Exclusive interview : दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की सीईओ ग़ज़ल खान बोलीं, मैंने अपनी दूसरी जिंदगी उनके नाम कर दी

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 04-04-2023
साक्षात्कार: दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया की वर्तमान सीईओ गजल खान से खास बातचीत
साक्षात्कार: दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया की वर्तमान सीईओ गजल खान से खास बातचीत

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

मैंने अपनी दूसरी जिंदगी दिव्यांगों पर न्योछावर की और व्हीलचेयर क्रिकेट में उनका करियर बनाने की ठानी जो आज देश ही नहीं पूरी दुनिया में अपने चौकों और छक्कों की बरसात कर रहें है: ग़ज़ल खान दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया की वर्तमान सीईओ 

मोहोब्बत के शहर आगरा की रहने वाली ग़ज़ल खान विश्व की सबसे कम उम्र की युवती हैं जिन्होनें व्हीलचेयर क्रिकेट को एक नया आयाम दिया और अब वर्तमान में  ग़ज़ल खान दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया की वर्तमान सीईओ हैं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ व्हीलचेयर क्रिकेट की वाइस चेयर पर्सन और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल फॉर द फिजिकली चैलेंज्ड की सेक्रेटरी ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स हैं. 
 
 
28 वर्षीय ग़ज़ल खान ने आवाज द वॉयस को बताया कि मेरा जन्म 24 दिसंबर, 1994 को आगरा में मुस्लिम संयुक्त परिवार में हुआ. 2015 में ग़ज़ल खान का बहुत ही दुर्घटना पूर्ण एक्सीडेंट हुआ था जिसमें उन्होंने मौत को मात दी थी. 
 
 
ग़ज़ल खान ने आवाज द वॉयस  को बताया कि 22 दिसंबर 2015 का दिन था, मैं परीक्षा देने जा रही थी एमबीए द्वितीय सेमेस्टर की जहां मेरा बीपी डाउन हो गया और मैं स्कूटी चलाते समय नीचे गिर गई और बेहोश हो गईं. मैंने अपनी आँखें खोलीं 9 दिन बाद आगरा के एक अस्पताल के आईसीयू में.
 
आईसीयू में 20 दिन बिताने के बाद फिर मैं डॉक्टर की निगरानी में प्राइवेट रूम में शिफ्ट हुई. घर वापस आने के बाद मुझे पता चला कि मैं 2 के लिए वेंटिलेटर पर थी. उन दिनों डॉक्टरों ने घोषित किया कि मैं 98% मर चुकी थी, केवल 2% जीवन बचने के चान्सेस थे वो एक संभावना थी कि मैं कोमा में वेंटीलेटर पर लड़ सकी तो !
 
24 दिसंबर को मेरे जन्मदिन पर मुझे नया जन्म मिला. कोमा में 9 दिनों तक ढेर सारे टांकों की वजह से मैंने अपने चेहरे की खूबसूरती खो दी और जब मेने आईना देखा तो मैं खुद को पहचान नहीं पाई. 
 
क्रिकेट में मेरी नई पारी: ग़ज़ल खान 
 
मेरे दुर्घटना के बाद, मैं हमेशा सोचती हूं कि मैं केवल 2% जीवन बचाने के अवसरों के साथ क्यों बची हूं..? मैंने खुद से पूछा, उसने (अल्लाह) ने मुझे क्यों बचाया..? यही वह समय था जब मेरे पास मेरे पिता के संघ के विकलांग क्रिकेटरों के ज्यादातर फोन आए. मैंने उनकी स्वेच्छा से मदद की 2015 के शुरुआती महीनों में आयोजित पहले एशिया कप के दौरान. इसलिए विकलांग क्रिकेटरों के साथ मेरा अच्छा संबंध था. 
 
 
मुझे एहसास हुआ कि मैंने केवल अपने चेहरे की सुंदरता खो दी थी, लेकिन उन्होंने अपने शरीर के अंग खो दिए और फिर भी वे बहुत खुश और शुक्रगुज़ार हैं, सर्वशक्तिमान हैं. तो मुझे अपने बदसूरत चेहरे पर शर्म क्यों आनी चाहिए?
 
मुझे एहसास हुआ कि अल्लाह ने मुझे एक वजह से बचाया है, मैं यूपीएससी की तैयारी करूंगीं और आईएफएस अधिकारी के रूप में अपने देश की सेवा करूंगी. बहुत महनत की और और मुझे 100% यकीन था कि मैं इसे पहले प्रयास में ही पास कर लूंगीं क्योंकि मुझे विभिन्न कोचिंग सेंटरों पर यूपीएससी की विभिन्न परीक्षाओं में हमेशा अच्छे ग्रेड मिले थे.
 
 
 
लेकिन मेरी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के एक दिन पहले, मेरे मंगेतर के साथ मेरा झगड़ा हुआ था और मैं बहुत चिंतित थी कि मैं अपनी यूपीएससी परीक्षा हार गई. और एक बार फिर एक गंभीर नैदानिक ​​अवसाद के रूप में एक नए आघात का सामना करना पड़ा. अचानक मैंने 8-9 साल के बच्चे जैसा व्यवहार किया. मैं बहुत कुछ भूल गयीं चीजें और लोग. मैं 23 साल की थी लेकिन दिमाग से मेरा 8 साल का था. मैंने सारे होश खो दिए.
 
तभी अचानक व्हीलचेयर क्रिकेट IWPL का टूर्नामेंट हो गया और व्हीलचेयर क्रिकेटरों के साथ क्रिकेट खेलते हुए एक चमत्कार हो गया. जब मैं खेलकर वापस आई तो मैं सामान्य थी. उस वक़्त मेरा परिवार यहां तक कि सभी लोग सदमे में थे. 
 
 
मैंने डिसेबिलिटी क्रिकेट के लिए अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया: ग़ज़ल खान 
 
फिर मैंने डिसेबिलिटी क्रिकेट के लिए अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया. यह वह क्षण था जब मुझे एहसास हुआ कि अल्लाह ने हमेशा मुझे क्यों बचाया है. उस दिन से अब तक मैंने अपना 24×7 इस क्रिकेट और दिव्यांगजनों की बेहतरी के लिए दिया है. मैंने एक स्वयंसेवक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और मुझे गर्व है कि मैं दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया का सीईओ हूं. 
 
इसकी प्रेरणा मुझे मेरे पिता से ही मिली. गजल के पिता हारून राशिद भारतीय टीम के मशहूर तेज गेंदबाज थे. उन्हें भी एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा और उन्हें डॉक्टरों की सलाह पर क्रिकेट छोड़ना पड़ा. उन्होंने विकलांग क्रिकेटरों को अपने हितों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए भारत के दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की स्थापना की. वह दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ़ इंडिया के महासचिव भी हैं.
 
 
 
भारत ही नहीं, मैं अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर क्रिकेट परिषद ICWC के उपाध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का प्रतिनिधित्व कर रहीं हूं. अंतर्राष्ट्रीय मामलों के सचिव के रूप में शारीरिक रूप से विकलांग ICCPC के लिए काम कर रहीं हूँ.  और इसके बाद ही मेने विकलांग व्यक्तियों के लिए पहली और सबसे बड़ी क्रिकेट लीग दिव्यांग प्रीमियर लीग डीपीएल टी-20 की शुरुवात की.
 
उसके बाद से आज तक निरंतर दिव्यांग क्रिकेट के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं. उनका मकसद दिव्यांग क्रिकेटरों को वही मान सम्मान दिलाना और प्लेटफार्म दिलाना है जो नॉर्मल खिलाड़ियों को मिलता है. इनके ही प्रयासों से आईपीएल की तर्ज पर दुबई के शारजाह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम पर 2021 में दिव्यांग प्रीमियर लीग आईपीएल 6 टीमों के बीच खेला गया.
 
 
अपनी सफलता का श्रेय वो अपने पिता हारून राशीद साहब को देतीं हैं जो अपनी आप में एक उम्दा क्रिकेट खिलाड़ी थें मगर एक दुर्घटना के बाद उन्हें डॉक्टर ने आगे न खेलने की सलाह दी लेकिन हारून राशीद साहब ने अपनी बच्ची को इस नेक कार्य में लगाया और फिर दिव्यांग क्रिकेट यानी व्हील चेयर क्रिकेट का आगाज़ हिंदुस्तान में
मेने किया. 
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी काफ़ी प्रभावित हुई ग़ज़ल खान
 

दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया की वर्तमान सीईओ ग़ज़ल खान ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी काफ़ी प्रभावित हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में 27 दिसंबर को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक ‘दिव्य क्षमता’ है और उनके लिए ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और भविष्य में भी वो यह आशा करती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके व्हील चेयर क्रिकेट को आगे बढ़ाने में सहायक होंगें.
 
अवार्ड और सम्मानित
आगरा की ग़ज़ल खान को ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है. इससे पहले भी बीते वर्ष सितंबर माह में ग़ज़ल खान को आइकंस ऑफ एशिया अवार्ड से सम्मानित किया गया था. महज 28 वर्ष की उम्र में गजल खान देश-विदेश में दिव्यांग क्रिकेट के क्षेत्र में काम कर रही हैं.
 
 
ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित
राजस्थान में 25 मार्च 2023 को 2014 से दिव्यांगजन क्रिकेट के क्षेत्र में कार्यरत ग़ज़ल खान को समर्थ सेवा संस्थान द्वारा ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया. उनको यह अवार्ड मुंबई की मशहूर समाज सेविका भाग्यश्री वर्तक, समाज कल्याण अधिकारी झालावाड़ श्री मीना, समर्थ सेवा संस्थान के चेयरमैन श्री रामजी लाल, महाराष्ट्र अपंग संस्थान के अध्यक्ष श्री भगवान तलवारे इत्यादि के हाथों दिया गया.
 
 
 
अवार्ड सेरेमनी के दौरान ग़ज़ल खान पर बनी एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई. डॉक्यूमेंट्री में उनके जीवन के संघर्षों को बयां किया गया था. उन्होंने किस तरह मौत को मात देकर आज देश विदेश में भारत का नाम रोशन किया है. उनकी डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद तमाम दर्शको के द्वारा जोरदार तालियों से सराहना की गई. 
 
वर्तमान में ग़ज़ल खान भारत देश में दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया की सीईओ होने के अलावा इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ व्हीलचेयर क्रिकेट की वाइस चेयरपर्सन और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल फॉर द फिजिकली चैलेंज्ड की सेक्रेटरी ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स भी हैं.
 
 
गजल खान देश में ही नहीं विदेशों में भी दिव्यांगों के लिए काम कर रही हैं. उनका लक्ष्य हर एक दिव्यांगजन खिलाड़ी को वही मुकाम दिलाना है जो अमूमन खिलाड़ी को मिलता है, वहीं प्लेटफार्म दिलाना है जो नॉर्मल खिलाड़ियों को मिलता है, वही सुख सुविधाएं दिलानी है जो नॉर्मल खिलाड़ियों को मिलती हैं.
 
महज़ 28 वर्ष की उम्र में जो काम ग़ज़ल खान ने कर दिखाया है, वह वाकई काबिले तारीफ है और ऐसे ना जाने कितने सम्मान उनका इंतजार कर रहे हैं भविष्य में उनको सम्मानित करने के लिए.
 
फ्यूचरिस्टिक योजना
ग़ज़ल खान ने आवाज द वॉयस को बताया कि मैंने डिसएबिलिटी क्रिकेट व्हीलचेयर क्रिकेट और को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए अपना उद्यम पंजीकृत किया है साथ ही दिव्यांग महिला क्रिकेट भी कराती हूँ. भारत विशाल संस्कृति और विचारों का उद्गम स्थल है. जिस तरह से डिसएबिलिटी क्रिकेट और व्हीलचेयर क्रिकेट है. दिव्यांग क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो भारत में खेला जा रहा और अन्य देशों को प्रेरणा दे रहा है.
 
 
लोग वही करते हैं जो उनका मनोरंजन करता है. कमेंट्री के बिना क्रिकेट मैच इतना उबाऊ लगता है, इसलिए मैं इस क्रिकेट को इतना ही मनोरंजक बनाने पर ध्यान दे रहीं हूं. यह व्यावसायीकरण और आर्थिक वृद्धि का युग है. मेरा लक्ष्य एक खेल व्यवसाय उद्योग स्थापित करना है वो विकलांग लोगों के लिए होगा जिनके पास अपनी रोटी के लिए मिलने वाली आय नहीं है. 
 
ग़ज़ल खान को सोशल मीडिया पर लोगों का समर्थन मिलता है जिससे उनकी ऊर्जा में और वृद्धि होती है. ग़ज़ल खान की दिव्यांग क्रिकेट टीम्स हर राज्य में है जो राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं और जीत हासिल करती हैं. वहीँ उनकी सरकार से मांग है कि जो एक नार्मल खिलाड़ी को सम्मान और फ़ायदे मिलते हैं वही दिव्यांग खिलाड़ी को भी मिलना चाहिए जिससे उनका हौसला और बढ़ेगा. 
 
 
साथ ही साथ ग़ज़ल खान ने बताया कि फरीदाबाद में भी उनका एक शानदार टूर्नामेंट होने जा रहा है.
 
 
 
जिसका गवाह हरियाणा पहली बार होगा. एनसीआर इंफोटेनमेंट के बैनर तले विजय यादव क्रिकेट अकेडमी में 14 से 16 अप्रैल तक यह आयोजित होगा जिसमें फरीदाबादवासी व्हीलचेयर क्रिकेट का लुत्फ उठाएंगें. 
 
देखिए :-