आवाज़ द वॉइस/ नई दिल्ली
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को फिर से क्रिकेट की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. आईसीसी के चेयरमैन जय शाह ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल की है, जिसके तहत एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है. इस टास्क फोर्स का उद्देश्य उन अफगान महिला क्रिकेटरों को समर्थन देना है, जिन्हें तालिबान शासन के कारण अपने देश में खेलना छोड़ना पड़ा.
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद महिलाओं पर कई प्रकार की बंदिशें लगाई गईं, जिनमें खेलकूद भी शामिल है. खासतौर पर महिला क्रिकेट पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. इसके कारण अफगानिस्तान की कई महिला क्रिकेटरों को मजबूरी में अपना देश छोड़ना पड़ा. आज वे इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, और अन्य देशों में शरण लेकर रह रही हैं.
इन महिला खिलाड़ियों की स्थिति को लेकर बीते वर्षों में कई मानवाधिकार संगठनों और देशों ने चिंता व्यक्त की थी. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्रिकेटिंग राष्ट्रों ने तो यहां तक अपील की थी कि जब तक महिला खिलाड़ियों को खेलने की आज़ादी नहीं मिलती, तब तक अफगानिस्तान के साथ क्रिकेट न खेला जाए.
जय शाह ने इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा, “यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि हर क्रिकेटर, चाहे उसकी परिस्थितियाँ कैसी भी हों, खुद को साबित करने का अवसर पा सके.” इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एक अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स की योजना बनाई गई है, जिसमें भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट बोर्ड भी सहयोगी होंगे.
यह टास्क फोर्स अफगान महिला क्रिकेटरों को खेल में वापसी का रास्ता प्रदान करेगा.
खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे वे अपने प्रशिक्षण, जीवनयापन और खेल संबंधित ज़रूरतों को पूरा कर सकें.
विश्वस्तरीय प्रशिक्षण सुविधाएं, खेल सामग्री और परामर्श सेवाएं भी उन्हें उपलब्ध कराई जाएंगी.
साथ ही, उनके लिए एक विशेष सहायता कोष (Special Support Fund) की भी स्थापना की जाएगी, जिससे उन्हें दीर्घकालिक रूप से आर्थिक संबल मिल सके.
जय शाह ने स्पष्ट किया कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए अफगान महिला क्रिकेटरों की स्वदेश वापसी संभव नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे खेल से दूर रहें. ICC का उद्देश्य है कि वे दुनिया के किसी भी कोने में हों, क्रिकेट से जुड़ी रहें और अपना करियर आगे बढ़ा सकें.
यह पहल न केवल अफगान महिला खिलाड़ियों के लिए एक नई रोशनी की किरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय खेल संगठन केवल खेल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को भी निभाते हैं.
इस पहल के माध्यम से ICC ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब बात समानता, अवसर और अधिकारों की होती है, तो खेल की दुनिया भी पीछे नहीं रहती.