World Blood Donor Day :बिहार के मुस्लिम रक्तवीर, खून देने के लिए हरदम तैयार

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 15-06-2024
Team of Faizan Ali
Team of Faizan Ali

 

सेराज अनवर / पटना

‘जब बचानी हो जान, तो कर आएं रक्तदान’ इस टैग लाइन के साथ बिहार के गया जिले में आबिद और फैजान की टीम 24 घंटे ख़ून देने के लिए खड़ी रहती है. गया शहर के फैजान अली जो एक सामाजिक संस्था के संस्थापक भी हैं और महज 24 साल की उम्र में रक्तदान करने वालों की टीम खड़ी कर दी है.

इनकी टीम में शामिल 25 सदस्य 24 घंटे रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं. टीम में हिंदू-मुसलमान सभी हैं. दूसरा नाम आबिद इमाम का है, जिसने आरा के वेदप्रकाश के साथ ऊंच-नीच, जाति-धर्म की दीवार तोड़कर अपने रक्त से मोहब्बत और इंसानियत की ऐसी इबारत लिखी है कि लोग उन्हें दिल से चाहने लगे हैं.

नवादा में गुड्डु मुखिया उर्फ एहतेशाम कैसर दो वर्षों से अपने आलीशान होटल में रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहे हैं. बिहार में रक्तवीरों की दास्तान लिखी जायेगी, तो इन मुसलमानों का भी शुमार होगा.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828746027_Muslim_blood_donors_of_Bihar_are_always_ready_to_donate_blood_5.jpg

फैजान ने खड़ी कर दी रक्तवीरों की टीम

फैजान की टीम में शामिल मुस्लिम लड़कियां बेहिचक रक्तदान करने में आगे रहती हैं. फैजान के सामाजिक संगठन ह्यूमन हूड का थीम ही है- ‘जब बचानी हो जान, तो कर आएं रक्तदान.’ फैजान ने इलाके के लोगों में ऐसा जज्बा पैदा किया कि विपुल सिन्हा, अंशुल सिन्हा, राहुल कुमार, आकाशदीप, प्रज्ञा, मनीषा, जैनब, सदफ, निशात, नवाब आलम, सैफी खान, हामिद खान, मोहम्मद आकीब, सैफ अनवर, रुमान अहमद, इंशा रहमान, रीना शाह, अदिति भारद्वाज, शबनम आरा, अमृता ने रक्तदान को अपना ईमान बना लिया है. टीम में अधिक्तर कॉलेज के विद्यार्थी हैं.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828748427_faizan_ali.jpg

ह्यूमन हूड सोशल मीडिया और अपने संपर्कों के आधार पर इस काम को अंजाम दे रहा है. पिछले बरस की बात है कि ह्यूमन हूड को पता चला कि पड़ोसी जिला जहानाबाद के अभय शर्मा को ब्लड की जरूरत है. फैजान ने टीम के साथियों से संपर्क किया. सैफी खान रक्तदान को तैयार हुए और अभय शर्मा को अपना ब्लड दे आए. अभय कैंसर पीड़ित थे.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828750627_Muslim_blood_donors_of_Bihar_are_always_ready_to_donate_blood_3.jpg

सैफी कहते हैं, ‘‘अवसर कभी-कभी दरवाजे पर दस्तक देता है, इसलिए इसे कभी हाथ से न जाने दें और जब भी मौका मिले रक्तदान जरूर करें. इस सोच के तहत हमलोग काम करते हैं.’’ वे कहते है, ‘‘लहू का रंग एक है, इसे ह्यूमन हूड आत्मसात भी कर रहा है.’’

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828755127_Muslim_blood_donors_of_Bihar_are_always_ready_to_donate_blood_3.jpg

अलका सिन्हा को रक्त की जरूरत पड़ी, तो नवाब आलम खड़े हो गए. बनारस के करीब डेहरी ऑनसोन की उषा देवी को हामिद खान का खून चढ़ा. नीरज कुमार के लिए मोहम्मद आकिब ने रक्तदान किया. यह सामाजिक सद्भाव और हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी है.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828753427_Muslim_blood_donors_of_Bihar_are_always_ready_to_donate_blood_2.jpg

गौरतलब, है कि टीम की मुस्लिम लड़कियों का उत्साह भी कम सराहनीय नहीं. वो खुद रक्तदान करने आती हैं. कुछ अपने अभिभावक के साथ आती हैं. बच्चों के जज्बे से वो इतना प्रभावित होते हैं कि खुद को रक्तदान से नहीं रोक पाते.

फैजान छोटी उम्र से ही बड़ों की संगत और सामाजिक सरगर्मी से जुड़े रहे हैं. आवाज-द वॉयस को फैजान ने बताया, ‘‘बचपन से समाज सेवा और इंसानियत की खिदमत करने की ललक थी. इस सोच को परवान देने के लिए 2017 में ह्यूमन हूड ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की.

तब उसकी उम्र 18 साल थी. एक साल बाद 2018 में पहली बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया. यह काफी उत्साहवर्द्धक रहा. तब हमारी टीम में कॉलेज के दो-चार साथी ही मिशन से जुड़े थे. फिर कारवां बनता गया. आज एक बड़ी टीम इस काम से जुड़ी है.

रक्तदान का बिहार के साथ देश भर में चेन बनाने का प्रयास है. दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ के साथियों को अभियान से जोड़ा जा रहा है.’’ फैजान बताते हैं कि दिल्ली में एक व्यक्ति को खून की जरूरत पड़ी, वहां के एक साथी से सम्पर्क किया गया और रक्तदान की व्यवस्था की गई. 22 वर्षीय फैजान बुद्ध, विष्णु के गया शहर के रहने वाले हैं और बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

नेजामिया यूनानी में ह्यूमन हुड की शिविर

हाल में गया के नेजामिया यूनानी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में ह्यूमन हुड ऑर्गनाइजेशन द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. इस मौके पर कहा गया कि रक्तदान एक महत्वपूर्ण कल्याणकारी कार्य है.

रक्त बनाने की कोई फैक्ट्री नहीं होती, जिससे रक्त बनाया जा सके. रक्तदान ही एक ऐसा कार्य है, जिसके द्वारा रक्त संग्रह किया जा सकता है. रक्त की आवश्यकता आए दिन पड़ते रहती है और जब कोई मरीज, जो एक्सीडेंट केस, डिलीवरी केस, कैंसर पेशेंट और एनीमिया जैसे रोगी हों, तो उन्हें रक्त की आवश्यकता जरूर पड़ती है और अगर समय पर रक्त नहीं मिला, तो वैसे मरीजों की जान चली जाती है. अगर आपके रक्तदान से किसी की जान बचती है, तो इससे बड़ा कल्याणकारी कार्य और क्या हो सकता है.

रक्तदान शिविर में समाज सेवा और कल्याणकारी भाव रखने वाले इस कॉलेज के टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ, एवं कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं ने पिछले महीने 23 जून को नेजामिया यूनानी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के केंपस में ह्यूमन हुड ऑर्गनाइजेशन के द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया था.

रक्तदान शिविर में छात्र छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और रक्तदान किया. रक्तदाताओं की सूची में डॉक्टर मोहम्मद एहतेशाम उद्दीन, डॉ हबीबुर्रहमान, डॉक्टर मोहम्मद असगर, डॉक्टर जफीरुल हसन, डॉ नूरुल हुदा, डॉ हुमायूं शामिल हैं. इनके अलावा छात्रों ने भी रक्तदान में भाग लिया, जिनमें मोहम्मद दिलशाद आलम, मोहम्मद जहांगीर, मोहम्मद अफसर, मोहम्मद फरहान, अब्दुल रहमान, जकीउर रहमान, मोहम्मद साकिब, मोहम्मद फैयाज, मोहम्मद असलम, मोहम्मद ताबिश, मोहम्मद शाहिद इमाम, मोहम्मद गुड्डू, ज्योतिराज और ह्यूमन हुड ऑर्गनाइजेशन के सदस्य नबील अहमद, फैजान मलिक, काशिफ सिराज, साकिब आलम, फैजान अली आदि लोगों ने रक्तदान किया.कॉलेज के सचिव मोहम्मद शोएब आलम और कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर मोहम्मद शमशाद आलम ने समाज सेवा एवं कल्याणकारी कार्य में भाग लेने वाले सभी कॉलेज के टीचिंग स्टाफ और नन टीचिंग स्टाफ, और रक्त वीरों के योगदान को सराहा और इसे समाज और इंसानियत के हित में महत्वपूर्ण कार्य बताया.

नवादा में गुड्डु मुखिया ने लगाया शिविर

एहतेशाम कैसर उर्फ गुड्डु नवादा जिले की नरहट पंचायत के मुखिया हैं. इनके द्वारा पिछले दो वर्षों से किंग पैलेस होटल नवादा में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसी महीने 9 जून को शिविर में लगभग दो दर्जन लोगों ने स्वेच्छा से ब्लड डोनेट किया. गुड्डु मुखिया ने बताया कि इस शिविर में मो. आसिफ, सीपू वर्णवाल, गौरव कुमार, मो. ताज अंसारी, ताबिश बरकत तथा कैसर उर्फ बंटी समेत कुल 21 लोगों ने रक्तदान किया.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828767627_guddu_mukhiya_1.jpg

गुड्डु ने बताया कि नवादा होटल में इस बार मिलाकर कुल तीन बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि इसके पूर्व नरहट गांव में भी रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था. गुड्डु कहते हैं कि कि रक्तदान महादान है, रक्तदान कर किसी की जान बचाई जा सकती है. रक्तदान एक बहुत बड़ा पुण्य का काम है. प्रभारी सिविल सर्जन डॉ एसकेपी चक्रवर्ती के निर्देश पर सदर अस्पताल की टीम ने किंग पैलेस होटल पहुंचकर रक्त संग्रह का काम किया.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828769427_guddu_mukhiya_2.jpg

उन्होंने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए. रक्तदान करने से कई तरह की बीमारियों से निजात मिलती है. आपके दान किये गये रक्त से किसी की जान बचायी जा सकती है. रक्तदान में लोगों को बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए, ताकि मुसीबत में जरूरतमंदों की सहायता की जा सके. रक्तवीरों ने रक्तदान कर मानवता की मिसाल पेश की है, इनकी जितनी प्रसंसा की जाये, वह कम होगी. नरहट मुखिया गुड्डु ने सभी रक्तवीरों को मेडल देकर सम्मानित किया. मुखिया के इस नेक कार्य की चहुंओर प्रशंसा हो रही है.

आबिद इमाम ने 32 बार दिया ख़ून

बिहार में कई रक्तवीर सामने आए हैं. उनमें एक हैं गया शेरघाटी के आबिद इमाम भी हैं. इन्होंने रिकार्ड् 32 बार अपना ख़ून दान दिया और यह सिलसिला आज भी जारी है. आबिद इमाम के साथी हैं वेद प्रकाश. पेशे से शिक्षक वेदप्रकाश भी अब तक 18 बार रक्तदान कर लोगों की जान बचा चुके हैं. उनमें कई मुस्लिम हैं. आबिद इमाम मूलरूप से बिहार के गया जिले के शेरघाटी निवासी हैं. सामाजिक कार्यकर्ता आबिद इमाम वाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों की सहायता करते हैं. दो बार 75 किमी दूर चलकर गर्भवती महिला को खून दे चुके हैं. उन्होंने रक्तदाता समूह बना रखा है. इसमें बिहार के कई जिलों के करीब दो सौ लोग शामिल हैं. शेर घाटी के अलावा दूर दराज के इलाकों में भी आबिद इमाम रक्त मुहैया करा चुके हैं. समाज सेवा को समर्पित आबिद इमाम असहाय लोगों की मदद भी करते हैं. वह कहते हैं, ‘‘सेवा करते समय किसी की जाति-धर्म नहीं देखती जाती’’.

https://www.hindi.awazthevoice.in/upload/news/171828818927_abid_imam_1.jpg

बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने आबिद इमाम को रक्तदान के सराहनीय कार्य के लिए नवाज चुके हैं. आबिद इमाम बताते हैं कि गया कॉलेज में पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ने का मौक़ा मिला और तब से ही रक्तदान के प्रति समर्पित होता चला गया.