मंसूरुद्दीन फरीदी / प्रयागराज-नई दिल्ली
अगर मैंने किसी की जान बचाई तो यह मेरा कर्तव्य था. यह मानव सेवा है... जब आप किसी की मदद करते हैं, तो आप कभी यह नहीं देखते कि वह किस धर्म या वर्ग से है. इतना ही नहीं, धर्म ने यह भी सिखाया है कि दुनिया में सबसे कीमती चीज इंसान की जान है. इसलिए, अगर मैंने रामशंकर की जान बचाई या उन्हें समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई, तो यह मेरा कर्तव्य था. यह शब्द प्रयागराज के युवा वकील और सामाजिक कार्यकर्ता फरहान आलम के हैं, जिन्होंने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान दिल का दौरा पड़ने पर रामशंकर के एक भक्त को समय पर सीपीआर देकर उसे नया जीवन दिया.
पिछले सप्ताह की यह घटना तब प्रकाश में आई, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें फरहान आलम एक व्यक्ति के हृदय के पास दोनों हाथों से उसकी छाती पर दबाव डालते नजर आए. जो लगातार इस प्रक्रिया के माध्यम से अपने दिल की धड़कन को बहाल करने की कोशिश कर रहा था. उस व्यक्ति की पत्नी और बच्चे को रोते हुए देखा जा सकता था. बाद में पता चला कि फरहान आलम ही वह व्यक्ति था, जिसने महाकुंभ में आए श्रद्धालु रामशंकर की जान बचाई थी.
आवाज-द वॉयस से बात करते हुए फरहान आलम कहते हैं कि मेरे लिए ये कोई असामान्य बात नहीं है, ये मेरी जिम्मेदारी का हिस्सा था, जिसे मैंने बखूबी निभाया. सबसे बड़ी बात ये है कि मैंने सीपीआर के जरिए प्रयास किया. अल्लाह ने उसे कामयाब बनाया. इस घटना के बारे में फरहान आलम का कहना है कि मैं रेलवे स्टेशन पर तैनात था, लेकिन मेरे एक साथी मुहम्मद अरशद ने वॉकी-टॉकी पर एक श्रद्धालु की हालत बताई तो मैं कुछ ही मिनटों में घटनास्थल पर पहुंच गया. उस समय वह पूरी तरह से बेहोश थे और उनकी सांसें बंद हो चुकी थीं. लेकिन मैंने सीपीआर प्रक्रिया शुरू की और कुछ ही क्षणों की कड़ी मेहनत के बाद, सभी के चेहरों पर नए जीवन की खुशी स्पष्ट दिखाई दी.
आरपीएफ जवानों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया गया
आपको बता दें कि फरहान आलम प्रयागराज में एनजीओ हक की ओर से बाल अधिकारों के लिए यूनिसेफ के साथ काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि फरहान आलम प्राइम रोज शिक्षा संस्थान के संस्थापक हैं, जो एक सामाजिक संगठन है जिसकी स्थापना उनके पिता स्वर्गीय डॉ. नूर आलम ने 1994 में की थी.
संगठन ने महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों को प्रशिक्षित किया था, जिसमें कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन भी शामिल था. लेकिन किसी भी युवा से पहले यह चुनौती खुद फरहान आलम के सामने आई. वे कहते हैं कि यह एक चुनौती थी, बस हिम्मत के साथ प्रयास करो, बाकी सब अल्लाह की मर्जी.
फरहान आलम ने आवाज-द वॉयस को बताया कि महाकुंभ मेले से पहले आरपीएफ इंस्पेक्टर शिव कुमार सिंह के नेतृत्व में जवानों के लिए एक ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया गया था. मैंने जवानों को बताया कि सीपीआर कैसे किया जाता है और इसे करने का सही तरीका क्या है. यह? यह सब त्यौहार की तैयारियों का हिस्सा है.
चिकित्सा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आरपीएफ जवानों का एक दृश्य
यह भाईचारे का महाकुंभ है
फरहान आलम का कहना है कि महाकुंभ मेला हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, लेकिन हम सभी इसका सम्मान करते हैं और प्रयागराज के निवासी कुंभ मेले में हर तरह की जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि ये श्रद्धालु हमारे मेहमान हैं. यह हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य है कुंभ मेले से लौटने तक उनकी सुरक्षा की जाएगी. मेरा मानना है कि यह भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द का महाकुंभ है. यहां ऐसे मुसलमान भी हैं जो करोड़ों श्रद्धालुओं की सेवा के लिए स्वयंसेवक हैं, जो बड़ी शान से दिन-रात काम कर रहे हैं और कदम से कदम मिलाकर श्रद्धालुओं की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.
फरहान आलम ने आवाज-द वॉयस से कहा कि महाकुंभ मेला देश की गंगा-जमनी सभ्यता का प्रतीक है और इस बिंदु पर हिंदू या मुसलमान के बीच कोई अंतर नहीं है. धर्म के आधार पर किसी ने हमें सेवा करने से नहीं रोका, न ही आपत्ति जताई. दरअसल हम शहरवासी इसे अपना सामाजिक और मानवीय दायित्व मानते हैं. हमारा लक्ष्य श्रद्धालुओं की हर कठिनाई को दूर करना है. हम इसी भावना से काम करते हैं. स्वयंसेवकों का कोई धर्म नहीं होता, उन्हें बस मानवीय सेवा करनी होती है.
फरहान आलम ने राम शंकर के ठीक होने के बाद प्रयागराज के अस्पताल में उनसे मुलाकात की. उनके चेहरे पर नई जिंदगी की खुशी देखकर उन्हें धन्यवाद देने वालों का तांता लगा रहा, लेकिन फरहान आलम ने कहा कि उन्होंने अपना फर्ज निभाया, खुशी इस बात की थी कि वे समय पर घटनास्थल पर पहुंच गए और प्रयास सफल रहा. दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुंभ मेले में फरहान आलम ने ऐसी ही स्थिति में एक श्रद्धालु की जान बचाई थी. जिसका वीडियो उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है.
देश का सोशल मीडिया आईटी बाबा और ममता कुलकर्णी के बॉलीवुड से संन्यासिन बनने के सफर से भरा पड़ा है. शायद यही वजह है कि फरहान आलम की घटना किसी तरह इस बुखार में दब कर रह गई. फरहान आलम ने आवाज-द वॉयस को बताया कि इस घटना ने श्रद्धालुओं और वहां के प्रशासन को एहसास दिलाया कि प्रशिक्षण और तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है. कई लोग फरहान आलम को इस कार्य के लिए धन्यवाद दे रहे हैं और उनके जज्बे की तारीफ कर रहे हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ महोत्सव में आए श्रद्धालुओं ने फरहान आलम के प्रयासों की सराहना की और उन्हें सच्चा नायक माना.