राहत फाउंडेशन की संस्थापक सना खान बोलीं, शिक्षा ही सफलता की कुंजी

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 10-05-2024
Founder of Rahat Foundation and social worker Sana Khan said education is the foundation of success
Founder of Rahat Foundation and social worker Sana Khan said education is the foundation of success

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
सामाजिक कार्य करने वालों को हमेशा ही समाज इज्जत बक्शता है क्योंकि वे समाज और इंसानियत के लिए अपने जीवन को समर्पित कर देते हैं लेकिन उस सच्ची और अच्छी पहल को शुरू करने वाले की ज़िंदगी भी अहमियत रखती है जिसने खुद कष्ट सहकर ये ठाना कि जो संघर्ष उन्हें अपने जीवन में करना पड़ा वे किसी और को न सहना पड़े. इस बात की मिसाल हैं 34 वर्षीय सना खान, जिन्होनें 2010 में 26 फरवरी को राहत फॉउंडेशन की नीव रखी जो 14 वर्षों से लगातार जरूरतमंदों की मदद कर रही है. इसकी यूनिट्स अब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र में भी सक्रीय हैं. 
 
 
आवाज को सना खान ने बताया कि वे खासकर लड़कियों के ड्रॉपआउट पर काम करतीं हैं और फ़िलहाल ये उनका सबसे अहम प्रोजेक्ट है जिसके तहत वो ऐसी ड्रॉपआउट बच्चियों को वापस शिक्षा की दिशा दिखाते हुए उन्हे जामिया और एनआईयूएस में दाखिला दिलातीं हैं. उनका कहना है कि शिक्षा जीवन में सबसे अहम है जिसका सबको अधिकार है. चाहे वे लड़का हो या लड़की. इसके प्रोजेक्ट के तहत वो अब तक लगभग 2000 ड्रॉपआउट बच्चों का वापस शिक्षण संस्थानों में एडमीशन करा चुकी हैं.
 
सना खान कहतीं हैं कि हम जरूरतमंदों के लिए हर तरीके से कार्य करते हैं उन्हें कौशल भी देते हैं और उनका प्लेसमेंट कराने की जीम्मेदारी भी खुद उठाते हैं. इसमें डिजिटल मार्केटिंग कोर्स, फैशन डिजाइनिंग कोर्स, आदि शामिल हैं. वहीं उन्होनें दिल्ली में लगभग 256 जरूरतमंद लड़कियों के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए. 
 
 
सना खान ने बताया कि अबतक वे लगभग 1000 युवक, युवतियों को रोजगार दिला चुकी हैं. जिन्होनें उनकी राहत फॉउंडेशन से जुड़कर कौशल प्राप्त किया. इसमें डिजिटल मार्केटिंग से 6000 छात्र जुड़े, फैशन डिजाइनिंग से 4000 छात्राएं जुड़ी और इन सबका प्लेसमेंट कराने के लिए सना खुद ही ओखला फेस 2 में स्थित फैशन डिजाइनिंग इंडस्ट्री से सम्पर्क साधतीं हैं, वहीं आईटी सेक्टर, कॉल सेंटर, स्विग्गी, जोमेटो, ओला आदि कम्पनियों के साथ भी वे कनेक्ट में रहतीं हैं जहां रहत फॉउंडेशन के कौशल युवक-युवतियों को वे एनरोल कराकर उनके रोजगार का माध्यम बनतीं हैं. 
 
 
सना खान ने बताया कि मेरे पिता की मृत्यु तब हुई जब मैं  8वीं कक्षा में थी और मेरी उम्र मात्र 13 साल थी मेरे घर में मेरे दो बड़े भाई और माँ थीं. उस वक़्त हमने जिन आर्थिक कठिनाईयों का सामना किया उसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है लेकिन फेर एक दिन एक मसीहा एक फॉउण्डेश  से आया जिनसे मुझे स्पोर्ट मिला और आज मैं इस मुकाम पर हूँ कि मेने अपनी एक सफल दुनिया बना ली है अब मैं दरों की मदद के लिए हमेशा प्रयासरत रहतीं हूँ. 
 
हम अपने सभी लाभार्थियों का पीरा ख्याल रखते हैं उनकी शिक्षा, एग्जाम फीस, बुक्स सभी हम उन्हें अरेंज करकर देते हैं. कभी कभी आर्थिक परेशानियां भी होतीं है ऐसे में समाज के कुछ लोग ही हमारी आर्थिक मदद और फंड रेज में मदद भी करते हैं.  
 
 
सना खान कहतीं हैं कि किसी भी तरह के फ्रॉड से बचने के लिए हम सब प्रकार की मदद को पूरा करते हैं. पहले हम किसी भी जरूरतमंद की जांच करते हैं कि उसे वाकई में तकलीफ क्या है और उस अनुसार उसे मदद देते हैं और उसका एनरोलमेंट अपनी राहत फॉउंडेशन में कराते हैं. मेरी राहत फॉउंडेशन केवल लड़कियों के लिए नहीं बल्कि लड़कों के लिए भी सक्रिय हैं. 
 
सना खान समाज की आभारी हैं जिन्होनें उनका हर कदम पर साथ दिया आज उनकी चर्चा समाज में हैं और उनसे लोग भी जुड़ रहे हैं उनकी टीम में अब लगभग 70 लोग हैं जो उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र में राहत फॉउंडेशन की यूनिट्स के जरिए समाज में सक्रीय हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं. 
 
 
सना खान ने बताया कि जल्द ही हम अपना एक सेंटर बेंगलोरे में खोलने जा रहे हैं जिसका मुख्य प्रोजेक्ट ड्रॉपआउट लड़कियों की शिक्षा के लिए कार्य करना होगा.
 
सना खान कहतीं हैं कि समय समय पर केम्पस आयोजित करतीं हैं जिसमें शिक्षा के प्रति जागरूकता समाज में फैलाई जाती है. वे अब तक राहत फॉउंडेशन के बैनर तले 500 से 600 केम्पस लगा चुकी हैं.
 
सना खान ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब 2010 में साउथ दिल्ली पॉलिटेक्निक से जनसंचार का कोर्स किया था उस वक़्त उन्होनें सहारा में नौकरी भी की. लेकिन उनकी हमेशा सी इच्छा थी समाज के जरूरमंद तबके के लिए मदद करना जिसके तहत ही मेने राहत फॉउंडेशन की नीव रखी थी जिसका करवा अब बढ़ता ही जा रहा है. 
 
सना खान कहतीं हैं कि अब लोग मेरी राहत फॉउंडेशन के लिए जागरूक हैं वे हमारे केम्पस में हमारा साथ देते हैं हमें कोरोना काल में भी लोगों को कंबल, ड्राई राशन वितरीत किया. बच्चों की पढ़ाई कराई उन्हें स्कूल बैग्स भी दिए. लोगों को दवाईयां भी बाटीं.
 
 
सना खान को अब देश ही नहीं विदेश में भी लोग जानने लगे हैं उन्हें हाल ही में दुबई से भी एक अवार्ड सम्मान स्वरूप मिला. उन्हें विभिन मंचों से सम्मान भी प्राप्त हुआ जिसमें बेंगलोरे, दिल्ली शहर भी शामिल हैं. 
 
 
सना खान ने समाज से अपील की कि अगर कोई व्यक्ति उनके राहत फाउंडेशन से जुड़कर मदद करना चाहता है तो उसका खुले दिल से स्वागत है. साथ ही उनकी इच्छा है कि उनकी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर फेसबुक पेज को भी लोग लायक करें जिससे की वे और लोगों तक पहुंच पाएंगी दोगितल माध्यम से भी अब सना खान लोगों से सम्पर्क कर उनकी मदद करने की इच्छुक हैं. सना खान दिल्ली के जसोला गांव में स्थित अपने ऑफिस से राहत फॉउंडेशन को ऑपरेट करतीं हैं.
 
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