एपीजे अब्दुल कलाम: शिक्षक की भूमिका में छात्रों के जीवन पर गहरा प्रभाव

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 06-09-2024
APJ Abdul Kalam
APJ Abdul Kalam

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से जाना जाता है. वे भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे. लेकिन उनके जीवन का एक और पहलू है, जो उन्हें छात्रों और शिक्षकों के बीच अत्यधिक प्रिय बनाता है -

वह है उनकी एक शिक्षक के रूप में भूमिका. अपने पूरे जीवन में, डॉ. कलाम ने शिक्षा और ज्ञान के महत्व को समझा और उसे अपनी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा. राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, उन्होंने खुद को पूरी तरह से छात्रों के बीच रहने और उन्हें प्रेरित करने के लिए समर्पित कर दिया.

उनके जीवन में कई ऐसी घटनाएं और क्षण आए, जब उन्होंने एक शिक्षक के रूप में छात्रों को संबोधित किया और उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला.

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डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षण एक ऐसा कार्य है, जो न केवल ज्ञान के संचार में, बल्कि समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने कई बार कहा था कि वे एक शिक्षक के रूप में जन्मे हैं और हमेशा एक शिक्षक ही बने रहना चाहते हैं. यहां तक कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी, उनकी यह इच्छा कभी मंद नहीं हुई.

वह हमेशा छात्रों के साथ समय बिताने के लिए उत्सुक रहते थे और उनसे संवाद करना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था.

कालेजों और विश्वविद्यालयों में संवाद

राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, डॉ. कलाम ने कई कालेजों, विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग संस्थानों का दौरा किया. उन्होंने छात्रों को उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया और उन्हें विज्ञान और तकनीकी शिक्षा के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में युवाओं के साथ संवाद किया और उन्हें देश के विकास में अपनी भूमिका को समझने के लिए प्रोत्साहित किया.

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आईआईटी छात्रों के साथ संवाद

डॉ. कलाम ने आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) के छात्रों के साथ कई बार संवाद किया. एक बार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) वाराणसी के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ‘‘आपमें से प्रत्येक के पास एक अद्वितीय क्षमता है, जिसे पहचानने और उसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है.’’

 

उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपनी पढ़ाई को केवल नौकरी पाने का साधन न समझें, बल्कि उसे देश की सेवा का माध्यम मानें. उन्होंने छात्रों को नवाचार और अनुसंधान में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया.

ज्ञान की शक्ति पर बल

डॉ. कलाम का मानना था कि ज्ञान ही वह शक्ति है, जो समाज में परिवर्तन ला सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘ज्ञान के बिना किसी भी समाज का विकास संभव नहीं है.’’ उन्होंने छात्रों को पढ़ाई में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकते हैं.

उन्होंने छात्रों को सिखाया कि कैसे शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी आवश्यक है.

विज्ञान और तकनीकी शिक्षा का महत्व

डॉ. कलाम ने हमेशा विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर जोर दिया. उन्होंने छात्रों को बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई खोजें और आविष्कार समाज को नई दिशा देने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को विज्ञान के क्षेत्र में नई सोच और अनुसंधान में संलग्न होना चाहिए. उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा के प्रसार पर बल दिया.

प्रेरक प्रसंग: जब कलाम ने खुद को शिक्षक घोषित किया

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एक बार की बात है, जब डॉ. कलाम ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के दीक्षांत समारोह में भाग लिया. समारोह के दौरान, जब छात्रों ने उनसे उनकी सबसे प्रिय भूमिका के बारे में पूछा, तो उन्होंने बिना किसी झिझक के कहा, ‘‘मैं एक शिक्षक हूं, और यह मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है.’’ इस एक उत्तर ने छात्रों को गहराई से प्रेरित किया और उन्हें शिक्षा के महत्व को समझने में मदद की.

देशभक्ति और युवा शक्ति पर जोर

डॉ. कलाम ने हमेशा युवाओं को देशभक्ति की भावना से प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य उसके युवाओं के हाथों में है. उन्होंने छात्रों को अपने देश के प्रति कर्तव्यों को समझने और उसे विश्व के मानचित्र पर सबसे आगे लाने के लिए हर संभव प्रयास करने की प्रेरणा दी. उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप देश के विकास में योगदान देना चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन में अनुशासन और कड़ी मेहनत को अपनाना होगा.’’

शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सुधार

डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षा के माध्यम से ही समाज में सुधार लाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि एक बेहतर समाज का निर्माण करना है.’’ उन्होंने छात्रों को सिखाया कि कैसे वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज के विकास के लिए कर सकते हैं. उन्होंने विशेष रूप से समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा के प्रसार पर जोर दिया.

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समाज के प्रति दायित्व

डॉ. कलाम ने छात्रों को हमेशा समाज के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि एक शिक्षित व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने ज्ञान का उपयोग समाज की भलाई के लिए करे. उन्होंने छात्रों को सिखाया कि कैसे वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज में व्याप्त समस्याओं का समाधान करने के लिए कर सकते हैं. उन्होंने छात्रों को यह भी सिखाया कि वे कैसे अपने ज्ञान का उपयोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कर सकते हैं.

संवाद के माध्यम से प्रेरणा

डॉ. कलाम ने छात्रों के साथ संवाद के माध्यम से उन्हें प्रेरित करने का कार्य किया. उन्होंने छात्रों को उनके जीवन के लक्ष्य तय करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने छात्रों को सिखाया कि कैसे वे अपनी मेहनत और लगन के बल पर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं. उन्होंने छात्रों को यह भी सिखाया कि कैसे वे अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और उन्हें सफलता में बदल सकते हैं.

विचारशील प्रश्न और विचारशील उत्तर

डॉ. कलाम ने हमेशा छात्रों के सवालों का स्वागत किया और उन्हें अपने विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने छात्रों को सिखाया कि सवाल पूछना और नए विचारों के बारे में सोचने से न केवल उनकी ज्ञान में वृद्धि होती है, बल्कि उन्हें जीवन में सही दिशा भी मिलती है. उनके संवाद सत्रों में छात्रों ने अक्सर उनसे जीवन के गहरे प्रश्न पूछे, और डॉ. कलाम ने हर बार अपने अनुभवों और विचारों से उन्हें संतोषजनक उत्तर दिया.

शिक्षक के रूप में कलाम का योगदान

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने शिक्षा के क्षेत्र में अपार योगदान दिया. उनका मानना था कि शिक्षक समाज का निर्माण करते हैं, और इस जिम्मेदारी को उन्होंने हमेशा पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाया. उन्होंने छात्रों को सिर्फ अकादमिक ज्ञान ही नहीं दिया, बल्कि उन्हें जीवन के सही मूल्य भी सिखाए. उन्होंने उन्हें सिखाया कि कैसे वे एक अच्छे नागरिक बन सकते हैं और अपने देश की सेवा कर सकते हैं.

कलाम का छात्रों के प्रति स्नेह

डॉ. कलाम का छात्रों के प्रति स्नेह हमेशा जाहिर होता था. वे छात्रों के साथ घुल-मिलकर बात करते थे, उनकी समस्याओं को समझते थे और उन्हें समाधान सुझाते थे. उनके पास छात्रों के प्रति एक खास अपनापन था, जिसने उन्हें लाखों छात्रों का प्रिय बना दिया. उनकी सरलता और सादगी ने छात्रों को उनकी ओर आकर्षित किया और उन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में स्थापित किया.

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अंतिम दिन तक शिक्षक

डॉ. कलाम का जीवन एक शिक्षक के रूप में उनके समर्पण का सबसे बड़ा प्रमाण है. उनकी अंतिम यात्रा भी एक शिक्षक के रूप में छात्रों के बीच हुई. 27 जुलाई 2015 को, वे शिलॉंग के आईआईएम में छात्रों को संबोधित करते हुए अचानक तबियत बिगड़ गई और उनकी मृत्यु हो गई. यह घटना एक संकेत है कि वे अपने जीवन के अंतिम क्षण तक भी एक शिक्षक के रूप में ही जीते रहे.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम न केवल एक महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति थे, बल्कि एक अद्वितीय शिक्षक भी थे. उनकी शिक्षण की शैली, उनके विचार और उनका स्नेहपूर्ण व्यवहार छात्रों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता था. उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल ज्ञान का संचार नहीं है, बल्कि यह समाज के निर्माण का एक महत्वपूर्ण साधन भी है. डॉ. कलाम का जीवन और उनका योगदान हमेशा छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा.