मंजीत ठाकुर
लगता है भारतीय दर्शकों के लिए बैक टू बैक मनोरंजन का दौर है. चुनावी चकल्लस के बाद आईपीएल का दौर और उसके बाद चुनावी एक्जिट पोल, फिर नतीजे और उसके बाद दरवाजे पर टी-20 विश्व कप.अब टी20 वर्ल्ड कप का इस बार का मौका भी खबरों से भरा हुआ है. टी-20 विश्व कप कहते ही हमें कैप्टन कूल एम एस धोनी, गेंदबाज जोगिंदर शर्मा, पाकिस्तान के बल्लेबाज मिस्बाह उल हक और भारतीय पेसर श्रीसंत की याद आती है.
पहला विश्वकप ही वह सीढ़ी थी, जिसमें हमारी जोरदार जीत ने आईपीएल जैसे जबरदस्त लीग की शुरुआत की.इस बार का टी-20 विश्व कप खेल के अलावा भी आइएसआइएस के हमले की धमकी वजह से चर्चा में है, पर असल चीज तो सफेद गेंद और बल्ले के बीच की तकरार का है. भारतीय टीम का पहला मुकाबला 5 जून को आयरलैंड के साथ है.
लेकिन सबकी निगाहें चिकी हैं भारत के दूसरे मुकाबले पर, जिसमें वह अपने चिर प्रतिद्वंदी टीम पाकिस्तान के सामने होगी।लेकिन इससे पहले कि हम क्रिकेट की कहानियों में आगे बढ़ें, पहले टी-20 विश्वकप की यादें ताजा कर लेते हैं.
11 सितंबर 2007 को ही टी20 विश्वकप का पहला मुकाबला खेला गया. इस टूर्नामेंट के पहले ही मैच में पानी फिर गया था.भारत का मुकाबला स्कॉटलैंड से था और वह मैच बारिश से धुल गया और दोनों टीमों को बराबर अंक बांट दिए गए. भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में थे. पाकिस्तान ने एक दिन पहले ही स्कॉटलैंड को हराया था. इस वजह से भारत से उसका मुकाबला और दिलचस्प हो गया था.
अब नए-नवेले कप्तान धोनी और उनकी टीम के लिए पाकिस्तान के साथ का मैच करो या मरो वाली स्थिति में था. हारते तो अगले दौर में जाने का दरवाजा करीबन बंद हो जाता. यानी, अब भारत अगले राउंड में तभी जा सकता था, जब वह पाकिस्तान से हारे नहीं.
दोनों टीमों के बीच यह मैच 14 सितंबर 2007 को अफ्रीका स्थित डरबन शहर में खेला गया. इस मैच में पाकिस्तान के कप्तान शोएब मलिक टॉस जीतने में कामयाब रहे और भारत को पहले बल्लेबाजी करने का निमंत्रण दिया.
अब मुकाबला भारत और पाकिस्तान जैसे कट्टर दुश्मनों का हो और दिलचस्प न हो, लोग नाखून न चबाने लगें ऐसा तो हो नहीं सकता. ऐसा ही टी20 विश्वकप 2011 के इस मैच में भी हुआ.बहरहाल, पहले बैटिंग करते हुए भारत ने 9 विकेट के नुकसान पर 141 रन बनाए और मैच में तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए रॉबिन उथप्पा सर्वोच्च स्कोरर रहे.
उन्होंने 39 गेंदों का सामना करते हुए 128 की स्ट्राइक रेट से 50 रन की अर्धशतकीय पारी खेली. उनके अलावा 6वें क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए कैप्टन एमएस धोनी 31 गेंद में 33 रन बनाने में कामयाब रहे.विपक्षी टीम के लिए इस मैच में मोहम्मद आसिफ ने महज 14 रन देकर सर्वाधिक 4 विकेट लिए. अफरीदी ने 4 ओवरों में 37 रन खर्च करते हुए 2 विकेट चटकाए.
141 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान की टीम भी हालत कोई अच्छी तो नहीं थी, लेकिन भारत के लिए मिस्बाह उल हक खतरा नजर आने लगे थे तो छठे नंबर पर बैटिंग करते थे. उन्होंने 35 गेंद में 53 रन बनाए थे. उनके बल्ले से 7 चौके और 1 छक्का निकला.
भारत की तरफ से गेंदबाजी में इरफान पठान ने सर्वाधिक 2 विकेट चटकाए. उनके अलावा आरपी सिंह, अजित अगरकर और हरभजन सिंह ने क्रमशः 1-1 सफलता प्राप्त की.पाकिस्तान और भारत के इस मैच में रोमांच चरम पर हो गया, जब मैच की आखिरी बॉल फेंकने के बाद दोनों टीमों का स्कोर बराबर हो गया. यानी टाई.
इस टी20 विश्वकप में नियम कुछ बदले हुए थे. कोई मैच टाई खत्म नहीं हो सकता था. रन बराबर होने पर दोनों टीमों को फिर मैदान पर उतरना था और गेंदबाजों को विकेट को हिट करना था.लेकिन सब हैरान रह गए जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रेगुलर तेज गेंदबाजों की बजाए हरभजन और पार्ट टाइम स्पिनर्स को उतार दिया. देशभर में टीवी देख रहे लोग हैरान रह गए. उन्हें कुछ समझ नहीं आया.
पाकिस्तान की ओर से शाहिद अफरीदी, उमर गुल और यासिर अराफात के हाथ में गेंद थी, तो एमएस धोनी ने हरभजन, वीरेंद्र सहवाग और रोबिन उथप्पा को गेंद थमा दी. कप्तान का चयन गलत नहीं था. भज्जी, सहवाग और उथप्पा तीनों ने स्टंप्स हिट किए, पर पाकिस्तान का कोई भी गेंदबाज स्टंप्स को हिट नहीं कर सका.
असल में, बारीकी से काम करने वाले धोनी ने इस टी20 विश्वकप के सारे कायदे-कानूनों को पढ़ रखा था और इसी वजह से धोनी ने टाई होने की सूरत में होने वाले बॉलआउट की भी प्रैक्टिस की थी.टीम के कोच रहे लालचंद राजपूत ने पांच-पांच खिलाड़ियों को ग्रुप में बांटकर प्रैक्टिस कराई थी. मैच के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मोहम्मद आसिफ को 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया.
यह तो पहले विश्वकप में पाकिस्तान के साथ भारत के पहले भिड़ंत की कहानी थी, लेकिन यह कहानी टी-20 विश्वकप की बहुत सारे दिलचस्प कहानियों में से सिर्फ एक ही है.
( लेखक आवाज द वाॅयस में सोशल मीडिया हेड हैं.)