आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
मुसलमानों को जगाने वाला ही सो गया है. देर आल इंडिया पर्सनल लाॅ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसन नदवी ( Rabey Hasani Nadvi ) के जनाजे की नमाज में जैसे पूरी कौम उमड़ पड़ी. रोजा-इफ्तार से थोड़ी देर पहले जैसे ही उनके निधन की खबर लोगों तक पहुंची नदवां में भीड़ इकट्ठी होने लगी.
हालांकि, दुनिया में आने वाले हर इंसान को एक न एक दिन जाना होता है. मगर यह भी एक हकीकत है कि किसी के गुजर जाने का बेहद अफसोस होता है. मौलाना सैयद राबे हसन नदवी भी उसी में से एक हैं.मौलाना सैयद रबी हसन नदवी उन गिने-चुने विचारकों और इस्लामिक विद्वानों में से थे, जिनके इस दुनिया से चले जाने से इस्लामी जगत को गहरा आघात लगा है.
— Mohammad Imran (@ImranTG1) April 13, 2023
उनके जनाजे की नमाज लखनऊ में अदा की गई और सुबह उन्हंे रायबरेली में दफनाया गया. जनाजे की नमाज भी वहां अदा की गई.रमजान के बावजूद लखनऊ में जनाजे की नमाज में हजारों लोगों ने शिरकत की.ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद मुहम्मद राबे हसनी नदवी और लखनऊ के नाजिम निदवत उलमा के निधन से इस्लाम की पूरी दुनिया को गहरा दुख पहुंचा है.
लोगों की जुबान पर बस यही बात है कि मौलाना का निधन एक अपूरणीय क्षति है. उनकी कमी हमेशा खलेगी .मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव खालिद सैफुल्ला ने कहा कि मौलाना इस समय मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी संपत्ति थे. इस्लामी जगत में, विशेषकर अरब जगत में उन्हें बड़े सम्मान से देखा जाता था.
ध्यान रहे कि मौलाना एक हाई-प्रोफाइल लेखक, शिक्षाविद्, अरबी के प्रतिष्ठित विद्वान, शिक्षक थे. वहीं मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने सभी मुस्लिमों से उनके प्रति सद्भाव की अपील की है.
बता दें कि पिछले कई दिनों से खबर चल रही थी कि मौलाना मुहम्मद राबे हसनी नदवी की तबीयत ठीक नहीं है. पिछले हफ्ते ही उन्हें उनके पैतृक स्थान रायबरेली से डॉक्टरों की देखरेख में इलाज के लिए लखनऊ लाया गया था. लेकिन गुरुवार को रमजान के 1444 हिजरी की 21 वीं तारीख को वह लखनऊ के एक अस्पताल में शाम चार बजे से दुनिया से हमेशा के लिए रुखसत हो गए.
मौलाना के निधन के साथ ही समाज के विभिन्न हलकों के विद्वानों और बुद्धिजीवियों और बुजुर्गों और नेताओं की ओर से शोक संवेदनाओं का सिलसिला जारी रहा. इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चांसलर प्रोफेसर सैयद वसीम अख्तर के अनुसार, ऐसी शख्सियतें सैकड़ों और हजारों सालों में पैदा होती हैं.
मौलाना के सीने में दर्द भरा दिल था. वे राष्ट्रीय एकता के प्रणेता और इस्लाम धर्म के प्रवक्ता थे. उनके निधन से जो शून्य पैदा हुआ है वह कभी नहीं भर पाएगा. मौलाना ने पिछले 21 से लगातार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई धार्मिक संगठनों का संरक्षण और नेतृत्व किया है.
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