राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक का 207वां स्थापना दिवस, नवाब अमीर खां को किया याद

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 13-11-2024
207th Foundation Day of Rajasthan's only Muslim state Tonk, Nawab Amir Khan remembered
207th Foundation Day of Rajasthan's only Muslim state Tonk, Nawab Amir Khan remembered

 

फरहान इसराइली/ जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर से महज़ 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टोंक, जो कि एक समय राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत था, इस साल अपनी स्थापना का 207वां जश्न मना रहा है.टोंक रियासत की स्थापना 15 नवम्बर 1817 को नवाब अमीर खां के नेतृत्व में हुई थी.तब से लेकर 131 साल तक यहां नवाबी शासन रहा.इस मौके पर हर साल कई ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें रियासत के पहले नवाब की उपलब्धियों और उनके योगदान को याद किया जाता है.

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नवाब अमीर खां की कहानी

टोंक रियासत का इतिहास ऐतिहासिक और गौरवशाली रहा है.9 से 15 नवम्बर 1817 के बीच अमीर खां ने अंग्रेजों से संधि करके टोंक रियासत की नींव रखी थी.नवाब अमीर खां, जिन्हें अमीरुद्दौला के नाम से भी जाना जाता है, ने न केवल अपनी रियासत को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में बनाए रखा, उन्होंने अपनी कूटनीतिक चतुराई और सैन्य शक्ति से अंग्रेजों को भी चुनौती दी.उनकी सेना उस समय 80,000 सैनिकों और 200 तोपों से लैस थी.

 टोंक रियासत में छह परगने थे, जो आज के राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में फैले हुए थे.अमीर खां ने अपनी रियासत को ब्रिटिश इंडिया से बाहर रखने की कोशिश की थी और उन्होंने राजपूताना एजेंसी के तहत प्रशासन चलाया.उनकी कूटनीति और सैन्य ताकत इतनी प्रभावी थी कि अंग्रेजों को उनके साथ संधि करनी पड़ी.उनके सैन्य नेतृत्व के कारण टोंक रियासत कभी भी अंग्रेजों के सीधे शासन में नहीं आई.

यही कारण था कि अंग्रेजों ने टोंक के नवाब से समझौता किया.उनकी रियासत में कुछ हिस्से सौंपे, लेकिन टोंक की स्वायत्तता बनी रही.

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नवाबों के योगदान और धरोहर

नवाब अमीर खां के शासन में टोंक को कई अहम ऐतिहासिक धरोहरों का तोहफा मिला, जो आज भी लोगों के लिए उपयोगी हैं.टोंक रियासत के नवाबों के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण भवन और संरचनाएं बनाई गईं, जिनमेंसआदत अस्पताल, सीनियर सेकेंडरी स्कूल कोठी नाथमाम, सुनहरी कोठी, जामा मस्जिद, घंटाघर, दरबार सीनियर सेकेंडरी स्कूलऔरएजेंसी बंगलाजैसी महत्वपूर्ण इमारतें शामिल हैं.

इसके अलावा, बनास नदी पर बने पुराने पुल और टोंक की ऐतिहासिक मस्जिदों को आज भी शहर के लोग शान से देखते हैं.इन ऐतिहासिक धरोहरों में नवाबी शासन के दौरान की कला और संस्कृति की गहरी छाप दिखाई देती है.नवाब अमीर खां ने हमेशा भारतीय संस्कृति और तिजारत के बीच संतुलन बनाए रखा.

उन्होंने अपने शासन में गंगा-जमनी तहजीब को बढ़ावा दिया.यही वजह है कि उनका शासन केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं था.नवाब अमीर खां ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए.उन्होंने जामा मस्जिद का निर्माण कराया. साथ ही टोंक के तख्ते के रघुनाथ जी मंदिर के पुनर्निर्माण में भी मदद की.इस प्रकार, मुस्लिम होते हुए भी नवाब ने हमेशा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे और सांस्कृतिक समृद्धि की मिसाल पेश की.

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

नवाब अमीर खां का योगदान सिर्फ स्थानीय शासन तक सीमित नहीं था.वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले सेनानियों में से एक थे .ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया.उनके साथ उनके परिवार ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई.हालांकि, इतिहासकारों का मानना है कि उस समय अन्य रियासतों से सहयोग न मिलने के कारण वे अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में सफल नहीं हो पाए.

फिर भी, उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.डॉ. कानूनगो ने अपनी पुस्तक "हिस्टोरिकल एसेज" में अमीर खां के संघर्ष को बेहद महत्वपूर्ण बताया है .यह भी कहा है कि अगर उनके मिशन को समय रहते समझा जाता, तो शायद भारत को अंग्रेजों के क्रूर शासन का सामना नहीं करना पड़ता.

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नवाब अमीर खां का व्यक्तिगत इतिहास

नवाब अमीर खां का जन्म करीब 1768 में मुरादाबाद जिले के संभल इलाके में हुआ था.उनका परिवार सालार जई पठानों का था, जो मुग़ल साम्राज्य के समय से भारत में बस गए थे.उनके पूर्वज ताले खान ने मुग़ल सम्राट मोहम्मद शाह के समय भारत में प्रवेश किया और संभल में बसे.नवाब अमीर खां के पिता मोहम्मद हयात खां ने उनके पालन-पोषण और शिक्षा का जिम्मा लिया, और उन्हें सैन्य नेतृत्व में प्रशिक्षित किया.

अमीर खां के नेतृत्व में टोंक रियासत ने न केवल स्थानीय शांति को बनाए रखा, बल्कि उन्होंने अपनी कूटनीति और सेना के दम पर अपने राज्य की स्वतंत्रता सुनिश्चित की। उनका जीवन और उनका शासन टोंक की ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने रहे.

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नवाब अमीर खां को याद किया

टोंक रियासत की 207 वीं स्थापना के इस विशेष अवसर पर, शहरवासियों और इतिहासकारों ने नवाब अमीर खां की बहादुरी, कूटनीतिक चतुराई और उनके द्वारा स्थापित किए गए सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को याद किया.इस मौके पर आयोजकों ने एकजुटता, भाईचारे और समृद्धि के प्रतीक के रूप में टोंक की ऐतिहासिक धरोहरों और नवाब अमीर खां के योगदान पर चर्चा की.भविष्य में उनके नाम पर विश्वविद्यालय या अन्य रचनात्मक कार्य शुरू करने की मुहिम का भी प्रस्ताव रखा गया.

इस प्रकार, टोंक रियासत का इतिहास न केवल एक मुस्लिम रियासत के रूप में बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम कड़ी के रूप में हमेशा याद किया जाएगा.