अनवर खान की छठ पूजा में भागीदारी से कोलकाता में हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-11-2024
अनवर खान की छठ पूजा में भागीदारी से कोलकाता में हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश
अनवर खान की छठ पूजा में भागीदारी से कोलकाता में हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश

 

जावेद अख्तर / कोलकाता

छठ पूजा का त्योहार, जिसे सनातनी समाज में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, व्रत और नियमों का पालन करने के कारण बेहद महत्वपूर्ण है. इस पूजा में सूर्य देवता की उपासना की जाती है. यह पूजा विशेष तौर पर महिलाओं द्वारा की जाती है. व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और नदियों, तालाबों और घाटों पर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं.

परंपरागत रूप से, छठ पूजा को हिंदू धर्म का ही त्योहार माना जाता रहा है, लेकिन समय के साथ यह पूजा विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों द्वारा भी मनाई जाने लगी है. इस संदर्भ में कोलकाता के खिदरपुर इलाके में मुस्लिम समुदाय का एक सदस्य, अनवर खान, छठ पूजा के आयोजन में विशेष योगदान देकर मिसाल पेश कर रहे हैं.

कोलकाता में छठ पूजा के आयोजन में अनवर खान एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं. अनवर, जो खिदरपुर क्षेत्र के पार्षद हैं, पिछले कई वर्षों से छठ पूजा के आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लेते आ रहे हैं. हालांकि वह मुसलमान हैं, लेकिन हर साल छठ पूजा से पहले घाटों की सफाई, मरम्मत, और अन्य जरूरी तैयारियों में उनकी भागीदारी रहती है.

अनवर खान का मानना है कि समाज में आपसी भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देना ही सच्ची सेवा है. उनके अनुसार, उनका धर्म उन्हें सभी धार्मिक मान्यताओं का आदर और समर्थन करने की प्रेरणा देता है.अनवर खान घाटों की साफ-सफाई और मरम्मत का कार्य स्वयं निरीक्षण करते हैं.

यह सुनिश्चित करते हैं कि पूजा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इस कार्य में उनके सहयोगी और साथी भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं. छठ पूजा के प्रति अनवर खान की ऐसी आस्था और समर्पण उनके मुस्लिम समुदाय के प्रति गहरी निष्ठा के बावजूद उनकी उदारता और समरसता को प्रकट करता है. अनवर खान इस बात पर जोर देते हैं कि सेवा का धर्म सभी से ऊपर होता है, चाहे वह किसी भी धर्म से जुड़े हों.


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अनवर खान खिदरपुर इलाके के पार्षद  और कोलकाता में एक सफल व्यवसायी हैं. उनकी परिवहन व्यवसाय में  अच्छी पकड़ है, लेकिन समाज सेवा के प्रति उनकी निष्ठा ही उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग बनाती है. समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इतनी गहरी है कि वे राजनीति में भी अपने इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए ही आए हैं.

अनवर खान का मानना है कि राजनीति केवल सत्ता के लिए नहीं होनी चाहिए; बल्कि यह समाज की बेहतरी के लिए एक माध्यम होनी चाहिए. वे कंबल वितरण, भोजन वितरण जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं.

छठ पूजा का आयोजन कोलकाता में व्यापक स्तर पर किया जाता है. इस पूजा के लिए घाटों को साफ और व्यवस्थित रखना बेहद जरूरी होता है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े. अनवर खान इस काम में पहले से ही जुट जाते हैं और अपने लोगों की मदद से घाटों की सफाई और मरम्मत का काम पूरा करवा देते हैं. अनवर यह सुनिश्चित करते हैं कि घाटों की हालत अच्छी हो और वहां पूजा के दौरान भीड़ प्रबंधन की कोई कमी न हो.

अनवर खान के अनुसार, छठ पूजा का आयोजन इस बात का प्रतीक है कि हर धर्म और हर समाज का आदान-प्रदान संभव है. वे कहते हैं कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि उनके इलाके के सभी लोग सुरक्षित और सुविधाजनक ढंग से पूजा कर सकें. इस भावना के साथ अनवर खान पूरे समाज के प्रति एकता और सौहार्द का संदेश देने का प्रयास करते हैं. उनका कहना है कि "हिंदी का मतलब भारत है, और हम इसी तरह सभी की सेवा में लगे रहेंगे."


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ममता बनर्जी की भी विशेष रुचि

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी छठ पूजा के आयोजन में विशेष रुचि रखती हैं. पूजा से पहले वे घाटों का दौरा करती हैं. सुनिश्चित करती हैं कि पूजा की तैयारियों में कोई कमी न रह जाए. मेयर फरहाद हकीम को भी घाटों के निरीक्षण का जिम्मा दिया गया है, ताकि पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो. ममता बनर्जी का यह कदम राज्य के अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों को साथ लेकर चलने का प्रतीक है.

कोलकाता की छठ पूजा: वसंत का त्यौहार भी पीछे छूट गया

कोलकाता में हर साल छठ पूजा का आयोजन इतना भव्य होता है कि यह किसी भी अन्य धार्मिक त्योहार से कम नहीं लगता. गंगा के घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए एकत्रित होते हैं. यह पूजा न केवल हिंदू समुदाय, बल्कि हर जाति और धर्म के लोगों के लिए एकता और सद्भावना का प्रतीक बन चुकी है.

महिलाएं व्रत रखकर छठ पूजा के अनुष्ठानों में भाग लेती हैं, जो उनकी गहरी आस्था को दर्शाता है. निर्जला उपवास और कठिन नियमों के पालन के साथ यह पूजा अपनी कठिनाई के कारण और भी विशेष मानी जाती है.