फरहान इसराइली / जयपुर
हाजी निजामुद्दीन शेख़, जिन्होंने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा हाजियों की सेवा में समर्पित कर दिया, हाल ही में चेन्नई में आयोजित ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसायटी के अधिवेशन में सम्मानित किए गए. उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था और उनकी सादगी ने वहाँ सभी को प्रभावित किया. हाजी निजामुद्दीन ने वीआईपी प्रोटोकॉल की पेशकश ठुकरा दी और हमेशा की तरह सादगी से इस सम्मान को स्वीकार किया.
चेन्नई में हुए इस अधिवेशन में देश भर के हज खिदमतगारों को उनके सेवाभाव के लिए सम्मानित किया गया. राजस्थान से हाजी निजामुद्दीन शेख़, जो कि जयपुर के निवासी हैं और पिछले 27 वर्षों से हाजियों की खिदमत कर रहे हैं, को भी विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया.
इस कार्यक्रम में सऊदी अरब से आए फ्लाइट्स कंपनी के चेयरमैन सकरान सालेह अल सुवेदी और साउथ इंडिया हज कमेटी के सदस्य जेएमएस आसन मौलाना समेत अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व उपस्थित थे.
हाजियों की सेवा में समर्पण
हाजी निजामुद्दीन ने पिछले 27 वर्षों से हज यात्रियों की सेवा और सहायता में अपने जीवन को वक्फ कर रखा है. राजस्थान हज वेलफेयर सोसायटी के संस्थापक सदस्य के रूप में उन्होंने इस संस्था को एक मिशन की तरह शुरू किया और इसे राजस्थान के अलावा पूरे देश में फैलाया. यह संस्था हज यात्रियों की खिदमत के साथ-साथ उनकी समस्याओं का समाधान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
हज हाउस का निर्माण और फ्लाइट्स की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका
हाजी निजामुद्दीन का सबसे बड़ा योगदान जयपुर में हज हाउस के निर्माण और वहाँ से हज के लिए सीधी फ्लाइट्स शुरू करवाने में रहा. उन्होंने सरकार से जमीन आवंटित कराने से लेकर हज हाउस की बिल्डिंग बनवाने तक हर मोर्चे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
राजस्थान हज वेलफेयर सोसायटी ने अब तक करीब एक लाख से ज्यादा हज फॉर्म भरवाए हैं और हर साल 5000 से अधिक फॉर्म भरती है. हाजी निजामुद्दीन की अगुवाई में यह संस्था न केवल हाजियों की सेवा में लगी रहती है, बल्कि विरोधों के बावजूद उनके हितों की रक्षा करती आई है.
जयपुर में करबला में हज हाउस बनाने का विरोध हुआ, लेकिन हाजी निजामुद्दीन और उनकी टीम ने सरकार को इसके लिए मनाने में सफलता पाई और 2003 में इस हज हाउस की नींव रखी गई.
समाज सेवा में भी अग्रणी
हाजी निजामुद्दीन सिर्फ हज खिदमतगार ही नहीं हैं, बल्कि उन्होंने समाज सेवा में भी बड़ा योगदान दिया है. जयपुर के रामगंज चौपड़ में जच्चा-खाना को 50 बेड के अस्पताल में अपग्रेड करने में उनका योगदान रहा. उन्होंने साल 1965 से जनसेवा का कार्य शुरू किया और तब से लगातार इसमें जुटे हुए हैं.
भविष्य की योजनाएँ
हाजी निजामुद्दीन की भविष्य की योजनाओं में राजस्थान के हर जिले में हज वेलफेयर सोसायटी की एक शाखा खोलना और सोसायटी के लिए स्वयं की जमीन खरीदना शामिल है, ताकि वहाँ ट्रेनिंग कैंप आयोजित किए जा सकें और हज फॉर्म भरने की प्रक्रिया को और सुगम बनाया जा सके.
उन्होंने हाजियों के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया को शुरू किया और अब डिजिटल हज ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाई जा रही है. काबा शरीफ का मॉडल बनाकर हाजियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने का काम भी सोसायटी कर रही है. उनकी खिदमात के लिए उन्हें विभिन्न समाजों और संस्थाओं द्वारा कई सम्मान मिल चुके हैं.
हाजी निजामुद्दीन जयपुर के पहले हज कोऑर्डिनेटर हैं और वे 8 बार सेंट्रल हज कमेटी के मास्टर ट्रेनर रह चुके हैं। 2006 में उन्हें राजस्थान पत्रिका द्वारा 'कर्णधार सम्मान' से भी नवाजा गया.हाजी निजामुद्दीन के इस समर्पण और सेवाभाव ने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के हाजियों का दिल जीत लिया है.