सलीम समद
19 साल पहले 21 अगस्त, 2004 को जैसे ही शाम ढली, मुझे एक विदेशी राजनयिक (उनकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती) का हताशापूर्ण फोन आया. उनकी उन्मादी आवाज बहुत हैरान करने वाली थी और उन्होंने कहा कि उनके राजदूत तत्काल शेख हसीना की स्थिति जानना चाहते हैं. शेख हसीना सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग की अध्यक्ष थीं. इस पार्टी की स्थापना उनके पिता स्वतंत्रता नायक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ने की थी.
हसीना अवामी लीग की एक विपक्षी नेता थीं और सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसकी सहयोगी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी की संसद में विपक्ष की पर्याप्त भागीदारी से इनकार करने के विरोध में संसद सत्रों का रुक-रुक कर बहिष्कार कर रही थीं. वह सत्तारूढ़ बीएनपी और इस्लामवादियों के खिलाफ, देशव्यापी सामूहिक गिरफ्तारियों और उनकी पार्टी के सदस्यों और समर्थकों पर हमलों का विरोध कर रही थीं - चुनिंदा रूप से हिंदुओं को भी निशाना बनाया गया था.
मैंने राजनयिक से पूछा, क्यों, शेख हसीना की क्या खबर है? उन्होंने कहा कि रैली में कई हैंड बम फेंके गये. शहर के केंद्र में बंगबंधु एवेन्यू में पार्टी मुख्यालय के सामने रैली में अवामी लीग के कई वरिष्ठ नेता घायल हो गए या मर गए, और सैकड़ों अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.
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जल्द से जल्द वापस बुलाने का अनुरोध करते हुए, राजनयिक ने फिर से उनकी स्थिति की पुष्टि करने के लिए कहा, क्या वह सुरक्षित है और अब कहां है. मैं इस हृदयविदारक समाचार को पचा नहीं सका. राजनयिक ने सोचा था कि चूंकि मैं एक प्रभावशाली अंग्रेजी दैनिक द बांग्लादेश ऑब्जर्वर के साथ काम कर रहा हूं, इसलिए मैं उनके उन्मत्त प्रश्नों का उत्तर दे पाऊंगा.
यह कॉल विपक्ष पर क्रूर हमले के 20 मिनट बाद आई, जिसका उद्देश्य शेख हसीना को खत्म करना और वरिष्ठ नेताओं की हत्या करके पार्टी के नेतृत्व को पंगु बनाना था. जाहिर है, विपक्ष पंगु और निष्क्रिय हो जाएगा. सचमुच, एक आदर्श योजना. यह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बाहर वास्तविक राजनीतिक शक्ति तथाकथित हवा महल का एक बुरा सपना था.
मैंने कई प्रेस फोटोग्राफरों से बात की, जिनमें एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के पावेल रहमान, रॉयटर्स फोटो के रफीकुर रहमान, बांग्लादेश ऑब्जर्वर के शंभूनाथ नंदी और अन्य शामिल थे. दुर्भाग्य से, उनमें से किसी ने भी मेरी चिंतित फोन कॉल का उत्तर नहीं दिया.
अचानक बांग्लादेश ऑब्जर्वर के मेरे एक सहकर्मी ने मुझे फोन किया. उन्हें ढाका स्टेडियम में सुरक्षित रूप से तैनात किया गया था, जो घटनास्थल से सड़क के पार था. उन्होंने नरसंहार देखा और घबराए समर्थक और पार्टी के सदस्य मौके से भाग गए थे. मैंने झट से उनसे हसीना की स्थिति के बारे में पूछा. वह हसीना की किस्मत के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके.
मैंने पूछा कि क्या उन्हें हसीना की स्थिति के बारे में कोई जानकारी है. उन्होंने तुरंत जवाब दिया कि रैली एक घंटे से ज्यादा पहले खत्म हो चुकी है और हसीना वहां से चली गई होंगी.
मेरा दूसरा उत्सुक प्रश्न यह था कि वह (सुरक्षा ख़ुफिया एजेंट) कहाँ था? उसने उत्तर दिया कि वह तोपखाना रोड (बम हमले के स्थल से ज्यादा दूर नहीं) पर एक संगीत की दुकान पर था और हेडफोन के साथ बंगालियों के पसंदीदा ‘रवींद्र संगीत’ के गाने सुन रहा था. तीसरा सवाल यह था कि क्या आपने अन्य फील्ड अधिकारियों से उनके वॉकी-टॉकी पर बंगबंधु एवेन्यू में जो कुछ हुआ, उसके बारे में नहीं सुना? उसने धीरे से कहा, उनका वॉकी-टॉकी बंद था.
मैंने राजनयिक से जो कुछ सुना, उसे दोबारा बताया. मेरा सवाल सुनकर वह हंस पड़े. मैंने उनसे बार-बार अपना वॉकी-टॉकी चालू करने का अनुरोध किया. एक बार जब उसने दो-तरफा रेडियो चालू किया, तो मुझे उसके रेडियो से विकृत आवाजें सुनाई दीं. इससे पहले कि मैं उनसे हसीना की किसी भी खबर पर मुझे वापस कॉल करने का अनुरोध कर पाता, उन्होंने फोन रख दिया और पूरी रात मेरे कॉल का जवाब नहीं दिया.
घटना के तीन घंटे बाद भी हसीना की कोई खबर नहीं थी. मेरे सहकर्मी ने मुझे वापस फोन किया और पुष्टि की कि हसीना धानमंडी में अपने निजी आवास ‘सूडा सदन’ में पहुंच गई हैं.
अगले दिन, मैं बंगबंधु एवेन्यू से कुछ ही दूरी पर नेशनल प्रेस क्लब से घटनास्थल की ओर पैदल जा रहा था. मैं एनएसआई अधिकारी (सुरक्षा कारणों से उसका नाम छिपा दिया गया है) से सचिवालय भवन की ओर जाते हुए मिला, जहां अधिकांश सरकारी मंत्रालय स्थित हैं.
वैसे, उसका वरिष्ठ कौन था? उन्होंने यह संकेत देने में संकोच नहीं किया कि यह कोई और नहीं, बल्कि एनएसआई के महानिदेशक मेजर जनरल रेजाकुल हैदर चौधरी (एक दुष्ट अधिकारी, जो वर्तमान में चट्टग्राम में लाए गए कुख्यात ‘10-ट्रक हथियारों’ के मामले में अपील का फैसला लंबित होने तक जेल में बंद है. ये हथियार भारत के पूर्वोत्तर अलगाववादी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट फॉर असम - उल्फा के लिए थे) थे.
मुझे आश्चर्य हुआ, उन्होंने स्वेच्छा से मुझे अतिरिक्त जानकारी दी कि एनएसआई प्रमुख एक भयानक शाम को संयुक्त सैन्य अस्पताल (सीएमएच) के बजाय एस्कटन के होली फैमिली अस्पताल में थे. एनएसआई अधिकारी ने चुटकी ली, ‘‘अब आप समझ गए हैं कि घटना के लिए कौन जिम्मेदार है.’’ और वे नाम न छापने का अनुरोध करते हुए चले गए.
घटना के बारे में बताते हुए विधायक सबर हुसैन चौधरी ने कहा कि वाहन के चालक और उनके अंगरक्षकों (पूर्व सैन्य अधिकारी) ने समझदारी से हत्यारों और हमलावरों को चकमा दिया और हसीना को उनके क्रोध से बचाया.
अनुकूलित बुलेट-प्रूफ वाहन मर्सिडीज बेंज को कई बार गोली मारी गई. स्नाइपर्स ने अपने हत्या मिशन को पूरा करने के लिए सामने की यात्री सीट पर बैठी हैरान हसीना को निशाना बनाना जारी रखा. उनकी तरफ की विंडशील्ड, खिड़की और दरवाजे पर गोलियों की बौछार के निशान थे. हत्यारों ने इलाके में छतों पर रणनीतिक स्थानों पर शार्पशूटर तैनात किए थे. एक अशुभ दिन के लिए सशस्त्र पुलिस की ड्यूटी जानबूझकर छतों पर नहीं लगाई गई थी.
वाहन ढाका विश्वविद्यालय परिसर से टेढ़ा-मेढ़ा गुजरा और 15 मिनट में सुरक्षित घर पहुंच गया. दरअसल, शेख हसीना ने फुलप्रूफ हत्या की साजिश को चकमा दे दिया.
मुक्ति वाहिनी अधिकारी सेवानिवृत्त मेजर जनरल सैयद मुहम्मद इब्राहिम ने अगले दिन घटनास्थल का दौरा किया और सैन्य-ग्रेड की गोलियां और गैर-विस्फोटित आर्गेस टाइप एचजी 84 हैंड ग्रेनेड मिलने की पुष्टि की. उन्होंने यह भी कहा कि गोलीबारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार और हथगोले फेंकने वाले हथियारों का इस्तेमाल केवल प्रशिक्षित कर्मी ही कर सकते हैं.
हसीना की हत्या करने और पार्टी को कमजोर करने की शीर्ष-गुप्त साजिश को राज्य का समर्थन प्राप्त था. यह साजिश राज्य सुरक्षा एजेंसी एनएसआई की पूरी जानकारी में तैयार की गई थी. इस हत्या की साजिश प्रधानमंत्री के अपराधी बेटे तारिक रहमान ने रची थी.
उच्च न्यायालय ने तारिक, पूर्व एनएसआई प्रमुख जनरल चौधरी और खतरनाक हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी बांग्लादेश (हूजी-बी) नेता मुफ्ती अब्दुल हन्नान को हसीना की निर्मम हत्या और 24 लोगों की मौत और गंभीर रूप से घायल होने के लिए मौत की सजा को बरकरार रखा.
(सलीम समद बांग्लादेश में स्थित पुरस्कार विजेता स्वतंत्र पत्रकार हैं. विचार व्यक्तिगत हैं.)