शाहताज खान/ मुंबई
सपनों का शहर मुंबई! यहां जिंदगी दिन-रात दौड़ती है. यह मुंबई है साहब, यह कभी रुकती नहीं. मुंबई बॉलीवुड और फिल्मी सितारों के लिए प्रख्यात है तो मुंबई अपनी नाईट लाइफ़ के लिए भी प्रसिद्ध है.
यह ख्वाहिशों को पंख देती है. यहां कुछ ख्वाहिशें पूरी होती हैं तो कुछ अधूरी भी रह जाती हैं. मुंबई शहर में हर तरफ़ भीड़ है. पार्क, सिनेमा हॉल, मॉल, होटल, रेस्टोरेंट, हर तरफ़ इन्सानों का रेला है. लेकिन दिन-रात चलने वाली मुंबई केवल बॉलीवुड, नाईट लाइफ़ और समुद्र के कारण ही नहीं बल्कि अपने ढाबों के लिए भी जानी जाती है.
आमची मुंबई
भारत में लगभग हर हाइवे पर ढाबे स्थित हैं. एक समय था जब लम्बी-लम्बी यात्राओं के दौरान यह ढाबे लोगों के लिए एक पड़ाव मात्र थे. लेकिन अब यह लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं.
मुंबई में तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन परोसने वाले बड़े बड़े होटलों, रेस्टरों और कैफे की कमी नहीं है, फिर भी लोग मुंबई और उसके आस पास के इलाकों में बने ढाबों का रुख कर रहे हैं.
लोग सपरिवार खानों का मज़ा तो लेते ही हैं, साथ ही बच्चों की पिकनिक और लॉन्ग ड्राइव का आयोजन भी स्वतः हो जाता है. मुंबई से लगे इलाके जैसे घोड़ बन्दर रॉड, वसई विरार और भिवंडी में मोजूद ढाबों पर परोसे जाने वाले पारंपरिक व्यंजनों और संस्कृति की फुहार लोगों को आकर्षित कर रही है.
हफ़्ते के तीन दिन इन ढाबों में तिल धरने की जगह नहीं होती. लोगों की चहल-पहल रात में भी दिन का आभास कराती है.
पारंपरिक, घरेलू और सांस्कृतिक
वसई नायगांव इलाके में घोड़बंदर रॉड पर बड़े क्षेत्र पर फैला यह सनाया ढाबा है. इस इलाके में बड़ी संख्या में ढाबे मौजूद हैं. लेकिन इस ढाबे का अंदाज़ दूसरों से भिन्न है. मुगलई व्यंजन और यहां के भिन्न वातावरण ने खाने के शौकीनों के दिल में अपनी एक अलग जगह बना ली है.
यहां 1600 से अधिक प्रकार के व्यंजन परोसने का प्रबंध है. प्रतिदिन 300से अधिक प्रकार के मुगलई व्यंजन लोगों को मुंबई से एक घंटे की दूरी पर स्थित इस ढाबे तक खींच लाते हैं.
पारंपरिक तरीके से परोसे जाने वाले थाल जैसे सनाया थाल, निज़ाम सनाया थाल, यूसुफी थाल, सलमोनी थाल इत्यादि लोगों की तवज्जो का केन्द्र बने हुए हैं. मुगलई खानों की अगर बात की जाए तो बटेर सूप, मटन काली मिर्च, चिकन लेमन ड्राइव, मुंबई का तवा चिकन, कश्मीरी कबाब, चिकन पहाड़ी कबाब, चिकन भरा, मटन निज़ामी, मटन तंदूरी, मटन सनाया स्पेशल और मटन तंदूर बंजारा यहां पर सब से अधिक पसंद किए जाने वाले व्यंजन हैं.
पारंपरिक भोजन की चाह
मुंबई की नाईट लाइफ़ छोड़ कर इन ढाबों पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ लोग जाना पसन्द करते हैं. लकड़ियों से प्राचीन तर्ज़ पर बने ढाबों को देख कर पुराना ज़माना याद आ जाता है.
सनाया ढाबा भी परफेक्ट ढाबा स्टाईल में ही बनाया गया है. इसे कई भागों में विभाजित किया गया है. अगर आप फैमिली के साथ हैं तो परिवार हॉल, अगर आप बैचलर हैं तो बंटाइज हॉल, अगर कहीं भी बैठ कर खाना चाहते हैं तो सुरती लाला हॉल आप के लिए ही बनाया गया है. इस प्रकार की सुविधाएं अक्सर जगहों पर उपलब्ध होती हैं.
यहां की सबसे ख़ास बात जो इसे दूसरे ढाबों से अलग करती है वो है नवाबी हॉल, जहां ज़मीन पर दस्तरख्वान बिछा कर आप घर जैसे अंदाज़ में स्वादिष्ट भोजन का मज़ा ले सकते हैं.
कुछ ठंडा हो जाए
खाने के बाद ठंडी-ठंडी आइसक्रीम लोगों को मज़ा देती है. लेकिन आइसक्रीम बनते हुए देखने को मिले तो लोगों को और भी ज्यादा मज़ा आता है. अपनी पसन्द के अलग अलग फ्लेवर मिला कर एक नया फ्लेवर और उस पर आइसक्रीम बनाने वालों का तरीक़ा आइसक्रीम के शौकीनों को दुगना मजा देता है.
भोजन, सैर तफ़रीह और इबादत भी
इस ढाबे का एक हिस्सा पूरी तरह बच्चों की दिलचस्पी को ध्यान में रखकर बनाया गया है. बच्चों को खाने-पीने से अधिक खेलकूद के सामान लुभाते हैं. जिनका यहां प्रबंध किया गया है. बच्चे एक बार यहां आने के बाद बार बार यहां आना चाहते हैं.
एक ही छत के नीचे बच्चों की पसन्द की सभी चीज़ों को यहां एकत्रित कर दिया गया है. जिसके कारण वह यहां बार-बार आकर भी बोर नहीं होते. इसके अलावा स्त्री और पुरुषों के नमाज़ पढ़ने का भी सनाया ढाबे पर अलग अलग इंतज़ाम किया गया है.
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक
मुंबई जैसी गुनजान आबादी वाले शहर में महंगे होटलों में स्वादिष्ट भोजन की कमी नहीं है लेकिन वहां परिवार के हर आयु वर्ग की इच्छा पूरी कर पाना उनके लिए असंभव है. जगह की कमी ने शहर से बाहर बड़ी-बड़ी जगहों पर फैले इन ढाबों को फलने-फूलने का अवसर प्रदान किया है.
इस इलाके और ख़ास तौर पर सनाया ढाबे का दौरा करने पर हम ने पाया कि यह कारोबार बिजनेसमैन के लिए तो फायदे का सौदा है ही साथ ही एक फैमिलीमैन के लिए पूरे परिवार को खुश करने का जरिया भी है.