नफरत नहीं, प्रेम से बदलें दुनिया: ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  [email protected] | Date 09-01-2025
Change the world with love, not hatred: Brigadier Dr. Mukhtar Alam
Change the world with love, not hatred: Brigadier Dr. Mukhtar Alam

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
भारत के युवा ही उसका असली भविष्य हैं. और भारत की सेवा के बाद अब मैं उनकी सेवा में लगा हूँ, ये कहना है ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम का.  80 वर्षीय ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम वरिष्ठ सेना अधिकारी के अलावा चिकित्सक, लेखक, परोपकारी और शिक्षाविद् हैं. साथ ही उन्हें अपनी उत्कृष्टता और मानवीय सेवाओं के लिए असंख्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

डॉ. मुख्तार आलम ने आवाज द वॉयस को बताया कि उन्होनें 35 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवा की है.  ब्रिगेडियर के पद तक पहुँचे और  भारतीय सेना के  स्त्री रोग के मुख्य सलाहकार रहे. मेडिकल छात्र के रूप में  दौरान, उन्होंने एमबीबीएस और एमडी में 7 स्वर्ण पदक हासिल किए. पुणे विश्वविद्यालय में एएफएमसी से प्रथम टॉपर थे. उन्हें सेना के भीतर एएफजी 1 के रूप में एएफएमसी [सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय] का जनक माना जाता है.
 
डॉ. मुख्तार आलम को महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्ष 2013 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अब तक हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और मराठी में 21 पुस्तकें लिखी और प्रकाशित की हैं.
 
डॉ. मुख्तार आलम ने आवाज द वॉयस को बताया," उन्होनें एंडोस्कोपी और ऑन्कोलॉजी के आधुनिक क्षेत्रों में व्यापक शोध किया है. 1980 के दशक की शुरुआत में लंदन विश्वविद्यालय के रॉयल पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रजनन तकनीकों में अपने सफल कार्य द्वारा चिकित्सा जगत में योगदान दिया. उनके काम को दुनिया भर की चिकित्सा पत्रिकाओं में मान्यता और प्रकाशन मिला है. कई नए शोधों के लिए उन्हें महत्व दिया गया. 
 
 
 
ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम एक ऐसे समाजसेवी हैं. जिनका मानना है कि भारत के युवा ही उसका असली भविष्य हैं. उन्होनें  बताया कि "वे अक्सर अपने आसपास के स्कूल में जाते हैं, जहां  गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति के माध्यम से उनकी शिक्षा में सहायता करते हैं. साथ ही उन्हें स्कूल यूनिफार्म और किताबें भी उपलब्ध कराते हैं."
 
 उनका कहना है कि वे अपनी चर्चा राजनेताओं की तरह नहीं कराना चाहते हैं.  ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम समय निकालकर बच्चों को पढ़ाते भी हैं . जीने के सही राह के बारे में उनका पथ पर्दर्शित करते हैं.
 
ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम ने बताया कि वे 80 प्रतीशत लाने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति की सुविधा भी प्रदान कर रहे हैं. कई छात्र ऐसे हैं जो आज बीटेक जैसी डिग्रीयां कर अपने जीवन को उज्ज्वल बनाने में व्यस्त हैं. इसमें एक नाई की बेटी हो या फिर चौकीदार का बेटा. सभी उनके लिए एक समान हैं.  सभी की मदद के लिए हमेशा सक्रिय रहते हैं.  
 
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मुख्तार आलम ने बताया कि उन्हें साहित्य में भी  रुचि है. उनकी उत्कृष्ट कृतियाँ मानव जाति को एकजुट करने के लिए अध्यात्मवाद, दर्शन और मानवतावाद के क्षेत्रों पर आधारित हैं. डॉ. मुख्तार आलम की विशिष्ट कृतियाँ उर्दू में “मजमुआं मज़ामीन क़ुरान मजीद” और हिंदी में “क़ुरान मजीद का काव्य सार” हैं, यानी क़ुरान का कविता के रूप में अनुवाद, है ताकि एक आम भारतीय व्यक्ति अपनी उर्दू/हिंदी भाषा में क़ुरान को समझ सके.
 
डॉ. मुख्तार आलम ने राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिकाओं में 50 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और 21 पुस्तकें लिखी हैं.  
 
 
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डॉ. मुख्तार आलम ने आवाज द वॉयस को बताया, "नकारात्मकता कभी भी विकल्प नहीं होती. यह एक स्व-चयनित आत्मघाती प्रवृत्ति है.घृणा को घृणा से नहीं मिटाया जा सकता,. इसे केवल प्रेम से मिटाया जा सकता है. हमारा राष्ट्र एक परिवार की तरह है. यह अनिवार्य रूप से विविधताओं का सम्मान करने और उनका जश्न मनाने के लिए प्रेम, करुणा और बलिदान के बंधन की मांग करता है. हमें अपने दृष्टिकोण, योग्यता और स्वभाव में समावेशी होना चाहिए."
 
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम ने 17 सितंबर 2016 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के के.ए. निज़ामी कुरानिक अध्ययन केंद्र में "अंधकार से प्रकाश की ओर" विषय पर व्याख्यान दिया. अपने व्याख्यान में ब्रिगेडियर आलम ने अज्ञानता के अंधकार से छुटकारा पाने के लिए ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया.
 
उन्होंने कहा कि ज्ञान, जो शैक्षिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप प्राप्त होता है, समाज को अज्ञानता और मूर्खता के दलदल से बाहर निकालने का एकमात्र उपाय है. उन्होंने कहा कि केवल "सत्यता, दृढ़ संकल्प, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत ही व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जा सकती है".
 
 
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पुस्तक विमोचन
 
 
मौजूदा समय में डॉ. मुख्तार आलम रूबी हॉल अस्पताल (अनुसंधान और रेफरल), पुणे में प्रोफेसर और एचओडी (अकादमिक) हैं, और डॉ. ब्रिगेडियर आलम के क्लिनिक और बांझपन उपचार और अनुसंधान केंद्र, परमार पार्क, वानोवरी, पुणे 411040 के निदेशक हैं.
 
वे स्त्री रोग के क्षेत्र में डॉक्टरों की नई पीढ़ियों को तैयार करना जारी रखते हैं और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में छात्रों और पेशेवरों को स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए शिक्षित भी करते हैं.
 
 
इस्लाम शांति का धर्म है: डॉ. मुख्तार आलम 
 
कुरान के संदेशों का हवाला देते हुए ब्रिगेडियर. आलम ने कहा कि "इस्लाम का लक्ष्य मानव जगत से अज्ञानता के अंधेरे को खत्म करना है और यह कभी भी "नफरत, क्रोध और बर्बरता" को मंजूरी नहीं देता. उन्होंने कहा कि इस्लाम शांति का धर्म है और इस धर्म के सच्चे अनुयायी के लिए सभी के प्रति प्रेम और करुणा ही जीवन का एकमात्र तरीका है."
 
अनुशासन हर किसी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व लक्षणों में से एक है. यह नियमों और विनियमों के एक सेट को संदर्भित करता है जिसका पालन किसी भी कार्य या गतिविधि से गुजरते समय किया जाना चाहिए. यह किसी भी कार्य को करते समय ईमानदार, मेहनती, प्रेरित और प्रोत्साहित होने का एक तरीका है.

ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम का नए साल के लिए संकल्प
 
ब्रिगेडियर. आलम ने कहा किआध्यात्मिक यात्रा एक अंतर्मुखी यात्रा है, जो हमें अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित कराती है. यह बाहर की दुनिया से हटकर अंदर के शाश्वत सत्य का अनुभव करने का मार्ग है.हर दिन अपने अंदर शांति और संतुलन की तलाश करें. ध्यान, साधना और आत्म-चिंतन को अपने जीवन का हिस्सा समझें. अपने विचारों को पवित्र रखें, अपने कर्मों को सेवा और प्रेम से भरें.
 
याद रखें, जीवन में हर घटना एक उद्देश्य लेकर आती है. हर अमूर्त आत्मा को निखारने का साधन है. ईश्वर पर विश्वास रखें और अपनी यात्रा को निष्ठा, धैर्य और दस्तावेज़ के साथ पूरा करें. यह यात्रा ही साध्य आनंद और मुक्ति का मार्ग है.

ब्रिगेडियर डॉ. प्रमुख आलम का मानना है कि सभी युवाओं को अध्यात्म का रास्ता अपनांना चाहिए तभी वे अपने जीवन का सही लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होंगें. अंत में ब्रिगेडियर डॉ. मुख्तार आलम ने इन पंक्तियों के सहारे समाज के युवाओं को भारत की महानता और विविधता का सम्मान करने की हिदायत दी.
 
हमारी मातृभूमि भारत है,
हमारा मिशन भारत है,
हमारा लक्ष्य भारत है,
हमारा कार्य भारत है,
हमारा उत्साह भारत है,
हमारी आत्मा भारत है,
हमारा शरीर भारत है.
 
ब्रिगेडियर. आलम ने कहा,"आइए हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें जो अपनी आध्यात्मिक समृद्धि और मानवीय विविधता के माध्यम से दुनिया को आलोकित करे. भारत मानवता है और मानवता ही भारत है. आइए हम वैश्विक बिरादरी के सामने शांति और सर्वधर्म सद्भाव के प्रतीक और शिखर के रूप में खुद को प्रस्तुत करें. आध्यात्मिकता ही भारत की असली शक्ति है."