उस्ताद’ जाकिर हुसैन गुदई महाराज के साथ तबला उठाकर चलते, किशन महाराज के यहां जमीन पर बैठते, आहत हूं : राजेश्वर आचार्य

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 16-12-2024
‘Ustad’ Zakir Hussain used to walk with Gudai Maharaj carrying the tabla, used to sit on the ground at Kishan Maharaj’s place, I am saddened: Rajeshwar Acharya
‘Ustad’ Zakir Hussain used to walk with Gudai Maharaj carrying the tabla, used to sit on the ground at Kishan Maharaj’s place, I am saddened: Rajeshwar Acharya

 

वाराणसी. ‘उस्ताद’ जाकिर हुसैन 73 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए. उनके निधन पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य ने दुख व्यक्त किया और कहा कि वह इस खबर को सुनकर आहत हैं. उन्होंने ‘उस्ताद’ से जुड़े कई किस्से भी साझा किए.

राजेश्वर आचार्य ने कहा, “दुखद सूचना से आघात लगा कि महान तबला वादक और परम्परा के साथ देश को वैश्विक ख्याति दिलाने वाला और महान कलाकार अब हमारे बीच नहीं रहा.

उन्होंने कहा, “उस्ताद के घर उस्ताद पैदा हुआ और वैश्विक ख्याति के बाद भी वह बड़ों के प्रति शीलवान थे. सांस्कृतिक नगरी बनारस में तो उनके आचरण ने सारे कलाकारों को मुग्ध कर दिया था."

जाकिर हुसैन के सरल और जमीन से जुड़े व्यवहार के बारे में बात करते हुए राजेश्वर आचार्य ने बताया, “अगर पं. गुदई महाराज जी कार्यक्रम देने जा रहे हैं तो उनका तबला उठाकर जाकिर हुसैन साथ-साथ चलते थे. यही नहीं पंडित किशन महाराज के यहां घर पर वह कभी भी उनकी बराबरी या कुर्सी पर नहीं बैठते थे. वह अक्सर नीचे उनके चरण के पास बैठते थे. शिक्षा, अच्छे अभ्यास और चमत्कृत कर देने वाले तबला वादन से युक्त इस कलाकार का जाना आहत कर गया. उनका जाना खल रहा है.

“मैंने उन्हें बचपन से सुना है, उनके कौशल से तबला बजता ही नहीं गाता भी था. देश और संगीत जगत के लिए यह बड़ी क्षति है. वह हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे.“

जाकिर हुसैन के परिवार ने अमेरिकी समय के अनुसार रविवार को उनके निधन की पुष्टि की. वह फेफड़े की खतरनाक बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित थे, जहां उनका इलाज सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था.

हुसैन की पत्नी का नाम एंटोनिया मिनेकोला और बेटियां अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं. मुंबई में 9 मार्च 1951 को जन्मे हुसैन महान तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र थे.

परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वह अपने पीछे एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसे दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमी संजोकर रखेंगे, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा.