मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली
दुनिया एक ऐसी जगह है, जहां देश, संस्कृतियां और समाज योग की प्राचीन भारतीय स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को अपना रहे हैं. आपको यह देखकर आश्चर्य होगा कि योग पाकिस्तान में कितनी तेजी से फैल रहा है, एक ऐसा देश जो किसी भी भारतीय चीज को अभिशाप मानता है.
पाकिस्तान के कई योग गुरुओं में से रियाज खोकर को राष्ट्रीय स्तर का योग उपदेशक माना जाता है. अपने अथक परिश्रम से उन्होंने पिछले 18 वर्षों में पूरे पाकिस्तान में योग को लोकप्रिय बनाया है. वह योग में अपनी दीक्षा का श्रेय अपने ‘गुरु’ प्रोफेसर वसीक मोहम्मद को देते हैं, जिन्होंने इस स्वास्थ्य सेवा कला को पाकिस्तानियों के बीच स्वीकार्य बनाया. लाहौर में हर दिन वह लोगों को सुबह योग करने के लिए प्रोत्साहित करते थे. उनके निधन के बाद, उनके दो शिष्य रियाज खोकर और इंजीनियर आजम उनके मिशन को जारी रख रहे हैं.
Yoga practice in a Lahore Park
रियाज खोकर ने पाकिस्तान योग परिषद की स्थापना की और उन्हें पाकिस्तान का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, लीजेंड अवार्ड से सम्मानित किया गया. परिषद के लगभग 200 केंद्र हैं, जो लोगों को निःशुल्क योग प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. खोकर योग को धार्मिक विचारधारा से जोड़कर नहीं देखते, बल्कि मन और शरीर का शुद्ध व्यायाम मानते हैं. एक समय पर, योग के प्रति उनके प्रेम के कारण उन्हें ‘हिंदू एजेंट’ कहा जाता था. उन्हें रॉ एजेंट भी कहा जाता था, लेकिन एक समय ऐसा आया, जब सभी ने इसके गुणों को पहचाना और पाकिस्तान में योग करने वालों के अच्छे इरादों को भी समझा.
लाहौर से 250 किलोमीटर दूर बुरेवाला के निवासी रियाज खोकर अब पाकिस्तान के योग गुरु के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने योग पर आठ किताबें लिखी हैं. आवाज-द वॉयस, उर्दू के संपादक मंसूर-उद-दीन फरीदी ने उनसे फोन पर योग में उनके आगमन और योग की उनकी यात्रा के बारे में बात की. बातचीत के कुछ अंशः
आप योग की ओर कैसे आकर्षित हुए?
यह एक लंबी कहानी है, सर. यह दर्द से शुरू होती है और उपचार के साथ समाप्त होती है. अल्लाह की स्तुति हो. दरअसल, मैं अपनी युवावस्था में सिजोफ्रेनिया का शिकार था. एक समय में मेरा कई डॉक्टरों ने इलाज करवाया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. मेरे एक मित्र ने मुझे योग पर एक किताब दी थी और मैंने उसका अध्ययन करना शुरू कर दिया. आपको आश्चर्य हो सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह अपनी मृत्युशैया पर थे, उन्हें गले का कैंसर था, उनकी आवाज चली गई थी और फिर भी उन्होंने मुझे योग पढ़ने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने पढ़ा था कि जो लोग नियमित रूप से योग करते हैं, उन्हें कभी कैंसर नहीं होता. इसलिए उन्होंने मुझे रास्ता दिखाया. उनका निधन हो गया और मैंने उनके बताए रास्ते पर चलते हुए अपने दर्द से छुटकारा पाया.
Riaz Khokar receiving Pakistan's "legend" award
पाकिस्तान में योग आंदोलन कब और कैसे शुरू हुआ?
देखिए! योग आंदोलन की शुरुआत 2006 में लाहौर से हुई थी. मैंने पाकिस्तान योग परिषद की स्थापना की है. लाहौर, जैसा कि आप जानते हैं, बागों का शहर कहलाता है. यहां प्राचीन बाग और आधुनिक पार्क हैं. इसकी शुरुआत सबसे पहले लाहौर के सेंट्रल पार्क में हुई थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि योग एक दिन महामारी बन सकता है, यह जंगल की आग की तरह फैल जाएगा. अब लाहौर में कोई ऐसा पार्क नहीं है, जहां फज्र की नमाज के बाद योग न किया जाता हो. पाकिस्तान योग परिषद के तत्वावधान में 80 पार्कों में इसे जारी रखा जा रहा है. हमारे सबसे बड़े केंद्र में करीब 500 लोग हर दिन योग करते हैं.
योग और धर्म के बीच आपको किस तरह का टकराव नजर आता है?
मेरे हिसाब से योग को धर्म से जोड़ना चाय के साथ गन्ना खाने जैसा है. यह एक व्यायाम है, अगर इसे व्यायाम के इरादे से किया जाए, तो बेहतर होगा. मैं जानता हूं कि प्राचीन काल में योग को धार्मिक दर्जा प्राप्त था, लेकिन कुछ शताब्दियों पहले इसका इस्तेमाल मन की शांति और दीर्घायु के लिए किया जाता था. ऐसा माना जाता है कि सालों के व्यायाम के बाद विशेषज्ञों ने मानव शरीर में ऊर्जा के ऐसे स्थानों की खोज की है, जो स्वास्थ्य और बीमारी के बीच संतुलन बनाते हैं. इन विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर के इन अंगों का असंतुलन व्यक्ति को बीमार बनाता है.
School girls doing Yoga in Pakistan
हिंदू योगियों के अनुसार, योग की उत्पत्ति 5,000 साल पहले उत्तर भारत में हुई थी और इसका सबसे पहले उल्लेख सबसे पुराने हिंदू धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में किया गया था. योग की शुरुआती शिक्षाएं पत्थरों पर उकेरी गई थीं या पत्तों पर लिखी गई थीं, जो अब विलुप्त हो चुकी हैं. खास बात यह है कि आज पूरी दुनिया में मानसिक और शारीरिक बीमारियों के इलाज के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. आधुनिक विज्ञान ने भी योग की उपयोगिता की पुष्टि की है. माना जाता है कि योग के कुछ खास आसनों से पैदा होने वाली ऊर्जा रक्त संचार को बेहतर बनाती है और कई बीमारियों को दूर करती है. पाकिस्तान में योग कभी धार्मिक नहीं हुआ.
क्या पाकिस्तान में योग को कभी धार्मिक विरोध का सामना करना पड़ा है?
देखिए! 2011 तक सब कुछ ठीक चल रहा था. भारत से आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर पाकिस्तान आए थे. उस समय उनका एक केंद्र खुला था, लेकिन उपद्रवियों के एक समूह ने उसे जला दिया. घटना के बाद सरकार सतर्क हो गई. हमले का खतरा था, इसलिए पार्कों में योग पर प्रतिबंध लगा दिया गया. हर सुबह पुलिस अधिकारी शालीमार बाग और दूसरे पार्कों में आते थे. कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. लेकिन फिर धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया. जीवन सामान्य हो गया. इस घटना के बाद लाहौर में योग और भी लोकप्रिय हो गया.
क्या आपको योग सिखाने के लिए कभी व्यक्तिगत विरोध का सामना करना पड़ा है?
हां! ‘हिंदू एजेंट’ और ‘रॉ एजेंट’ कहे जाने के बाद भी मैं बच गया. लोगों ने मुझे बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन अल्लाह महान है. लोगों को एहसास हुआ कि योग धर्म के बारे में नहीं है, यह स्वास्थ्य के बारे में है और यह आस्था के बाद सबसे बड़ी दौलत है. यह हमारा दायित्व था कि हम इसमें कुछ जोड़ें. मान लीजिए हमने इसे इस्लामी रंग दे दिया है, मौलवी साहब से डरना चाहिए. (हंसते हुए) अब योग के दौरान हर पांच मिनट में योगी (ट्रेनर) लोगों से जोर से पूछते हैं, आप कैसे हैं और वे उत्साह से जवाब देते हैं अल्हम्द-उल-इल्लाह (अल्लाह की स्तुति हो)
आप सामाजिक रूप से क्या बदलाव देख रहे हैं?
अब हर कोई - धार्मिक और गैर-धार्मिक, आम जनता और अभिजात वर्ग - योग के बारे में एक ही राय रखते हैं. अब, बड़े-बड़े विद्वान भी योग कर रहे हैं. मौलाना तारिक जमील भी उनमें से एक हैं. सभी ने पाकिस्तान योग परिषद को स्वास्थ्य के मिशन के रूप में स्वीकार किया है. इसे मान्यता और सम्मान मिला है. यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है. इसका सबूत यह है कि देश के अलग-अलग शहरों में करीब 300 योग केंद्र हैं और वो भी मुफ्त. हमें लोगों को स्वस्थ करना है, किसी से कुछ लेना नहीं.
लोगों ने आपके असली उद्देश्य और इरादे को पहचाना. सरकार का रवैया क्या था?
बेशक! सरकार ने इसे सकारात्मक पहल माना. इसीलिए 2019 में दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार 6पाकिस्तान लीजेंड अवार्ड’ मुझे दिया गया. जब पुरस्कार देने से पहले लाहौर में गवर्नर हाउस में मेरा परिचय कराया गया, तो ये शब्द सुनकर मैं बहुत खुश हुआ, ‘‘रियाज खोखर साहब वो शख़्स हैं जिन्होंने योग को हवेली से घर तक पहुंचाया. ख़ास से आम तक और एक महंगे शौक को मुफ्त सेवा बना दिया.’’
Statues and seals recovered from Mohenjo-daro in Karachi museum
पाकिस्तान योग का जन्मस्थान कैसे है?
देखिए! हर अच्छी चीज के कई दावेदार होते हैं. योग के मामले में भी यही सच है. नेपाल का अपना दावा है, भारत का अपना और पाकिस्तान का अपना. इतिहास से यह साबित हो चुका है कि योग की जन्मस्थली मोहनजोदड़ो ही है, क्योंकि यहां योग के निशान मौजूद हैं, जो साबित करते हैं कि योग की उत्पत्ति मोहनजोदड़ो से हुई है. ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे की एक रिपोर्ट में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के खंडहरों में निशान और मुहरें मिली हैं, जो इस बात की पुष्टि करती हैं.
यह खास मुहर, जिसमें एक योगी आसन में बैठा है, उसे पशुपाली कहते हैं. यह मुहर कराची संग्रहालय में देखी जा सकती है. हमें गर्व होना चाहिए कि पाकिस्तान की धरती से निकला ज्ञान आज दुनिया में इंसानों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है.