संगीत सामंजस्य सिखाता है जिसका कोई धर्म नहीं: सर्वेश भट्ट

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 24-10-2023
Music teaches harmony which has no religion: Sarvesh Bhatt
Music teaches harmony which has no religion: Sarvesh Bhatt

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

भजन हो या कव्वाली, ईश्वर, अल्लाह, ईशु से मोह लगाने की कोई भी शैली हो वो उत्तम होती है. जो शांत, सहज और अहिंसक है वही संगीत का असली साधक है. ये कहना है सांस्कृतिक लेखक और कला समीक्षक सर्वेश भट्ट का जो 1992 से इस क्षेत्र में संलग्न हैं और अपनी रचनात्मकता एवं नवीन सृजनात्मक लेखन के लिए पहचाने जाते हैं. राजस्थान के सर्वेश भट्ट जयपुर के सांगीतिक भट्ट परिवार (पद्मभूषण पं. विश्वमोहन भट्ट) से आते हैं. राजस्थान की कला, साहित्य, संस्कृति से इनका गहरा नाता है. 

सर्वेश भट्ट ने आवाज द वॉयस से बातचीत में कहा कि एक संगीतकार जब स्टेज पर प्रस्तुती देता है तो उसमें इतना अतरंग और लुप्त हो जाता है कि उसे और कुछ भी याद नहीं रहता. सर्वेश भट्ट प्रदेश के कलाकारों के प्रमुख संगठन 'राजस्थान फोरम' से पिछले दस वर्ष से बतौर सांस्कृतिक समन्वयक जुड़े हैं.
 
 
सामंजस्य सिखाता है संगीत
 
सर्वेश भट्ट का कहना है कि संगीत हमे तालमेल सीखाता है. संगीत एक टीमवर्क होता है. गायक वादक के बिना अधूरा है. संगीत प्रस्तुतियों में संगीतकार, गायक, वादक, संगतकार और सहयोगी कलाकार होते हैं जहां सबके साथ तालमेल बिठाना पड़ता है.
 
जीवन में सुख-शांति और सद्‌भाव के लिए यही दृष्टि सबसे ज्यादा ज़रूरी है, जो संगीत से मिलती है. तो हम ये कह सकते है कि समाज के कल्याण के लिए संगीत से जुड़ाव जरूरी है. 
 
संगीत एक पथ प्रदर्शक 
 
सर्वेश भट्ट ने कहा कि संगीत से जुड़ा हर शख़्स ख़ुद को हमेशा छात्र समझता है, सीखता रहता है, सुधारता रहता है. वह उत्सुक होता है, प्रयोग करता है इसीलिए हर शख्स को संगीत से जुड़कर यह जान लेना चाहिए कि जिंदगी में सीखने और सुधार करने की गुंजाइश हमेशा होती है.
 
संगीत की समीक्षा करते हुए मेने यह पाया कि संगीत केवल शुद्ध मन से ही किया जा सकता है उसमें कोई भी बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर सकती. जो संगीत से जुड़ेगा, वह धीर तो हो ही जाएगा. 
 
शास्त्रीय संगीत में युवाओं की रुचि 
 
सर्वेश भट्ट ने कहा कि आज समाज में तानसेन (गानेवाले) हैं लेकिन सुनने वालों में स्वीकार्यता बदल गई हैं यानी कानसेनों की कमी है. मगर अच्छी बात ये है कि शास्त्रीय संगीत में युवाओं की रुचि बढ़ रही है. आज संगीत को अपनी समझ से रचने वालों की संख्या भी बढ़ गई है जो अपने गुरुओं की शिक्षा के साथ-साथ उसे नए स्वरूप में ढालकर समाज के कल्याण में प्रयासरत हैं.जिससे आज के युवा जुड़ रहें हैं.
 
 
संगीत का नया जगत 
पहले के संगीतज्ञ केवल गुरु की शिक्षा की अधीन थे लेकिन आज का युवा संगीत में एक्सपेरिमेंट्स करके उसको मॉडिफाई तरीके से, समझ के साथ सीख रहा है. सर्वेश भट्ट ने कहा कि संगीत के अलग जगत को निर्माण करने की जुगत में लगे युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है कि गुस्सा और आक्रामक रचनाएं कभी भी समाज का कल्याण नहीं कर सकतीं. 
 
सर्वेश भट्ट ने कहा कि असली संगीत वहीं है जिसे सुनकर आत्मा तृप्त हो जाए. जब आज के जमाने में पॉप, रैप म्यूजिक, रीमिक्स गाने वालों में खुद ही सुकून नहीं है तो वो लोगों में सौम्यता कैसे भर सकेंगे और समाज में शांति का संचार कैसे होगा ?
 
संगीत ही एकमात्र सत्य है जिसका अस्तित्व है
 
सर्वेश भट्ट का मानना है कि असल में संगीत अनावश्यक लालसाएं घटाकर व्यक्ति को जीवन में संतुष्ट बनाता है. संगीत सुकून पहुंचाता है, प्रेरणा देता है, उत्साह बढ़ाता है, तनाव घटाता है, ग़म भुलाता है, दिल में प्रेम जगाता है.
 
मान-सम्मान और पुरस्कार
 
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सर्वेश भट्ट को साहित्यिक और सांस्कृतिक पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए काव्या पत्रकारिता सम्मान-2020 से नवाज़ा गया. राजस्थान के राज्यपाल मदन लाल खुराना द्वारा सर्वेश भट्ट को सांस्कृतिक समाचारों के जरिए 'श्रेष्ठ जनसंपर्क अवार्ड'- 2003 दिया गया.
 
 
साथ ही मुंबई के शेखर सेन ट्रस्ट द्वारा सर्वश्रेष्ठ संगीत समीक्षक अवार्ड- 2003, राजस्थान गौरव अवार्ड-2013, शान - ए - राजस्थान अवार्ड, मिर्ज़ा ग़ालिब साहित्य अवार्ड, जयपुर देव फेस्टिवल का "देवानंद सांस्कृतिक लेखन अवार्ड - 2021, अन्तर्राष्ट्रीय ध्रुवपद धाम ट्रस्ट का नव सृजनात्मक लेखन अवार्ड' गोल्ड मैडल, श्रीगोपाल पुरोहित कला अवार्ड, तबला गुरू ठाकुर किशन सिंह अवार्ड से भी सर्वेश भट्ट सम्मानित हैं.