मेजर मोहम्मद अली शाह: रियल लाइफ से रील लाइफ तक

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 03-02-2024
Major Mohammad Ali Shah: An Inspirational Story From Real Life to Reel Life
Major Mohammad Ali Shah: An Inspirational Story From Real Life to Reel Life

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

इंडिया पाकिस्तान बॉर्डर से मात्र 30 मीटर की दूरी पर अंतिम पोस्ट पर अंडरग्राउंड बनकर में सांप, बिच्छू और जेहरीले रेंगने वाले  कीड़ों के बीच रहने वाले मेजर मोहम्मद अली शाह की कहानी, जिन्होनें देश की सेवा करते हुए अपनी वर्दी पर स्टार कमाए.

 
मेजर मोहम्मद अली शाह ने आवाज द वॉयस को बताया कि अपने शार्ट सर्विस कमीशन को पूरा करने के बाद 2008 में उन्होनें 26 जनवरी को असम राइफल्स के दस्ते को कमांडिंग अफसर के तोर पर लीड किया उन्होनें बताया कि उस वक़्त उनके दोनों पैरों में मेजर फ्रेक्चर था बावजूद इसके उन्होंने अपनी शक्ति और हौसले का प्रदर्शन करते हुए शेर की दहाड़ के साथ बुलंदी से परेड खत्म करते हुए राष्ट्रपति को सेलूट किया. 
 
इसी समय उनकी मंगनी भी होनी थी जिसे उन्होनें देश के लिए दरकिनार कर दिया.
 
मेजर मोहम्मद अली शाह ने बताया कि उनकी पहली पोस्टिंग 2003 में सीज़फायर से पहले इंडिया पाकिस्तान बॉर्डर पर हुई थी जहां पर हर एक पल जान जाने का खतरा था और 30 मीटर की दूरी पर थी इलेक्ट्रिक एलओसी.
 
मेजर मोहम्मद अली शाह ने आवाज द वॉयस को बताया कि 2 साल उनकी पोस्टिंग के दौरान उन्होनें जंगल में बंकर के अंदर अनगिनत सांप, बिच्छू, गिरगीत और जेहरीले कीड़ों के बीच बिताए और देश की सुरक्षा के लिए वहां तैनात रहे.
 
 
इसके बाद कैप्टन अली शाह का तबादला हुआ नार्थ ईस्ट में जहां उन्हें अपने पिता को ही रिपोर्ट करना होता था क्योंकि वहां उनके बॉस उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह थे. और उनके पिता को वे रोजाना रिपोर्ट देते सेलूट करते उनके घर पर वहां वे कभी नहीं गए और अपने वालिद के साथ प्रोफेशनल ड्यूटी की.
 
इसके बाद असम राइफल्स में जाने का निर्णय अली शाह ने स्वयं लिया और डेपुटेशन पर वहां गए. इसका कारण अली शाह ने आवाज द वॉयस को बताया कि वे नार्थ ईस्ट के बारे में तबतक सब कुछ जान गए थे वहां का कल्चर, बोली, भाषा, क्षेत्र, रीजन, इलाके आदि के बारे में जानकर बन गए थे.
 
वहां की जीओग्रफी को अली शाह अच्छे से जान गए थे और मणिपुर में उनकी जान पहचान अच्छी थी. अली शाह को मणिपुर और वहां के लोगों से आज भी काफी लगाव है. क्योंकि उनका मानना है कि वहां के हर समुदाय के लोगों में अनुशासन कूट-कूट कर भरा हुआ है वे लोग बहुत मेहनती और प्यारे हैं. 
 
अली शाह का कहना है कि मणिपुर और नागालैंड में सर्विस करना उनके लिए सौभाग्य की बात थी हालांकि शाह ने जम्मू कश्मीर में भी देश की सुरक्षा के लिए अपनी सेवाएं प्रदान कीं. 
 
 
शाह का सैन्य करियर
अली शाह ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई में भाग लिया. पहले शाह ने एक कॉल सेंटर में काम किया और फिर पारिवारिक परंपरा के अनुसार भारतीय सेना में कमीशन लिया. एक युवा लेफ्टिनेंट के रूप में, शाह को जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया था.
 
 
उन्हें कैप्टन के रूप में पदोन्नत किया गया था और उनके पिता को उत्तर पूर्व में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के एडीसी के रूप में स्थानांतरित किया गया था. इसके बाद, असम राइफल्स में तैनात रहते हुए उन्हें मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था.
 
उन्होंने 2007 में हैदराबाद में आयोजित चौथे सीआईएसएम सैन्य विश्व खेलों के लिए टेलीविजन कमेंटेटर के रूप में दूरदर्शन के लिए काम किया. सत्यापित करने के लिए उद्धरण की आवश्यकता है. उनकी सेना की सेवा कुल पांच वर्षों की थी.
 
 
अगर हम ये कहें कि मेजर मोहोम्मद अली शाह रियल से रील लाइफ के आर्मी हीरो हैं तो ये कहना गलत नहीं होगा. शाह लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह (सेवानिवृत्त) के बेटे और अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के भतीजे हैं. 
 
 
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में शहीद कपूर, पंकज त्रिपाठी, रणदीप  हुड्डा के साथ अली शाह ने अच्छा  बिताया लेकिन किसी कारणवश मोहम्मद अली शाह का सेलेक्शन नहीं हुआ और बाकी एक्टर्स जहां मुम्बई जाकर स्टार्स बने वहीँ मोहम्मद अली शाह ने आर्मी ट्रेनिंग शुरू की यूपीएससी का एग्जाम पास किया और मेजर मोहम्मद अली शाह बनकर अपनी वर्दी पर स्टार्स कमाए.
 
अली शाह ने आवाज को बताया कि इस तरह वे देश को सर्व करने के लिए तैयार हुए और साथ ही उनके परिवार में उनके पिता से लेकर उनके खालू तक सभी आर्मी में हैं और इसीलिए भी शायद उनकी रग-रग में  देश प्रेम की भावना भरी हुई है.
 
 
मोहम्मद अली शाह ने आवाज से वॉइस को बताया कि अंतरधार्मिक सम्मेलन में बोलना और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द पर अपने विचार व्यक्त करना वास्तव में बहुत अच्छा था, जहां एनएसए अजीत डोभाल अध्यक्ष थे. देश की तरक्की में मुझे अपने योगदान देने पर गर्व है. राष्ट्र निर्माण की दिशा में हमेशा मैं अपना योगदान देता रहूंगा.
 
 
अगर एक्टिंग की बात करें तो भी आर्मी और पुलिस मेन की भूमिका अलीशाह ने बखूभी फिल्मों में निभाई है. शाह ने श्रीराम राघवन की एजेंट विनोद, विशाल भारद्वाज की हैदर और तिग्मांशु धूलिया की यारा फिल्मों में अभिनय किया है. उन्होंने मजाज़ लखनऊवी के जीवन पर आधारित फिल्म में अभिनय किया और दूरदर्शन की राष्ट्रीय टेलीविजन श्रृंखला, दिल आशना है में एक किरदार निभाया. उन्होंने एक विज्ञापन में अभिनय किया है. उन्होंने चौथे दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में एक अंग्रेजी फिल्म के लिए "सर्वश्रेष्ठ अभिनेता" का पुरस्कार जीता.
 
सेना छोड़ने के बाद शाह ने भारतीय प्रबंधन संस्थान कलकत्ता में मार्केटिंग का अध्ययन किया. उन्होंने जेनपैक्ट और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के लिए काम किया है.
 
मेजर मोहम्मद अली शाह ने बताया कि एक बार उन्हें किसी फिल्म में पंजाबी का रोल मिला जिसके लिए उन्होनें गुरूद्वारे जाकर सेवा की वहीँ रात दिन बीतये और  बोली भाषा संस्कृति जानी और समझी,  लोगों के जुटे उठाये , उन्हें लंगर खिलाया, खाना बनाया और गंगा जमुनी तहजीब की तस्वीर पेश की.
 
 
2012 में, शाह ने एक निजी एयरलाइन के कथित घोर कदाचार के खिलाफ अभियान में मदद की ताकि यह साबित किया जा सके कि ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं.
 
मेजर मोहम्मद अली शाह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इंडियन आर्मी की गौरवशाली गाथाएं लोगों सुनाते हैं. मेजर मोहम्मद अली शाह ने आवाज द वॉयस के माध्यम से युवाओं को यह सन्देश भी दिया की लहरों से  डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार कभी नहीं होती.
 
अपने आर्मी और एक्टिंग करियर के कई फ़ैलीयर्स की बावजूद मेजर मोहम्मद अली शाह ने कभी हार नहीं मानी और जो बच्चा बचपन में हकलाया करता आज वे बुलंद आवाज में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय सेवा की शौर्य और वीर गाथा ऑन की चर्चा करते हैं.
 
 
मेजर मोहम्मद अली शाह पास न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्चतम TEDx वार्ता देने का विश्व रिकॉर्ड है और उन्हें अक्सर देश के शीर्ष सबसे प्रेरक वक्ता के रूप में माना जाता है.
 
वह एक रक्षा विशेषज्ञ, एक रक्षा विश्लेषक भी हैं जो कई लोकप्रिय भारतीय समाचार चैनलों पर डिबेट पैनलिस्ट भी हैं.
 
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म YAARA में बतौर एक्टर उन्हें काफी सराहना मिली है. उन्होंने बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित बहुचर्चित वेबसीरीज AVRODH में नायक इरफान खान के रूप में एक सैनिक की भूमिका भी निभाई है.
 
मेजर मोहम्मद अली शाह (जन्म 23 सितंबर 1979) एक भारतीय अभिनेता, प्रेरक वक्ता और पूर्व सैन्य अधिकारी हैं. वह ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म और मनोरंजन महोत्सव के बोर्ड के सदस्य हैं जिन्होंने उन्हें पुरस्कार दिया था.