आवाज-द वॉयस / मक्का-नई दिल्ली
सऊदी अरब में हज शुरू हो गया है और हाजियों को 42-47 डिग्री तक तापमान में चिलचिलाती गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में मक्का निवासी आमेर अब्दुल्ला ने इस्लाम के सबसे पवित्र शहर में लंबे समय से चली आ रही परंपरा का सम्मान करने के लिए वार्षिक हज यात्रा करने वाले उपासकों को मुफ्त चाय और ब्रेड वितरित की.
अपने पांच बेटों के साथ, 45 वर्षीय सऊदी नागरिक अब्दुल्ला अपनी शामें थके हुए मुस्लिम तीर्थयात्रियों को गर्म पेय परोसने में बिताते हैं. उन्होंने कहा कि हज आतिथ्य उसके खून में है. अब्दुल्ला ने हज अनुष्ठान शुरू होने से पहले एएफपी को बताया, ‘‘मक्का के लोगों के लिए, तीर्थयात्रियों की सेवा से बड़ा कोई सम्मान नहीं है.’’
इससे खानदानी रवायत का अहसास बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता ने वैसा ही किया, जैसा उनके पहले के उनके पूर्वजों ने किया था और अब मैं इसे अपने बेटों को सौंपने की कोशिश कर रहा हूं.’’
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मक्का में होटल और ऊंची इमारतें बनने से पहले, स्थानीय लोग तीर्थयात्रियों को अपने घरों में ठहराते थे. अब, जबकि पवित्र शहर लक्जरी आवास और वातानुकूलित शॉपिंग मॉल से भरपूर हैं. फिर भी इन सुविधाओं ने आतिथ्य की गहरी जड़ें जमाने वाली संस्कृति को प्रतिस्थापित नहीं किया है.
हर दिन दोपहर के आसपास, अब्दुल्ला और उनके बेटे वैक्यूम फ्लास्क में चाय और गर्म दूध भरना शुरू करते हैं. रात को बाहर निकलने से पहले वे सैकड़ों रोटियाँ कसकर बंद प्लास्टिक की थैलियों में पैक करते हैं. ग्रैंड मस्जिद का इलाका उपासकों से भरा हुआ है, जिनमें से कुछ चार दिवसीय तीर्थयात्रा की अवधि के लिए पूरी तरह से हैंडआउट्स पर जीवित रहते हैं.
अब्दुल्ला ने कागज के कप में चाय डालते हुए कहा, ‘‘यह यहां पीढ़ियों से चला आ रहा सम्मान है.’’ आतिथ्य सत्कार, जो पहले से ही सऊदी संस्कृति में मजबूती से निहित है. हज के दौरान यह और भी अधिक लोकप्रिय हो जाता है. इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज को सभी साधन संपन्न मुसलमानों को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए. इस वर्ष 160 से अधिक देशों से 20 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है.
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मुस्लिम परंपरा के अनुसार, वे ‘भगवान के मेहमान’ हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें आवास, भोजन और पेय प्रदान किया जाना चाहिए, भले ही वे इसे वहन न कर सकें. पूरे मक्का में, युवा लंबी कतारों में लगे तीर्थयात्रियों को चावल, चिकन या मांस से युक्त मुफ्त भोजन वितरित करते हैं.
मक्का में रहने वाले पाकिस्तानी व्यवसायी फैसल अल-हुसैनी कई हफ्तों से हर दिन गर्म भोजन वितरित कर रहे हैं. उन्होंने एक तीर्थयात्री को नीले प्लास्टिक बैग में भोजन सौंपते हुए कहा, ‘‘ 'Guests of God' की सेवा करना एक बड़ा सम्मान है.’’
47 वर्षीय मिस्र के आगंतुक महमूद तलत के लिए, सहायता राशि ही उनकी जीविका का एकमात्र स्रोत है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन भोजनों पर निर्भर हूं, क्योंकि मैं इन्हें वहन करने में असमर्थ हूं.’’ इस साल हज के लिए ग्रीष्मकालीन समय, जो चंद्र कैलेंडर का पालन करता है, ज्यादातर बाहरी अनुष्ठान के दौरान उपासकों के धैर्य की परीक्षा लेगा. जैसे ही तापमान 42 डिग्री सेल्सियस (107 डिग्री फारेनहाइट) से अधिक हो जाता है, युवा पुरुष तीर्थयात्रियों को गर्मी से बचने में मदद करने के लिए जमे हुए पानी की बोतलें वितरित करते हैं.
मक्का निवासी 25 वर्षीय हमजा ताहेर ने कहा, ‘‘हम पानी खरीदते हैं और उसे अच्छी तरह से ठंडा करते हैं. फिर हम प्रार्थना के बाद दिन में एक या दो बार इसे वितरित करना शुरू करते हैं.’’ पानी की बोतलों से लदे ट्रक के पास खड़े उनके 22 वर्षीय भाई अनस ने कहा कि वे मदद करने वाले अकेले नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मक्का के सभी लोग मदद के लिए दौड़ रहे हैं.’’
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मक्का के घरों में तीर्थयात्रियों की मेजबानी की परंपरा हाल के वर्षों में समाप्त हो गई है. सऊदी अधिकारियों ने एक बुनियादी ढांचा विस्तार परियोजना शुरू की है, जिससे आवासीय विकल्प बढ़ गए हैं. लेकिन शहर के कई निवासी आज भी सदियों पुरानी प्रथा को याद करते हैं. मक्का के एक निवासी ने गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘जब मैं बड़ा हो रहा था, तो हम अपने घरों में तीर्थयात्रियों की मेजबानी करते थे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक खूबसूरत परंपरा थी.’’
और जब कुछ प्रथाएं खत्म हो रही हैं, तो नई प्रथाएं चलन में आ रही हैं, जिसमें शिक्षा मंत्रालय की राज्य के नेतृत्व वाली पहल भी शामिल है, जिसके तहत हज में मदद करने के लिए मक्का के सैकड़ों स्कूली बच्चों को भेजा गया है. उनके कार्यों में व्हीलचेयर से जाने वाले तीर्थयात्रियों की सहायता करना और गैर-अरबी भाषियों को पवित्र स्थलों तक मार्गदर्शन करना शामिल है.
17 वर्षीय छात्र सुल्तान अल-गामदी ने कहा, ‘‘मैं वह काम पूरा कर रहा हूं, जो मेरे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पहले शुरू किया था.’’