चिश्तियों ने मोहब्बत को इबादत बना दिया : सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 26-02-2023
साक्षात्कार: सूफी चिश्तियों ने मोहब्बत को इबादत बना दिया- सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती
साक्षात्कार: सूफी चिश्तियों ने मोहब्बत को इबादत बना दिया- सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती के अनुसार हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने जब भारत में कदम रखा तभी से सूफिज्म की शुरुवात हुई. सूफी कव्वाली और सूफी संप्रदाय से ही उनको सूफी गायकी की प्रेरणा मिली. सैयद रियाजउद्दीन कहते हैं कि देश में भक्ति मूवमेंट वापस आएगा. सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती अजमेर ग्लोबल सूफी फाउंडेशन के डायरेक्टर भी हैं.

अजमेर ग्लोबल सूफी फाउंडेशन की स्थापना एक ही मक़सद की बुनियाद पर है- "प्रेम या इश्क़ विश्वव्यापी मज़हब है".  सूफी हजरत सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती इस संस्था के संस्थापक हैं और इसकी गतिविधियों के अंतर्गत सांसारिक जीवन का त्याग, ईश्वर में पूर्ण विश्वास, दान के माध्यम से जितना संभव हो दूसरों की मदद करना और सभी जाति, पंथ, धर्म, रंग या सामाजिक स्तर के मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करना है.
 
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह (अजमेर शरीफ) के गद्दी नशीन सूफी हजरत सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती ने कहा की "भारत आस्थाओं और धर्मों की भूमि है. महान सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह ने हिंदुस्तान में गंगा जमुनी तहज़ीब की नीव रखी. 
 
अलग-अलग धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से रहते थे, जो अब हम "गंगा-जमुनी संस्कृति", "सिंक्रेटिक तहज़ीब" या "विविधता मेंएकता" के रूप में जानते हैं. और यही पूरी दुनिया के लोगो में भारत को प्रसिद्ध करता है, उनको भारत और भारतीयों से प्रेम पे विवश करता है. और उनको भारत की यात्रा कर ये भाईचारे की संस्कृति को देख, भारत का दीवाना बनाता है. 
 
 
सैयद रियाजउद्दीन चिश्ती ने कहा कि सभी सूफी संतों और महात्माओं का काम है कि वह हर मंच से केवल प्रेम का संचार करें यहीं उनका कर्तव्य बनता है. जिन्होनें हाल ही में नई दिल्ली में दिल्ली दरबार संगीत महोत्सव 2023 के दौरान सूफीवाद के लगभग 900 वर्षों के इतिहास में पहली बार चिश्ती सूफी दास्तानगोई प्रस्तुत की
 
यह अनूठी प्रस्तुति सूफी आध्यात्मिक इमाम या गुरु, पैगंबर मोहम्मद के वंशज और हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हबीब अल्लाह (अजमेर शरीफ) के गद्दी नशीन, सूफी हजरत सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती द्वारा परिकल्पित थी.
 
सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती के अनुसार दास्तानगोई (कहानी सुनाना), कव्वाली (सूफी गायन) और रक्स (सूफी नृत्य) तीनो मुख्य घटकों में खूबसूरत तालमेल दीखता है जोकि सूफीवाद का एक अनोखा रूप है. 
 
सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती विभिन्न मंचों से सूफिज्म का पैगाम देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में दे रहें हैं. सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती के अनुसार भारत में इस्लाम तलवार के जोर पर नहीं, बल्कि प्यार और मोहब्बत से आया. इसमें चिश्ती सूफियां सूफियों  का बहुत बड़ा योगदान रहा है.
 
सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती ने विदेशों में भी प्रस्तुती दी है जिसमें, विडालिया अनियन म्यूजियम, वाशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, यूएस बांगला चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री आदि शामिल है.  सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती के अनुसार दुनिया में बस यही दो चीजें हैं, एक खालिक और दूसरी मखलूक, यानी एक रचयिता दूसरी रचना. जब लोगों ने यह सुना तो सब लोग गरीब नवाज की तरफ रूजू हो गए और गरीब नवाज ने गंगा जमुनी तहजीब की नींव डाली, उन्होंने भाईचारे का संदेश दिया. लोग संस्कृति और सभ्यता को मोहब्बत बनाते हैं सूफी चिश्तीयों ने मोहब्बत को इबादत बना दिया.
 
सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती से जब सूफिज्म का अर्थ पूछा गया तो उन्होनें बताया कि सूफिज्म के चार उसूल हैं जिसमें त्याग छुपा है. पहला तर्क ए दुनिया यानी दुनिया को भूल जाना , फिर तर्क ए उक़्बा यानी इबादत में जमात को भूल जाना, तर्क ए मोला यानी अल्लाह ही अल्लाह और आखरी तर्क-ए- तर्क यानी पिछले तीन तर्क भी भूल जाना ही असली सूफीवाद है. सूफीवाद यानी लोगों का दोष छुपाना.
 
राष्ट्रवाद और सूफीवाद की कड़ी: सूफी सईद रियाजुद्दीन चिश्ती ने कहा कि दुनिया भर के जितने भी सूफी हैं, संत हैं, महात्मा हैं, सभी अपने अपने मंच से प्रेम और एकता के सन्देश का संचार करें यहीं राष्ट्रवाद में सूफीवाद है तभी देश में भक्ति आंदोलन फिर से आएगा.