हरजिंदर
पिछले हफ्ते तक हम यह बात कर रहे थे कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की. अब जब डोनाल्ड ट्रंप आसानी से चुनाव जीत गए हैं तो तो सवाल बदल गए हैं. खासकर मिशीगन में उन्हें जिस तरह से बढ़त मिली उसने बहुत से लोगों की सोच बदल दी है. वे सारे समीकरण भी बदल गए हैं जो चुनाव से पहले सोचे गए थे.
अमेरिका में कईं राज्य हैं जिन्हें स्विंग स्टेट माना जाता है. ये ऐसे राज्य हैं जहां वोटरों का रुझान बदलता रहता है. इस बार शुरू में यह माना जा रहा था कि बाकी सारे स्विंग स्टेट में तो ट्रंप का बढ़त मिल रही है बस मिशीगन ऐसा राज्य हैं जहां डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस चुनाव जीत सकती हैं.
मिशीगन में तकरीबन तीन लाख की आबादी मुस्लिम मतदाताओं की है जिनमें ज्यादातर अरब देशों से यहां आकर बसे हैं. पिछले सभी चुनावों में वे डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ खड़े दिखाई देते थे, लेकिन इस बार उन्होंने पाला बदल दिया. पिछली बार मिशीगन में जो बिडेन को जितने वोट मिले थे इस बार कमला हैरिस को उसके आधे ही वोट मिले.
यह हैरत की बात थी, क्योंकि ट्रंप अपने पूरे चुनाव अभियान में दूसरे देशों से अमेरिका आकर बसने वालों के खिलाफ काफी बातें कहीं.. वे मुस्लिम देशों के खिलाफ भी बोलते रहे थे, उनका वीज़ा बंद करने की बातें भी उन्होंने की थी. इसलिए अब हर जगह यह सवाल पूछा जा रहा है कि अमेरिका के मुस्लिम समुदाय ने डोनाल्ड ट्रंप को वोट क्यों दिया?
कुछ भी हो इसका कारण ट्रंप द्वारा आखिरी दौर में दिए गए वे भाषण और इंटरव्यू तो नहीं हो सकते जिसमें वे अरब समुदाय के लोगों को अपना दोस्त और गर्मजोशी भरा बता रहे थे. इस समुदाय के लोगों को सिर्फ ऐसी बातों से तो नहीं ही रिझाया जा सकता.
बहुत सारे अमेरिकी लेखक और विश्लेषक कह रहे हैं कि पिछले कुछ समय में पश्चिम एशिया में जो हुआ है उसके बाद से खासकर अरबी मूल के अमेरीकियों को लग रहा था कि हैरिस उनके घावों पर मरहम लगाने का काम करेंगी. लेकिन इसके उलट कमला हैरिस ने ज्यादा उग्र इस्राएल समर्थक नजरिया अपनाया.
ठीक उसी समय ट्रंप ने एक ऐसी बात कही जिसने बहुत से लोगों का ध्यान खींचा। एक भाषण में उन्होंने कहा, ‘मैं कोई युद्ध नहीं शुरू करने जा रहा, मैं युद्ध को बंद करूंगा. अमेरिकी मुसलमानों को ट्रंप के वादे में शांति की एक उम्मीद दिखाई दी और वे इस उम्मीद के साथ खड़े हो गए। हमें पता नहीं कि चुनाव के समय किए जाने वाले दूसरे वादों की तरह ही इस वादे का भी क्या हश्र होगा.
फिलस्तीन मूल के अमेरिकी लेखक अहमद इबसाइस ने नतीजों के बाद लिखा कि अमेरिका के मुसलमान इस बार भी डेमोक्रेटिक पार्टी को ही वोट दे देते, लेकिन कमला हैरिस ने उनके वोट हासिल करने के लिए कुछ किया ही नहीं.
वैसे यह भी सच है कि अमेरिकी मुसलमानों के रुझान केा चुनाव नतीजे आने के बाद कुछ ज्यादा ही तूल दी जा रही है. कुछ जगह तो यह तक कहा गया है कि ट्रंप सिर्फ उन्हीं की वजह से ही जीते। जबकि सच यह है कि अगर अमेरिका के मुसलमान पहले की तरह ही इस बार भी डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट देते तब भी इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ही जीतते. वे हर तरह से माहौल को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे और उनकी जीत का सबसे बड़ा कारण भी यही है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)