हालांकि नाना पाटेकर और सेना का यह संयुक्त अभियाान अभी अपने प्रारंभिक दौर में है, पर योजना बहुत व्यापक है. नाना पाटेकर के इस काम की देख-रेख करने वाले गणेश थोराट इस संवाददाता से बातचीत में कहते हैं, ‘‘ शिक्षा एकमात्र ऐसा अस्त्र है, जिसके माध्यम से हर बुराई को काबू में किया जा सकता है.’’
अभी कश्मीर में सरकारी स्कूलों की दशा बेहद खराब है. सालों तक इसके उत्थान और विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. परिणास्वरूप पर्याप्त शिक्षा का माहौल नहीं होने के चलते देश विरोधी शक्तियां यहां के बच्चों और युवाओं को वरगलाने में सफल रहीं और उनसे पत्थरबाजी से लेकर आतंकवादी हरकतें कराती रहीं.
पांच साल पहले 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद जब कश्मीर आतंकवाद के रास्ते को त्याग कर शांति के पथ पर चलने और सूबे में कानून का राज स्थापित होने लगा है तब से हर स्तर पर यहां के युवा वर्ग को उचित माहौल देने की कोशिशें हो रही हैं.
इस समय प्रदेश सरकार जहां खेल और बुनियादी ढांचे को सुधारने और पूंजीनिवेश लाने के प्रयासों में लगा है, वहीं नाना पाटेकर की गैर सकरकारी संस्था ‘नाम’ ने कश्मीरी बच्चों को शिक्षा का बेहतर माहौल देने के लिए भारतीय सेना से हाथ मिलाया है.
इस प्रोजेक्ट को अभिनेता नाना पाटेकर के बेहद खास और ‘नाम’ फाउंडेशन के सीईओ गणेश थोराट और नाना पाटेकर के बेटे मल्लार संभाल रहे हैं. थोराट का कहना है-‘‘शिक्षा का माहौल अच्छा होगा तो बच्चे अपने आप सही रास्ते पर चल पड़ेंगे.’’
गणेश थोराट बताते हैं-‘‘ आर एंड डी यानी रिसर्जन एवं डेवलपमेंट के बाद एक व्यापक योजना बनी, जिससे धीरे-धीरे सिरे चढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.’’ कश्मीर में शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार करने को कुछ बड़ी सीएसआर कंपनियों को लाया जाएगा. थोराट कहते हैं-‘‘योजना का खाकर ऐसा है कि इसकी निगरानी स्थानीय लोग अपने स्तर पर कर करेंगे.’’
अभियान का श्रीगणेश नियंत्रण रेखा के गांव से
इस अभियान का श्रीगणेश पाकिस्तान की सीमा से लगते गग्गर हिल प्राइमरी स्कूल से कर दिया गया है. पिछले दिनों इसका उद्घाटन किया गया. उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार-‘‘भारतीय सेना के चिनार कोर और नाम फाउंडेशन के सहयोग से गग्गर हिल प्राइमरी स्कूल का जीर्णोद्धार किया गया.
इसका लाभ गग्गर हिल, चोटाली और कुराली के गांव के छात्रों को मिलेगा. स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान बच्चों के बीच आवश्यक स्कूली सामान वितरित किए गए. साथ ही महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास को बढ़ावा देने की खातिर ग्रामीण महिलाओं को सिलाई- कढ़ाई मशीनें और अन्य सिलाई सामग्री उपलब्ध कराई गई.
इसके अलावा नाम फाउंडेशन और सेना के सहयोग से स्थानीय युवाओं को आवश्यक कौशल के साथ सशक्त बनाने के लिए चिनार 9जवान क्लब, बोनियार की स्थापना की गई और उन्हें बेकरी, आईटी और सिलाई कक्षाओं से संबंधित आवश्यक सामान मुहैया कराए गए.
वर्तमान परियोजना के संदर्भ में गणेश थोराट ने बताया कि कश्मीर के बोनियार क्षेत्र में शिक्षा और स्वरोजगार का माहौल तैयार करने के लिए नाम फाउंडेशन और भारतीय सेना की परोपकारी साझेदारी में बुनियादी ढांचे के विकास, विभिन्न स्कूलों के जीर्णोद्धार और चिनार नौजवान क्लब, बोनियार के छात्रों को आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराकर बोनियार में भारत के अनुकूल माहौल तैयार करन का प्रयास चल रहा है.
नाना पाटेकर के बेटे मल्लार के अनुसार, ‘‘ यह इलाका पाकिस्तान के नियंत्रण रेखा के बिल्कुल पास है. यहां के गग्गर हिल प्राइमरी स्कूल का परिवर्तनकारी नवीनीकरण किया गया है ताकि छात्रों को शिक्षा का उचित माहौल, सुविधा और सुरक्षित मिल सके.’’
मल्लार के अनुसार, भारतीय सेना और नाम फाउंडेशन चाहते हैं कि वित्तपोषित इस पहल के माध्यम से गग्गर हिल, चोटाली और कुराली के दूरदराज के गांवों के छात्रों और उनके परिवारों को जिम्मेदार और सशक्त बनाया जा सके. इस लिए स्कूल के बच्चों को पढ़ाई की सामग्री और वर्दी देने के अलावा उनके परिजनों को स्वावलंबी बनाने की योजना पर काम चल रहा है.
सेना और नाम के काम से प्रभावित सरहद के ग्रामीण
बातचीत में गणेश थोराट कहते हैं कि वह गग्गर हिल प्राइमरी स्कूल के जीर्णोद्धार और गांव में परिवर्तनकारी कार्यों को सिरे चढ़ाने के सिलसिले में पिछले साल से काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में उन्हांेने पिछले साल यहां का दौरा किया था.
गणेश थोराट गांव वालों के आथित्य से बेहद गदगद हैं. वह बताते हैं, ‘‘ काम के दौरान ग्रामीणों ने कभी इसका एहसास नहीं होने दिया कि वे दूसरे प्रदेश के हैं या अन्य जाति-धर्म के. सभी ने उन्हें हाथों हाथ लिया और उनकी जमकर आव-भगत की.
गणेश थोराट कहते हैं-‘‘सेना और नाम फाउंडेशन के कार्यों का प्रभाव आसपास के क्षेत्रों पर भी पड़ा है.वहां के ग्रामीण भी चाहते हैं कि उनके स्कूल की सूरत बदले और महिला शक्तिकरण और कौशल विकास के काम उनके यहां भी हों.
गणेश ने बताया कि इसके लिए अब तक उनके पास 14आवेदन आए हैं. इसके अलावा कई और स्कूलों में टाॅयलेट बनाने से लेकर दूसरे छोटे-मोटे कार्य कराए जाएंगे. यहां के बाद बारामूला में अभियान शुरू होगा.
शिक्षा के छोटे-मोटे कार्यों से धीरे-धीरे पूरे कश्मीर में योजना को विस्तार दिया जाएगा. नाम और सेना के मुताबिक माहौल तैयार होने के बाद शिक्षा को लेकर कई बड़े प्रोजेक्ट लाने का इरादा है, जिसका भरपूर लाभ घाटी के युवा उठा सकेंगे.
गणेश थोराट पेशे से सिविल इंजीनियर हैं, इसलिए नाना पाटेकर ने उन्हें स्कूलों के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी विशेष तौर से उन्हें सौंपी है. नाना एक टीवी शो में थोराट की तारीफ करते हुए कहते हैं-‘‘बहुत अच्छा बच्चा है. अपना काम बहुत ईमानदारी से करता है.’’ थोराट नाम फाउंडेशन के स्थापना काल से नाना पाटेकर से जुड़े हुए हैं. वह कहते हैं, ‘‘नाना पाटेकर साहब से जुड़ना उनके लिए सौभाग्य है.’’
क्या है फाउंडेशन नाम
तकरीबन 10 साल पुरानी बात है. एक बार नाना पाटेकर को भी अन्य अभिनेताओं की तरह लक्जूरियस कार खरीदने का ख्याल आया. इसके लिए उन्होंने डेढ़ करोड़ रूपये इकट्ठे भी कर लिए. इस बीच एक दिन उन्होंने महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या करने की खबर पढ़ती तो कार खरीदने का इरादा त्याग दिया और कार के लिए जमा किए गए सारे पैसे एक हजार किसानों में वितरित कर दिए.
बाद में किसानों की निरंतर सहायता करने के लिए नाना पाटेकर ने मराठी अभिनेता मकरंद अनासपुर के साथ मिलकर 2015में गैर सरकारी संगठन नाम फाउंडेशन की स्थापना की. नाना कहते हैं, ‘‘यह एक संस्था नहीं आंदोलन है.’’ नाम महाराष्ट्र में विनाशकारी सूखे और किसानों को पीड़ादायक स्थिति से उभारने के लिए निरंतर काम कर रहा है.
इसके लिए गांवों के विकास, किसानों की आत्महत्या रोकने और जल संकट से उबराने के लिए तरह-तरह के प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा नाम फाउंडेशन किसानों को शिक्षित कर संग्रहित भूजल के उपयोग में संतुलन बहाल करने, मौजूदा नहरों और परित्यक्त जल परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में भी लगा है. इसमें से कई परियोजनाएं सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंच भी चुकी हैं और कई पाइपलाइन में हैं.
हालांकि, नाम फाउंशन के काम का दायरा महाराष्ट्र से बढ़कर यूपी और कश्मीर तक पहुंच गया है. नाम फाउंडेशन यूपी सरकार और टाटा मोटर्स के साथ मिलकर जल्द ही बुंदेलखंड के क्षेत्र में हर घर नल परियोजना प्रारंभ करेगा, जबकि कश्मीर में इसने शिक्षा के वातावरण में बदलाव का बीड़ा उठाया है.
नाना पाटेकर का कश्मीर से अनाम रिश्ता
वरिष्ठ अभिनेता नाना पाटेकर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि दुनिया का ‘स्वर्ग’ कहे जाने वाले कश्मीर से उनका दिल का रिश्ता है. वह इस केंद्रीय शासित प्रदेश के कुपवाड़ा, बारामूला, सोपोर आदि में बहुत समय गुजार चुके हैं. यह कारगिन युद्ध के समय की बात है.
नाना पाटेकर ने मराठा लाइट इनफेंट्री में तीन साल गुजारा है. इस दौरान उन्होंने कमांडो के अलावा अन्य युद्ध कलाओं के कोर्स किए हैं. वे अच्छे शूटर भी रहे हैं.
एक मीडिया आउट लेट्स के एक इंटरव्यू में नाना पाटेकर ने खुलासा किया कि जब कारगिल में पाकिस्तानी सेना भारत में घुस आई तब उन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर पड़ोसी मुल्क की सेना के विरूद्ध युद्ध करने की ठानी. इसके लिए उन्होंने तत्तकालीन सेना प्रमुख से बात की, पर उन्हांेने नाना को यह कहते हुए सेना के साथ लड़ाई में शामिल होने से मना कर दिया कि वे सिविलियन हैं.
जब नाना ने उन्होंने बताया कि वह तीन साल कमांडो ट्रेनिंग ले चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें सेना में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद उन्हांेने तत्कालीन रक्षा मंत्री जाॅर्ज फर्नांडिस से इस विषय पर बात की. वह नाना से परिचित थे. उनसे बातचीत का नतीजा यह रहा कि उन्हें सेना में शामिल कर दुश्मन देश की सेना से लड़ने का आदेश दे दिया गया. उसके बाद नाना पाटेकर कश्मीर भेज दिए.
बातचीत में नाना पाटेकर ने खुलासा किया कि वह सेना के क्यूआरटी में थे. इस दौरान उनके पास सेना की कई अहम जिम्मेदारियां थीं. इसी दौरान वह कुपवाड़ा, बारामूला, सोपोर आदि में तैनात किए गए थे. नाना पाटेकर बताते हैं कि सेना के साथ उन्होंने तब इस कदर संघर्ष किया कि उनका वजन चिंताजनक स्थिति तक कम हो गया था.
वह कहते हैं कि सेना और पुलिस के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान है. आज भी जब वह सड़क से गुजरते समय किसी ट्रैफिक पुलिस वाले को डयूटी करते देखते हैं तो गाड़ी रोक कर उसका हाल-चाल लेना नहीं भूलते.
नाना कहते हैं उनके ऐसा करने से उक्त पुलिस कर्मी की कुछ समय की थकान दूर हो जाती है. नाना पाटेकर बातचीत मंे देश वासियों से भी सेना और पुलिस का सम्मान करने का आहवान करते हैं. वह कहते हैं-‘एक वे ही तो हैं जो आपकी रक्षा करते हुए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं.’’
नाना पाटेकर और एनएसए अजीत डोभाल
यह रहस्य भी बहुत कम लोगों को पता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सिने अभिनेता नाना पाटेकर के बीच बहुत गहरे संबंध हंै. हालांकि, दोनों ही अपने रिश्ते को लेकर सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करना चाहते.
नाना पाटेकर से मीडिया आउट लेटे्स ‘ललन टाॅप’ ने जब एक इंटरव्यू में इस रिश्ते के बारे में बातचीत करने का आग्रह किया गया तो उन्होंने बड़ी विनम्रता से इसे टाल दिया. इसपर ज्यादा नहीं बोले. मगर अजीत डोभाल का नाम लेते ही नाना भावुक हो गए.
उन्हांेने बस इतना ही कहा-‘‘ अजीत डोभाल मेरे बड़े भाई के समान हैं. उनके साथ एक अजीब सा रिश्ता है, जिसे बयान नहीं किया जा सकता.’’ साथ ही उन्होनें यह भी कहा-‘‘ हमारे रिश्ते के बीच यह फर्क नहीं पड़ता कि कि वे कितने बड़े पद पर हैं.’’ संयोग की बात देखिए कि अजीत डोभाल और नाना पाटेकर कश्मीर के हालात को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं.