होली और रोजे का संगम: रामपुर में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का अनोखा उदाहरण

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 12-03-2025
Confluence of Holi and Roza: A unique example of Hindu-Muslim brotherhood in Rampur
Confluence of Holi and Roza: A unique example of Hindu-Muslim brotherhood in Rampur

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश के रामपुर में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक शानदार तस्वीर सामने आई है, जिसने समाज में एकता, शांति और भारतीयता की ताकत को फिर से उजागर किया है. यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रमजान के पाक महीने में रोजा रखते हुए होली का जश्न मनाया, जो कि हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है.
 
यह घटना समाज में हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक बनकर सामने आई है.
 
अखिल भारतीय मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपनी रोज़ा रखने की परंपरा को बनाए रखते हुए, हिंदू भाई-बहनों के साथ मिलकर होली का पर्व धूमधाम से मनाया. 
 
इस आयोजन ने साबित कर दिया कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता और उसमें छुपी एकता है.
 
इस मौके पर फरहत अली खान ने कहा, "हम सभी भारतीय हैं और हमारी पहचान सिर्फ हमारी संस्कृति और धर्मों से नहीं, बल्कि हमारी एकता और भाईचारे से बनती है.
 
 
रमजान के पवित्र माह में हम रोजा रखते हुए अपने हिंदू भाई-बहनों के साथ होली का जश्न मना रहे हैं, यह संदेश देता है कि हम सब एक ही परिवार का हिस्सा हैं."
 
रामपुर जिले के अंबेडकर पार्क में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और हिंदुओं के साथ मिलकर फूलों की होली खेली. इस दौरान एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी गई. 
 
इस आयोजन में मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े उत्साह और धूमधाम से शामिल हुए. उन्होंने होली के रंगों से मिलकर अपने हिंदू भाइयों के साथ गले मिलकर शुभकामनाएं दीं. दोनों समुदायों ने एक-दूसरे के त्यौहारों का सम्मान किया और शांति और समरसता का संदेश फैलाया.
 
इस तरह के आयोजनों से यह साबित होता है कि भारत में धर्मों के बीच कोई दीवार नहीं है, बल्कि यहां पर विभिन्नता में एकता है. जब लोग आपसी सम्मान और प्यार से रहते हैं, तो कोई भी शक्ति उन्हें अलग नहीं कर सकती.
 
वहीं मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहत अली खान के मुताबिक होली का पावन पर्व रमजान के महीने में आया है, ये मुसलमान का भी मुबारक महीना है. रमजान के मौके होली का पर्व आया है, इससे खूबसूरत और क्या बात होगी. ऐसा लगता है हिंदू और मुसलमान के त्यौहार भी एक रंग में रंग गए हैं. 
 
बकौल फरहत अली के अनुसार रामपुर से एक संदेश जाता है अमन का, भाईचारे का. यह परंपरा सूफी संतों, नवाबों की महत्वपूर्ण परंपरा थी. नफरतों के दीपों को बुझाकर मोहब्बत की रोशनी को फैलाओ, यही हमारा पैगाम है. इसके लिए एक शेर है- 'दिलों को मिलने का मौसम है, दूरियां मिटाने का मौसम है...होली का त्यौहार ही ऐसा है, रंगों में डूब जाने का मौसम है.'   
 
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समाज के विभिन्न हिस्सों से इस पहल को सराहा गया है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस तरह की एकता और भाईचारा भविष्य में भी बना रहेगा.
 
भारत की यह विविधता और समरसता, इसकी सबसे बड़ी शक्ति है और यही हमें पूरी दुनिया में एक मिसाल बनाता है.