मोहम्मद साकिब खान ने बिरज में धूम मचाए श्याम से शुरू की गायन-यात्रा

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  [email protected] | Date 20-10-2023
मोहम्मद साकिब खान ने बिरज में धूम मचाए श्याम से शुरू की गायन-यात्रा
मोहम्मद साकिब खान ने बिरज में धूम मचाए श्याम से शुरू की गायन-यात्रा

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
गायक मोहम्मद साकिब खान और तबला वादक साबिर हुसैन का मानना है कि संगीत हमेशा तालमेल सीखाता है. संगीत एक टीमवर्क होता है. संगीत प्रस्तुतियों में संगीतकार, गायक, वादक, संगतकार और सहयोगी कलाकार होते हैं जहां सबके साथ तालमेल बिठाना पड़ता है. इससे हमे जीवन की भी एक सीख मिलती है कि हमे हमेशा सबके साथ सामंजस्य बिठाना चाहिए तभी अमन और शांति का संचार होगा और समाज का कल्याण होगा.  

मोहम्मद साकिब खान की गंडा बंधाई की रस्म मात्र 3 साल में हुई जिन्हें पहली बंदिश बिरज में धूम मचाए श्याम सिखाई गई जो इस बात का प्रतीक है कि संगीत हमेशा जोड़ता है. 24 वर्षीय मोहम्मद साकिब खान ने हाल ही में आयोजित जी 20 कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मेहमानों को भारतीय शास्त्रीय संगीत से रूबरू कराया.
 
मोहम्मद साकिब खान

मोहम्मद साकिब खान किराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत से तालुक रखते हैं. यह गायन की हिंदुस्तानी ख़याल गायकी की परंपरा को वहन करने वाले हिंदुस्तानी घरानों में से एक है. किराना घराने का नामकरण उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले के एक तहसील कस्बा कैराना (जो की अब जिला शामली में हैं) से हुआ माना जाता है.
 
मोहम्मद साकिब खान ने अपने नाना उस्ताद अख्तर नवाज खान को अपना गुरु बनाया और गायन में उनसे शिक्षा ली. मोहम्मद साकिब खान ने सितार वादन अपने पिता इंतेज़ार अहमद से सीखा और मात्र 6 वर्ष की आयु से ही गायन में प्रस्तुती देनी शुरू करदी. 
 
 
मोहम्मद साकिब खान ने नेशनल यूथ फेस्टिवल, जश्न-ए- अदब आदि कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुती से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. संगीत के रसिक पंडित जसराज (हिन्दू परिवार) की बंदिशें मेरो अल्लाह मेहरबान, मीर तकी मीर की ग़ज़लें, अभंग आदि की फरमाइशों पर मोहम्मद साकिब खान अपने सुनने वालों को ये साड़ी रचनाएं भी सुनाया करते हैं.  
 
मोहम्मद साकिब खान का मानना है कि हम भारत में विभिन्न संस्कृतियों के बीच रहते हैं और गायन एक कला है जिसमें सब कुछ सीखना, सुनना, सुनाना समावेशी भारत की गंगा जमुना तहजीब को दर्शाता है.
 
साबिर हुसैन तबला वादक  

साबिर हुसैन ने तबला वादन अपने मामा उस्ताद रफ़ुद्दीन साबरी से सीखा और गंडा बंधाई की रस्म और तबला वादन की बारीकियां सीखने-जानने के बाद इन्होनें अपनी कला का प्रदर्शन विभिन्न नामी कार्यक्रमों में किया जिसमें श्री बाबा हरीलाल, ताज महोत्सव, साहित्य फेस्टिवल, दिल्ली दरबाद, दिल्ली म्यूजिक फेस्टिवल, पंजाबी अकादमी फेस्टिवल आदी शामिल है. तबले की उनकी थाप देश में गूंजी और खूब सराही गई.