मुस्लिम बच्चियों ने महाकुंभ मेले को रंगा सद्भाव के रंग में

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 15-01-2025
Muslim girls painted the Maha Kumbh fair in the color of harmony
Muslim girls painted the Maha Kumbh fair in the color of harmony

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
भारत विविधता में एकता का देश है. जहां 144 साल बाद महाकुम्भ का आयोजन किया गया है. महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया पर एकता का महाकुम्भ हैशटैग टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया. वहीँ हमें महाकुम्भ में एकता, सद्भाव, भाईचारे से ओतप्रोत मुस्लिम बच्चियां नजर आई जो अपने हाथों से प्रयागराज में महाकुंभ मेले में कलाकारी कर कुम्भ नगरी को दुल्हन की तरह सजाने में जुटी हुई हैं.
 
महाकुम्भ मेला, जो भारत में आयोजित होने वाला एक विशाल धार्मिक समागम है, विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है. इस आयोजन में विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमियों से लाखों लोग एकत्र होते हैं. इसी बीच, कुछ मुस्लिम लड़कियां एकता और हार्मनी का शक्तिशाली संदेश फैला रही हैं, जो इस महान अवसर पर धार्मिक सामूहिकता के बीच साम्प्रदायिक शांति और समझ को बढ़ावा दे रही हैं.
 
 
 
तस्वीरों में नजर आ रहीं ये मुस्लिम बच्चियां इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हैं. जो बीटेक, बीएससी कर रही हैं और कई बच्चियां नौवीं कक्षा में पढ़ती हैं. 
 
प्रयागराज और उसके आसपास के स्टेशनों को कुंभ-2025 के दौरान एक सुंदर रूप प्रदान करने के लिए, कई रेलवे स्टेशनों को हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित आकर्षक भित्ति चित्रों से सजी दीवारों के साथ सुंदर केंद्रों में बदल दिया गया है.
 
 
नौवीं कक्षा की छात्रा शारा खान ने बताया की "वे महाकुम्भ की लम्बी छोड़ी दीवारों को काफी लम्बे समय से रंगने में व्यस्त हैं इस पर वे रंग बिरेंगे फूलों से कलाकृतियां बनाकर तैयार कर रही हैं इसमें उनका साथ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्राएं भी दे रही हैं."
 
इन छत्रायों के अनुसार, रामायण, कृष्ण लीला, भगवान बुद्ध, शिव भक्ति, गंगा आरती और महिला सशक्तिकरण जैसे जीवंत और पौराणिक प्रतिबिंब प्रदान करने के लिए थीम चुनी गई हैं, ताकि शहर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को जीवंत किया जा सके और आस्था और परंपरा की जीवंत कथा के साथ तीर्थयात्रियों का स्वागत किया जा सके.
 
 
कलाकृतियाँ शहर की गहरी जड़ें जमाए परंपराओं को दर्शाती हैं, जिसमें ऋषि परम्पराएँ, गुरु-शिष्य वंश और ज्ञान और त्याग का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण शामिल है, जो आगंतुकों को इसके कालातीत सार की एक झलक प्रदान करता है. 
 
ये मुस्लिम बच्चियां आस्था के महाकुंभ मेले में एकता और सद्भाव का संदेश का प्रसार कर रही हैं. इन मुस्लिम लड़कियों ने महाकुम्भ मेला में सक्रिय रूप से भाग लिया है, और वे केवल आर्टिस्ट नहीं, बल्कि आपसी सम्मान, प्रेम और सहनशीलता के महत्व को उजागर करने वाली संवाददात्री बनीं हैं. वे विभिन्न धर्मों से जुड़े श्रद्धालुओं और आगंतुकों से बातचीत करती हैं, यह संदेश फैलाने का प्रयास करती हैं कि आज के इस बढ़ते विभाजन के दौर में आपसी शांति और समझ कितनी महत्वपूर्ण है.
 
 
इनकी उपस्थिति और संदेश विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि महा कुम्भ मेला मुख्यतः हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक धार्मिक आयोजन है. इन मुस्लिम लड़कियों की भागीदारी एकता के प्रतीक के रूप में सामने आई है, जो यह दर्शाती है कि मानवता के सार्वभौमिक मूल्य धार्मिक सीमाओं से परे हैं.