करबी शर्मा/ गुवाहाटी
ऐसे समय में जब देश में अक्सर धार्मिक असहिष्णुता की घटनाएं देखने को मिलती हैं, असम के एक मुस्लिम लड़के ने अपने हिंदू दोस्त और उसके परिवार की मदद करके मानवता की मिसाल कायम की है, जो बेहद जरूरतमंद थे.
यह घटना केरल में हुई, जहां मध्य असम के नागांव जिले के रितुल बोरा रोजगार की तलाश में दक्षिण भारतीय राज्य में आए थे. हालांकि, काम पर जाने से पहले रितुल बीमार पड़ गए और केरल के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
हालांकि रितुल की मां और रिश्तेदार शव लेने के लिए केरल पहुंचे, लेकिन समस्या अस्पताल के बिलों से शुरू हुई, जो बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गए. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के पास अस्पताल के बिलों का भुगतान करने, शव को अस्पताल से निकालने और अंतिम संस्कार के लिए घर वापस लाने के लिए पैसे नहीं थे.
मृतक के परिवार के सदस्य अस्पताल के बिलों का भुगतान करने के लिए धन जुटाने के विकल्पों पर काम कर रहे थे, तभी उन्हें रितुल के दोस्त हनीफ अली में मसीहा दिखाई दिया, जो पिछले 12 वर्षों से केरल में मजदूरी कर रहा था.
हनीफ, जो परिवार की पीड़ा को सहन नहीं कर सका, ने अस्पताल के बिलों का भुगतान करने के लिए 1.46 लाख रुपये का ऋण लिया ताकि परिवार रितुल के शव को अस्पताल से निकालकर घर ले जा सके.
इस संवाददाता से बात करते हुए हनीफ ने कहा, "मैं रितुल को लंबे समय से जानता हूं. मैं नागांव के कुमार गांव से हूं. हम लगभग एक साथ बड़े हुए हैं.
मैं पिछले 10 वर्षों से केरल में काम कर रहा हूं. हालांकि, 1.46 लाख रुपये मेरे लिए बहुत बड़ी रकम है और मेरे पास इतनी रकम नहीं है. लेकिन मैं परिवार की पीड़ा देख सकता था और मैंने अपनी कंपनी के मैनेजर से एडवांस के लिए बात की.
मैनेजर ने आखिरकार मुझे एडवांस देने के लिए सहमति दे दी. मैंने पैसे लिए और रितुल के परिवार को दे दिए." हनीफ ने बताया कि उनकी कंपनी ने उन्हें पैसे दिए थे, लेकिन शर्त यह थी कि हनीफ एडवांस चुकाए बिना कंपनी नहीं छोड़ पाएंगे और वह एडवांस चुकाए बिना केरल नहीं जा पाएंगे.
"परिवार मुश्किल में था और मैं उनकी मदद करना चाहता था. मैं अपने बचपन के दोस्त के परिवार को इस तरह कैसे परेशान होते देख सकता हूं? उन्हें मदद की जरूरत थी और मुझे खुशी है कि मैं उनके काम आ सका," हनीफ ने कहा.
यहां यह भी बता दें कि अत्यधिक कठिनाई से परेशान होकर रितुल ने काम की तलाश में केरल जाने का फैसला किया. हालांकि रितुल 24 फरवरी को केरल पहुंच गया था, लेकिन काम शुरू करने से पहले ही वह बीमार पड़ गया.
27 फरवरी को स्थिति और खराब हो गई, जब हनीफ को रितुल को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. हालांकि अस्पताल के डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन 5 मार्च को रितुल की अस्पताल में ही मौत हो गई.
"हम हनीफ अली के हमेशा आभारी रहेंगे. हनीफ अली की वजह से ही हम रितुल के शव को अस्पताल से बाहर निकाल पाए.
रितुल के रिश्तेदार रंजीत दास ने कहा, हम शव को नागांव में उसके पैतृक स्थान ले जा रहे हैं.