से बातचीत की और फिर शुरू हुई हमारी प्रेक्टिस जो हमने सीआरसी कैंपस ग्राउंड पर की. 
 
 
शाहीन खान ने आवाज द वॉयस को बताया कि हम अपने घर में 1 भाई और 3 बहनों में सबसे बड़ी हूँ और ये जिम्मेदारी समझते हुए मेने अपने साथ साथ उन दिव्यांग क्रिकेटर्स को भी एक नयी उम्मीद दी ताकि वे भी अपना भविष्य उज्जवल बना सकें.
 
शाहीन खान ने आवाज द वॉयस को बताया कि जब मेने अपने से नीचे देखा तो मालूम हुआ कि लोग दिव्यांग हैं भीख मांग रहे हैं तब मेने अपना करियर स्पोर्ट्स में और मजबूत करने का सोचा और फेर मेरी टीम के कप्तान बनकर मेने कई पारियां अपनी टीम के साथ खेली. एलजी मनोज सिन्हा ने भी जम्मू-कश्मीर में मुझे एसकेआईसीसी श्रीनगर में आमंत्रित किया. 2023 में जम्मू-कश्मीर सरकार से माद्री मेहरबान पुरस्कार प्राप्त हुआ और 2014 में दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ. मुझे कई राज्य पुरस्कार मिले। जम्मू-कश्मीर सरकार से 2 बार माद्री मेहरबान पुरस्कार मिला. 
 
 
शाहीन खान को कई अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया है. वे अपनी टीम की कैप्टन होने के साथ साथ उनकी चीयर अप लीडर भी हैं. उनके सोच हैं आक़िब. भोपाल, मप्र में राष्ट्रीय स्तर की ट्रॉफी प्राप्त की, कश्मीर के हीमोफिलिया समाज से भी उन्हें सम्मान मिला, सीआरसी, बेमिना ग्राउंड श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर दिव्यांग महिला व्हीलचेयर क्रिकेट में विजेता ट्रॉफी भी उन्होनें जीती.