Muhammad Mahabat Khanji III: The Nawab Who Spent 2 Crore On The Wedding Of His Beloved Dog
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
भारत में राजा, महाराजा और नवाबों की जीवनशैली हमेशा चर्चा में बनी रहती है. जिसे जानने के लिए हर कोई उत्सुक होता है. अपने अजीबोगरीब शौक के लिए रजवाड़े और नवाब भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर थे. इन लोगों के शौक और उसके लिए खर्च किए जाने वाले पैसों के बारे में जानकर ऐसा कोई भी नहीं होगा, जो दंग ना रह जाए.
किसी राजा ने कुड़ा फेंकने के लिए शाही कार रोल्स रॉयस खरीद लिया, तो कोई डायमंड को ही पेपरवेट के रूप में इस्तेमाल करते थे. इन्हीं शौकीनों में से एक थे जूनागढ़ के नवाब, महाबत खान. महाबत खान को कुत्तों से खास लगाव था.
कुत्ते पालने के शौकीन जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने तकरीबन 800 कुत्ते पाल रखे थे. इतना ही नहीं इन सभी कुत्तों के लिए अलग-अलग कमरे, नौकर और टेलीफोन की व्यवस्था रखी गई थी.
अगर किसी कुत्ते की मृत्यु हो जाती, तो उसको तमाम रस्मों-रिवाज के साथ कब्रिस्तान में दफनाया जाता और शव यात्रा के साथ शोक संगीत बजता.
जूनागढ़ की पूर्ववर्ती रियासत के अंतिम नवाब मुहम्मद महाबत खानजी तृतीय प्रमाणित पशु प्रेमी थे. 1898 में जन्मे इस नवाबजादे को अपने प्रिय कुत्ते रोशनआरा की भव्य शादी की मेज़बानी के लिए सबसे ज़्यादा जाना जाता है.
1922 में रोशनआरा की शादी बॉबी से हुई थी, जो एक गोल्डन रिट्रीवर है. शादी के दिन राजकीय अवकाश घोषित किया गया था.
कथित तौर पर, रोशनआरा को चांदी की पालकी पर ले जाया गया था, और दूल्हे को 25 कुत्तों के नेतृत्व में जुलूस में लाया गया था, जिन्होंने सोने के कंगन पहने हुए थे.
नवाब ने भारत भर से राजघरानों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया. नवाब महाबत खान ने इस शादी में शामिल होने के लिए तमाम राजा-महाराजा समेत वायसराय को आमंत्रित किया था. जिसमें भारत के वायसराय भी शामिल थे, जिन्होंने निमंत्रण अस्वीकार कर दिया.
नवाब महाबत खान द्वारा आयोजित की गई इस शादी में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा मेहमान शामिल हुए थे. हालांकि, इस शादी में खर्च किए गए पैसों से जूनागढ़ की तत्कालीन 6,20,000 आबादी की कई जरूरतें पूरी की जा सकती थी.
नवाब महाबत खान के इस शौक का जिक्र विख्यात इतिहासकार डॉमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भी किया है.
रोशना को शादी के दौरान सोने के हार, ब्रेसलेट और महंगे कपड़े पहनाए गए थे. इतना ही नहीं मिलिट्री बैंड के साथ गार्ड ऑफ ऑनर से 250 कुत्तों ने रेलवे स्टेशन पर इनका स्वागत किया था.
उनके पास सैकड़ों कुत्ते थे, वे उन्हें परिवार के सदस्यों की तरह मानते थे; उनके पास अपने कमरे और नौकर थे और वे विशेष अवसरों पर उत्सव के कपड़े पहनते थे. जब रोशनआरा की मृत्यु हुई, तो शोक की घोषणा की गई.
उन्हें गिर शेरों के संरक्षण में उनके प्रयासों के लिए भी जाना जाता है. भारतीय शासकों ने शेरों और बाघों का शिकार शौक के तौर पर किया, जिससे उनकी आबादी में गिरावट आई. गिर में एशियाई शेरों की आबादी खतरे में थी. गिर के जंगल जूनागढ़ के क्षेत्र में आते थे.
नवाब ने शेरों की रक्षा करने का बीड़ा उठाया और गिर अभयारण्य की स्थापना की. वह गुजरात राज्य की मूल निवासी गिर गायों के प्रजनन कार्यक्रम की स्थापना में भी शामिल थे.
विभाजन के बाद, जूनागढ़ भारत में विलीन हो गया और मुहम्मद महाबत खानजी तृतीय पाकिस्तान भाग गए. उन्होंने अपने कुत्तों को पीछे छोड़ने से इनकार कर दिया लेकिन अनजाने में अपनी एक बेगम और एक बच्चे को छोड़ दिया. वर्ष 1959 में कराची में उनकी मृत्यु हो गई.