यमुनानगर. यहां मुस्लिम समाज से एक ऐसे व्यक्ति ने यमुना को सफाई करने का बीड़ा उठाया है, जिसके पास अपने घर के साधन भी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह यमुना में आस्था रखता है.
ट्रिव्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, यमुनानगर के मोहम्मद नसीम खान का कहना है कि वह प्रतिदिन पिछले काफी समय से यमुना के किनारे आकर सफाई करता आ रहा है. यमुना के किनारों पर जो भी गंदगी होती है, उसे साफ-सुथरा बनाने की कोशिश करता है. यमुनानगर के आजाद नगर, चिट्ठा मंदिर आदि इलाकों में यमुना के किनारे लोग काफी संख्या में खंडित मूर्तियां, फूल एवं पूजा सामग्री फेक जाते हैं.
यह व्यक्ति प्रतिदिन जाकर न सिर्फ यमुना के किनारों की सफाई करता है, बल्कि यमुना के घाटों की भी झाड़ू लगाकर सफाई करता है, ताकि लोगों को यहां आने पर, बैठने पर साफ-सुथरा वातावरण मिले और वह यमुना में स्नान कर सकें.
मोहम्मद नसीम खान का कहना है कि वैसे तो कई सामाजिक संस्थाएं भी समय-समय पर यमुना की सफाई का प्रयास करती हैं, लेकिन इसमें इसलिए सफलता नहीं मिलती क्योंकि आम लोग जागरूक नहीं हैं. वह अपने घरों से पूजा सामग्री, खंडित धार्मिक किताबें एवं अन्य सामान यमुना में फेंक देते हैं, जो कि सही नहीं है.
चैलेंज यूथ क्लब ट्रस्ट के संस्थापक सुधीर पांडे का कहना है कि जब वह यमुना घाट पर गए तो एक मुस्लिम को इतनी श्रद्धा भाव से सफाई करते देखा, आश्चर्य हुआ. उनसे बातचीत करने पर पता चला कि वह पिछले काफी समय से यहां आकर यमुना की सफाई करते हैं.
उन्होंने सामाजिक संगठनों और आम जनता से भी अपील की कि वह यमुना में गंदगी न फैलाएं, अगर कहीं गंदगी नजर आए, तो उसकी सफाई करें. उन्होंने कहा कि यमुना शुद्धिकरण अभियान सरकारी स्तर पर चलाया गया. करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन उसके अच्छे नतीजे इसीलिए नहीं निकले क्योंकि उसमें लोगों का सहयोग न के बराबर रहा.