राष्ट्रीय एकता के संदेशवाहक वडाडा राहुल की अद्भुत कला यात्रा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 01-04-2025
The amazing art journey of Vadada Rahul, the messenger of national unity
The amazing art journey of Vadada Rahul, the messenger of national unity

 

चौधरी लक्ष्मण राव /श्रीकाकुलम

कला केवल रंगों और ब्रश की दुनिया नहीं होती, यह एक ऐसा माध्यम है जो समाज को जागरूक करता है, प्रेरित करता है और राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है. श्रीकाकुलम शहर के प्रतिभाशाली पंख कलाकार वडाडा राहुल ने अपनी अनूठी लघुचित्रकला से इस बात को सिद्ध कर दिया है. वे पक्षियों के पंखों, चावल के दानों और पत्तियों पर सूक्ष्म चित्र बनाकर कला को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं.

सुनीता विलियम्स की वापसी पर पंखों पर रची अनूठी कला

हाल ही में, भारतीय मूल की राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 286 दिनों के विस्तारित मिशन के बाद पृथ्वी पर वापसी की.

इस ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित करने के लिए वडाडा राहुल ने एक कबूतर के पंख पर सुनीता विलियम्स की अद्भुत पेंटिंग बनाई. उनकी यह कला न केवल देशभर में चर्चा का विषय बनी बल्कि कला प्रेमियों ने इसे सराहा.

एक अनूठी कला का सफर

राहुल को पक्षियों के पंखों पर चित्र बनाने के लिए जाना जाता है. वे अयोध्या में राम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, भारतीय क्रिकेट टीम की जीत, विभिन्न देवताओं के त्योहारों और भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित फिल्म फेयर और नंदी पुरस्कारों को लेकर विशेष पेंटिंग बना चुके हैं.

कला के इस जादूगर ने दो घंटे की मेहनत से सुनीता विलियम्स की पेंटिंग को पंख पर उकेरा. उन्होंने ऐक्रेलिक रंगों का प्रयोग कर कबूतर के पंख पर इस लघुचित्र को सजीव बना दिया.

राहुल ने चावल के दानों, पंखों और पत्तियों पर लघु कला को अपनी विशेष पहचान बना लिया है. उनकी कलाकृतियाँ न केवल संदेश देती हैं बल्कि दर्शकों को चकित भी कर देती हैं.

कला के माध्यम से राष्ट्रीय एकता का संदेश

राहुल अपनी कला के जरिए राष्ट्रीयता और एकता को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने श्रीनिवास कल्याणम, श्री राम पट्टाभिषेकम, भगवान अनंत पद्मनाभ स्वामी, भगवान गणेश, भगवान कृष्ण, स्वतंत्रता सेनानियों की पुण्यतिथि और जयंती, तथा भारतीय क्रिकेट दिग्गजों के चित्रों को अपनी कला के माध्यम से अमर कर दिया है। उनकी कलाकृतियाँ देश की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाती हैं.

सम्मान और पुरस्कारों की लंबी सूची

राहुल की कला को न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सराहा गया है. उन्हें चित्र कला रत्न, कला गुरुवु, आर्ट ऑफ़ लीजेंड, पिकासो पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, आनंद रत्न, लियोनार्डो डा विंची अंतर्राष्ट्रीय कला पुरस्कार, ग्लोबल आइकॉन ऑफ़ इंडिया पुरस्कार, यूथ आइकॉन पुरस्कार, विश्व प्रतिभा पुरस्कार और वड्डाडी पपय्या स्मारक पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया है.

उनका नाम अमेरिका बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, ऑस्कर बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, ग्रेट इंडियन बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। उन्होंने 2022 में स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया.

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संघर्षों से मिली सफलता

राहुल का सफर आसान नहीं था. वे एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं और उनके पास प्रसिद्ध प्रशिक्षण केंद्रों में पेंटिंग सीखने का कोई साधन नहीं था, उन्होंने स्वयं सीखने, प्रयोग करने और असफलताओं से सबक लेकर अपनी कला को निखारा। उनकी कला केवल चित्रण नहीं, बल्कि धैर्य, समर्पण और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है.

राहुल कहते हैं, "मैंने विभिन्न पेंटिंग और कलाओं में प्रयोग और अनुभव के माध्यम से सीखा है. कला मेरे लिए सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि एक मिशन है, जिससे मैं समाज को जागरूक करना चाहता हूँ."

भविष्य की योजनाएँ

राहुल का सपना है कि वे अपनी कला को और अधिक ऊँचाइयों तक ले जाएँ और आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करें. वे एक कला विद्यालय खोलने की योजना बना रहे हैं, जहाँ युवा कलाकारों को निःशुल्क प्रशिक्षण मिलेगा और वे अपनी प्रतिभा को पहचानकर आगे बढ़ सकेंगे.

वडाडा राहुल की कला केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है. वे पंखों पर अपनी जटिल कला के जरिए राष्ट्रीयता, एकता और जागरूकता का संदेश फैला रहे हैं.

उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि जुनून और मेहनत हो, तो सीमित संसाधन भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकते। उनकी कला और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा.द न्यूं इंडियन एक्सप्रेस से साभार