फ़िरदौस ख़ान
बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं. वे जैसा करते हैं, बच्चे भी वैसा ही करने की कोशिश करते हैं. इसलिए मानव मन के प्रति संवेदनशील लोगों के बच्चे बड़े होकर जनसेवा को अपना जीवन समर्पित कर देते हैं.
इन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश के अहमद हारिस अल्वी, जो पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल आदि क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं.
वे कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ग़ैर सरकारी संगठनों से जुड़े हुए हैं, जिनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, वाटर ऐड, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट, वेफ़ और क्लिंटन फ़ाउंडेशन शामिल हैं.
अहमद हारिस अल्वी अमूमन टीकाकरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, जो सरकार द्वारा बिना किसी मूल्य के देश की समस्त जनता विशेषकर ग़रीब एवं स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित समुदाय के लोगों को निर्गत करता है.
उनका मानना है कि सरकार द्वारा जो स्वास्थ्य सेवाएं प्रायोजित की जा रही हैं, उसका लाभ समाज के सबसे निचले स्तर की पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक ज़रूर पहुंचना चाहिए.
वे सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं विशेषकर टीकाकरण सेवाओं की रणनीतिक योजना बनाने एवं प्रभावी क्रियान्वयन में सहयोग प्रदान करते हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों को टीकाकरण, जल जनित बीमारियों व स्वच्छ पेयजल जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर तकनीकी सहयोग प्रदान किया है.
उन्होंने कोविड महामारी के दौरान लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया. उस वक़्त कोविड वैक्सीन को लेकर बहुत सी अफ़वाहें फैली हुई थीं और लोग वैक्सीन लेने से डर रहे थे. ऐसे में उन्हें टीकाकरण के लिए मनाना कोई आसान काम नहीं था.
वे कहते हैं कि टीकाकरण बचपन में होने वाली कई जानलेवा बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर और सुरक्षित तरीक़ा है. यह बच्चों का रोग प्रतिरोधक तंत्र मज़बूत करता है और उन्हें विभिन्न जीवाणु व विषाणुओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है. इससे लोगों ख़ासकर बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को संक्रामक रोगों से बचाया जा सकता है.
टीकाकरण अभियानों को सही ढंग से कार्यान्वित करके उन सभी बीमारियों को ख़त्म करने में मदद मिल सकती है, जो वर्तमान में प्रसारित हैं या भविष्य में फैल सकती हैं.
टीकाकरण न सिर्फ़ बच्चों को पोलियो और टेटनस जैसी घातक बीमारियों से बचाता है, बल्कि इसके ज़रिये जानलेवा बीमारियों को ख़त्म करके अन्य बच्चों को भी इन बीमारियों से सुरक्षित रखता है.
भारत का टीकाकरण कार्यक्रम गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन का उपयोग करने, लाभार्थियों की संख्या, टीकाकरण सत्रों के आयोजन और भौगोलिक क्षेत्रों की विविधता को कवर करने के संदर्भ में दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है.
10 फ़रवरी 1980 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे अहमद हारिस अल्वी का परिवार मानवता को सर्वोपरि मानता है. वे कहते हैं- “जनसेवा की प्रेरणा मुझे अपने परिवार से मिली है. मेरे वालिद अहमद इब्राहिम अल्वी पत्रकार हैं. वे ‘आग’ नाम से एक उर्दू अख़बार निकालते हैं. उनके पास अकसर लोग मदद के लिए आया करते हैं. वे लोगों की हर मुमकिन मदद करते हैं. बचपन से हम यही देखकर बड़े हुए हैं, इसलिए मैंने भी जनसेवा को चुना.”
वे बताते हैं- “मैंने विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़कर उत्तर प्रदेश में पोलियो उन्मूलन के लिए काम करना शुरू किया था. मैंने चार साल तक यह काम किया. इसके बाद मुझे पता चला कि भोपाल में पीने के साफ़ पानी की बहुत क़िल्लत है.
गैस त्रासदी की वजह से वहां के लोगों को साफ़ पानी मिलना मुश्किल हो गया था. मैंने वाटर ऐड संस्था के साथ मिलकर लोगों को साफ़ पानी मुहैया करवाने का काम शुरू किया और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस मुहिम में जोड़ा भी.
गर्मी के मौसम में यहां पेयजल संकट पैदा हो जाता है, क्योंकि गर्मी शुरू होने के साथ ही जल स्त्रोतों में पानी का स्तर बहुत नीचे चला जाता है. इसकी वजह से लोग पेयजल के लिए तरसने लगते हैं.”
अहमद हारिस अल्वी शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. वे बताते हैं- “मैंने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के साथ मिलकर मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को मुख्यधारा में शामिल करने का काम शुरू किया.
सिर्फ़ उर्दू और अरबी तक सीमित बच्चों का सरकारी विद्यालयों में दाख़िला करवाया, ताकि वे दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी हासिल कर सकें. हम बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें समझाते हैं कि वे अपने बच्चों को विद्यालय की शिक्षा भी दिलवाएं, ताकि आगे चलकर उन्हें आजीविका कमाने में परेशानी न हो. हम यह काम चार राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में कर रहे हैं.”
उन्हें जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें भारत सरकार द्वारा कोविड महामारी के दौरान श्रेष्ठ कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्यकर्मी और सर्वश्रेष्ठ राज्य संयोजक का पुरस्कार प्रदान किया गया.
(लेखिका शायरा, कहानीकार व पत्रकार हैं)