कश्मीर में सिख युवाओं की अनूठी पहल, रमजान में रोजेदारों को बांटा इफ्तार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 17-03-2025
Unique initiative of Sikh youth in Kashmir, distributed Iftar to fasting people during Ramzan
Unique initiative of Sikh youth in Kashmir, distributed Iftar to fasting people during Ramzan

 

बासित जरगर/श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए सिख युवाओं के एक समूह ने रमजान के पाक महीने में मुस्लिम रोजेदारों के लिए इफ्तार का इंतजाम किया.

 
श्रीनगर के लाल चौक में इन युवाओं ने राहगीरों और स्थानीय लोगों को पानी की बोतलें और खजूर वितरित किए, जिससे सामाजिक सद्भाव का एक अनूठा उदाहरण सामने आया.
 
भाईचारे की मिसाल बनी सिख युवाओं की सेवा भावना
 
रमजान के दौरान रोजा खोलने के लिए खजूर और पानी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, सिख समुदाय के इन युवाओं ने निःस्वार्थ भाव से इफ्तार सामग्री वितरित की. इस पहल को व्यापक रूप से सराहा जा रहा है और इसे कश्मीर में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और मानवीय सेवा का प्रतीक माना जा रहा है.
 
 
इस नेक पहल पर श्रीनगर की सामाजिक कार्यकर्ता साइका जान ने कहा,"सिख युवाओं द्वारा किया गया यह कार्य भाईचारे और आपसी सम्मान का जीता-जागता उदाहरण है.
 
कश्मीर में सिख समुदाय हमेशा सेवा के अपने लोकाचार के लिए जाना जाता रहा है. 2014 की विनाशकारी बाढ़ से लेकर कोविड-19 महामारी तक, हर संकट में उन्होंने बिना किसी भेदभाव के जरूरतमंदों की मदद की है."
 
स्थानीय लोगों ने की पहल की सराहना
 
श्रीनगर के ही एक छात्र अदनान डार ने इसे इंसानियत और सौहार्द का प्रतीक बताते हुए कहा, "जब दुनिया में कुछ लोग समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कश्मीर में हर धर्म के लोग—चाहे वे सिख हों, हिंदू हों या ईसाई—एक परिवार की तरह रहते हैं. हम हमेशा एक-दूसरे के सुख-दुख में खड़े रहते हैं."
 
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने की सराहना
 
इस पहल को लेकर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक और नागरिक समाज के नेताओं ने भी सिख युवाओं की जमकर तारीफ की. उन्होंने इसे "सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल" और "आशा की किरण" बताया.
 
कश्मीर में हमेशा से रहा है आपसी भाईचारे का माहौल
 
इतिहास गवाह है कि कश्मीर की वादियों में विभिन्न धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते आए हैं. सदियों से यहां सिख, हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोग एक साथ त्योहार मनाते हैं और एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आते हैं.
 
 
श्रीनगर में हुई यह पहल इस बात को और मजबूती से स्थापित करती है कि कश्मीर की पहचान सिर्फ उसकी खूबसूरती ही नहीं, बल्कि यहां के लोगों के दिलों में बसे भाईचारे और इंसानियत के जज्बे से भी है.सिख युवाओं द्वारा किया गया यह कार्य एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि धर्म, भाषा या जाति कोई भी हो, इंसानियत सबसे ऊपर है.
 
रमजान के इस पाक महीने में सिख समुदाय द्वारा किए गए इस सेवा कार्य ने यह साबित कर दिया कि कश्मीर में धर्म से ऊपर इंसानियत को महत्व दिया जाता है.