ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
दृष्टिबाधिता के बावजूद केरल के एक टीचर बच्चों को सशक्त बनाने के मिशन पर हैं. कमल की बात ये है कि इनकी ट्रेनिंग में कई दृष्टिबाधित बच्चों ने आर्ट एंड क्राफ्ट्स और साइंस की कई स्किल्स में कुशलता प्राप्त की है जिसकी तारीफ सोशल मीडिया पर लगातार हो रही है.
नौशाद टी पिछले दो दशकों से विशेष ज़रूरतों वाले छात्रों को कला और शिल्प सिखाने के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उनके मुताबिक "एक दृष्टिहीन व्यक्ति होने के नाते, मुझे अपने स्कूल के दिनों में कई शिक्षकों ने प्रशिक्षित किया था. अब मैं इसे इन बच्चों को दे रहा हूँ," उन्होंने कहा कि विशेष ज़रूरतों वाले बच्चे कला में कुशल होते हैं. "चुनौतियाँ हो सकती हैं लेकिन ये बच्चे कार्यों को जल्दी से समझने और पूरा करने की प्रतिभा दिखाते हैं.
दृष्टिबाधिता से सशक्तीकरण तक: नौशाद का बच्चों के लिए प्रेरक मार्ग
मलप्पुरम के कोझिकोड के रहमानिया स्कूल में नौशाद टी आर्ट एंड क्राफ्ट्स टीचर के पद पर तैनात हैं. जो छात्रों को बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट एक्टिविटी यानी बेकार सामग्री से शिल्प वस्तुएं बनाना, कार्टून मेकिंग, पेंटिंग, क्ले मॉडलिंग, मिट्टी से सजीव मूर्तियां बनाना आदि सीखाते हैं. गौरतलब है कि मात्र पांचवीं कक्षा के बच्चे बेकार सामग्री से झूले, टेबल, कुर्सियां आदि बनाने में निपुण हैं. जिसका श्रेय नौशाद टी को जाता है.
पिछले तीन वर्षों से केरल के विद्यालय विज्ञान मेले में नौशाद टी से कौशल प्राप्त छात्र भाग ले रहे हैं और उनकी सराहना हर तरफ हो रही है. अजय को मलप्पुरम के एक दृष्टिबाधित प्रशिक्षक नौशाद टी द्वारा प्रशिक्षित किया गया था.
नियमित रूप से भाग लेने वाला, दृष्टिबाधित 10 वर्षीय लड़का कला सीखने, कार्यक्रम में भाग लेने और अधिक कौशल हासिल करने के लिए रोमांचित था. अजय कहते हैं, "मैंने बेकार सामग्री से शिल्प वस्तुएं बनाना सीखा है और यहां झूले, टेबल, कुर्सियां आदि बनाई हैं. मैं पिछले दो महीनों से अपने शिक्षक नौशाद टी से प्रशिक्षण ले रहा हूं और इन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए हमेशा उत्साहित रहता हूं."
एलपी, यूपी, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी सेक्शन में दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित छात्रों के लिए कार्य अनुभव श्रेणी में केरल भर के 43 विशेष स्कूलों के 957 छात्रों ने भाग लिया. प्रतियोगिता 22 श्रेणियों में आयोजित की गई थी.
दसवीं कक्षा के छात्र जी विष्णु मिट्टी से सजीव मूर्तियां बना रहे थे, जिसके लिए उन्हें श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला. श्रवण बाधित कलाकार विष्णु ने पिछले पांच वर्षों से राज्य विद्यालय विज्ञान मेले में कार्य अनुभव श्रेणी में क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार जीता था और राज्य विद्यालय कला महोत्सव में कार्टून और पेंटिंग प्रतियोगिताओं में भी प्रथम पुरस्कार विजेता रहे थे.
कोच्चि में फादर एगोटिनो विसिनी के विशेष स्कूल के छात्र विष्णु को बहुत छोटी उम्र से ही कोच्चि के मूर्तिकार स्टेनली द्वारा प्रशिक्षित किया गया है. “कठिनाइयों वाले बच्चों को प्रशिक्षित करना शुरुआती चरणों में एक काम है. लेकिन जब उन्हें शिल्प में रुचि होती है, तो वे इसे जल्दी से समझ लेते हैं. स्टेनली के मुताबिक "विष्णु एक असाधारण प्रतिभाशाली छात्र है और आप यह उसकी वर्षों की प्रशिक्षण से बनी कला में देख सकते हैं."
गौरतलब है कि नौशाद टी, स्टेनली के अलावा और भी कई शिक्षक हैं जो केरल के दृष्टिबाधित छात्रों को कौशल प्रदान कर उन्हें सशक्तीकरण का मार्ग प्रशस्थ कर रहे हैं. हमारे बड़े बुजुर्ग भी कहते हैं कि कोइ भी शख्स अगर किसी एक कला में भी कौशल रखता है तो वो कभी भूखा नहीं मरेगा. ये दृष्टिबाधित शिक्षकों और बच्चों की म्हणत समाज के लिए वाकई एक सकारात्मक उदाहरण है.