हरजिंदर
पिछले शुक्रवार को इजराएल की एक मिसाइल ने गाज़ा की ग्रीक आर्थोडाॅक्स चर्च के एक बड़े हिस्से को ध्वस्त कर दिया. इसके चार दिन पहले ही अल जजीरा ने इस चर्च की एक खबर दी थी कि इजरायली हमलों में जिन लोगों के घर ध्वस्त हो गए हैं उनमें से काफी लोगों ने इसी चर्च में शरण ली हुई है.
खबर का शीर्षक था- युद्ध का कोई मजहब नहीं होता. इन दोनों खबरों से गाज़ा में रहने वाले वे ईसाई खबरों में आ गए जिन पर आमतौर पर पश्चिम एशिया की समस्या पर विचार करते हुए ध्यान नहीं दिया जाता. जिस चर्च पर यह हमला हुआ है वह पांचवीं सदी में कभी बनी थी और इस ऐतिहासिक चर्च को सेंट प्रोफाईरियस की चर्च भी कहा जाता है.
ये ईसाई सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी गाज़ा पट्टी में रह रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि 1960 में इस इलाके में छह हजार ईसाई रहते थे, 2022 में उनकी संख्या घटकर 1100 रह गई. कुछ लोग बाकी फिलस्तीनी शरणार्थियों के साथ ही लेबनान जैसे देशों में बस गए.
जिनको मौका मिला उन्होंने पश्चिम के देशों में शरण ले ली. गाज़ा में हमास ने राजनीति को कट्टरता का चोला पहनाना शुरू किया तो बहुतों ने वैस्ट बैंक जाने में ही भलाई समझी.इसके बावजूद एक हजार से ज्यादा ईसाई अभी भी उस जगह रह रहे हैं जिसे एक तरफ तो दुनिया की सबसे बड़ी खुली जेल माना जाता है.
दूसरी तरफ यह भी माना जाता है कि गाज़ा पश्चिम एशिया मंे इस्लामिक कट्टरता का नया केंद्र बनता जा रहा है.हमास जो कर रहा है उसे अगर अलग कर दें तो गाज़ा के ईसाई वहां के आम फिलस्तीनियों के सुख दुख का ही हिस्सा बन गए हैं.
बमबारी से बेघर हुए लोगों के लिए चर्च के दरवाजे खोल देना और क्या बताता है ? ये ईसाई भी इज़रायल के हमलों का शिकार वैसे ही बन रहे हैं जैसे कि बाकी फिलस्तीनी. इजरायल ने गाज़ा की बिजली और पानी काट कर जो परेशानियां खड़ी की हैं उनमें भी ये ईसाई बाकी गाज़ावासियों की तरह ही कष्ट झेल रहे हैं.
इजराएल के ताजा हमले के बाद गाज़ा के एक पादरी ने एक भारतीय टेलीविजन चैनल को इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में उन्होंने वही बातें कहीं थी जो इस समय कोई अन्य फिलस्तीनी कहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस समय जब जंग चल रही है हमारा प्रतिनिधि हमास ही है.
गाज़ा में रहने वाले इस अल्संख्यक समुदाय की तरफ आमतौर पर ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि उनके दुख आम गाज़ावासियों से कईं गुना हैं और इसके बावजूद उन्होंने वहीं पर रहने को प्राथमिकता दी है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )