प्रशांत कुमार शील
बेहतर जीवन की चाहत रखने वाले विश्व के विभिन्न भागों से आने वाले आप्रवासियों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे आकर्षक गंतव्य है.अब नये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आव्रजन नीतियों के कारण यह सपना बाधित हो गया है.कई शरणार्थी संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने का सपना लेकर कठिन समय से गुजरे हैं.लेकिन उनमें से कई अब अपना अंतिम आश्रय भी खो रहे हैं.
ट्रम्प के व्हाइट हाउस में कदम रखने के तीन दिन के भीतर ही अवैध आप्रवासियों पर कार्रवाई शुरू हो गई.उनका प्रशासन पहले ही हजारों अवैध आप्रवासियों को गिरफ्तार कर चुका है.हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध आप्रवासियों की वास्तविक संख्या के बारे में काफी बहस चल रही है.कुछ लोग कहते हैं कि यह संख्या 10 मिलियन है, जबकि अन्य कहते हैं कि यह संख्या 15 मिलियन से अधिक है.
ट्रम्प के चुनावी वादे
ट्रम्प ने इस वर्ष के अमेरिकी चुनाव में आव्रजन संकट के विभिन्न पहलुओं को बार-बार उठाया है। आव्रजन नीति उनके कई भाषणों में शामिल रही है.उनका कहना था कि अवैध आव्रजन संयुक्त राज्य अमेरिका के सामाजिक, आर्थिक और नैतिक पतन का कारण है.इसीलिए उन्होंने किसी भी कीमत पर संयुक्त राज्य अमेरिका को 'घुसपैठियों' से मुक्त कराने की कसम खाई है.
उन्होंने बार-बार कहा है कि 'अमेरिका केवल अमेरिकियों के लिए है' और यहां अन्य अवैध आप्रवासियों के लिए कोई जगह नहीं है.वह अमेरिकी लोगों को यह विश्वास दिलाने में बहुत ही सुंदर ढंग से सफल रहे हैं कि केवल वही आव्रजन समस्या का समाधान कर सकते हैं, कोई और नहीं। इस बार संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों ने उन्हें चुनकर यह साबित कर दिया है.इसीलिए उन्होंने अवैध अप्रवासियों के खिलाफ इतने बड़े और कड़े कदम उठाए हैं.
ग्वांतानामो बे जेल और ट्रम्प की धमकियाँ
ऐसा कोई व्यक्ति मिलना मुश्किल होगा जो क्यूबा के कुख्यात ग्वांतानामो बे जेल का जिक्र आते ही भय से कांप न उठे.डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह अब अवैध आप्रवासियों को उस जेल की अंधेरी कोठरियों में भेजेंगे.ग्वांतानामो बे दुनिया के सबसे अभेद्य और अमानवीय हिरासत केंद्रों में सेएक है.संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे खतरनाक अपराधियों और आतंकवादियों को इसी जेल में रखा जाता है.
इस जेल की तुलना नाजी यातना शिविरों से की जाती है.ग्वांतानामो बे जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई यातनाएं भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान अंडमान की जेलों में दी गई यातनाओं से कम नहीं हैं.ट्रम्प ने घोषणा की है कि वह ग्वांतानामो बे में अवैध आप्रवासियों को हिरासत में रखेंगे.उन्होंने पहले ही लगभग 30,000 कैदियों के लिए आवास की व्यवस्था कर दी है.
ग्वांतानामो बे जेल कितनी भयानक है ?
यह जेल संयुक्त राज्य अमेरिका पर 9/11 के हमलों के बाद दक्षिणी क्यूबा में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर स्थापित की गई थी.उस समय जॉर्ज डब्ल्यू बुश संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति थे.हमले के बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया.
इनमें से कई गिरफ्तार व्यक्तियों को अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) द्वारा संचालित गुप्त हिरासत केंद्रों में भी रखा गया था.विभिन्न आरोप हैं कि बुश प्रशासन की मंजूरी से पूछताछ की आड़ में उन्हें मनमाना यातना दी गई.क्यूबा में ग्वांतानामो बे जेल आतंकवाद से लड़ने के नाम पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का पर्याय बन गया है.
आप्रवासियों के प्रति अमेरिकी जनता का असंतोष
संयुक्त राज्य अमेरिका में कई वर्षों से अवैध आप्रवासियों को लेकर असंतोष बढ़ रहा है.बार-बार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि इन अवैध आप्रवासियों के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ रही हैं.
इसका असर रोजगार क्षेत्र पर पड़ रहा है.इसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है.इस मुद्दे पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार भी दबाव में आ गई है.अमेरिकी जनता में तीव्र गुस्सा और असंतोष है। वे इस बात से आश्वस्त हो चुके हैं कि आप्रवासी ही मुख्य समस्या हैं.क्या यह सचमुच सच है? यह सच है कि आप्रवासी अमेरिकी बाजार में सस्ता श्रम उपलब्ध कराते हैं.परिणामस्वरूप, विभिन्न क्षेत्रों को नकद लाभ प्राप्त हो रहा है.
ट्रम्प और मानवाधिकार मुद्दे
संयुक्त राज्य अमेरिका को मानवाधिकारों का प्रतीक माना जाता है.वे किसी भी संकट में आगे आते हैं.इस बार, अवैध आप्रवासियों को ग्वांतानामो बे जेल भेजने की ट्रम्प की धमकी स्पष्ट रूप से विशिष्ट मानवाधिकारों का उल्लंघन है.यह इस बात का भी सबूत है कि ट्रम्प को मानवाधिकारों की कोई परवाह नहीं है.
घुसपैठियों की मनमानी गिरफ्तारी और भयानक यातना को भी अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत अपराध माना जाता है.ट्रम्प निःसंदेह विश्व के सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक हैं.क्या मानवाधिकार के मुद्दों पर उन्हें रोकना संभव है?
आप्रवासियों के जन्मसिद्ध अधिकार पर आधारित नागरिकता कानून समाप्त
ट्रम्प प्रशासन ने अप्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के अलावा एक अजीब फैसला भी लिया है.इस निर्णय के अनुसार, यदि माता-पिता जन्म से अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, तो उनके बच्चों को केवल इसलिए नागरिकता नहीं दी जाएगी क्योंकि उनका जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ है.
माता-पिता में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक होना चाहिए या अमेरिकी सेना से संबद्ध होना चाहिए.तभी अमेरिकी धरती पर जन्मे उनके बच्चे उस देश के नागरिक माने जाएंगे.उन्होंने यह निर्णय ओवल ऑफिस में बैठने के पहले कुछ घंटों के भीतर ही ले लिया.हालाँकि, सिएटल स्थित अमेरिकी संघीय अदालत के न्यायाधीश जॉन कॉफेनवर ने उनके निर्णय को "स्पष्ट रूप से असंवैधानिक" कहा.
यदि ट्रम्प की नीति लागू हुई तो एच-1बी वीजा और एच-4 वीजा के साथ अमेरिका में रहने वालों को सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.क्योंकि वे 'गैर-आप्रवासी' हैं.हालाँकि, पहले, उनके बच्चों को संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्म लेने पर नागरिकता मिल जाती थी.
यदि ट्रम्प का निर्णय लागू हो जाता है, तो उनके बच्चे संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकेंगे, भले ही वे उस देश में पैदा हुए हों.ट्रम्प को अच्छी तरह पता है कि वह इस नीति को कभी भी पूरी तरह लागू नहीं कर पाएंगे, फिर भी वह यह सब सिर्फ चर्चा का हिस्सा बनने के लिए कर रहे हैं.
संयुक्त राज्य अमेरिका में विश्व के विभिन्न भागों से आये अवैध आप्रवासियों की संख्या
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुमान के अनुसार, 2024 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मेक्सिको से अवैध अप्रवासियों की संख्या 4 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है (किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक संख्या).इसके बाद, सूची में दूसरे स्थान पर अल साल्वाडोर (750,000) है.और फिर भारत की स्थिति है। वर्तमान में वहां 725,000 अवैध भारतीय शरणार्थी रह रहे हैं। हालाँकि वास्तविक संख्या इससे दोगुनी है.
ट्रम्प प्रशासन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे लोगों को वापस भेजने की व्यवस्था की है.इस सूची में कई दक्षिण अमेरिकी भी हैं.ट्रम्प का मुख्य लक्ष्य दक्षिण अमेरिका से हिस्पैनिक आप्रवासन को रोकना है.संयुक्त राज्य अमेरिका में हिस्पैनिक आप्रवासन में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है.कई लोगों का मानना है कि हिस्पैनिक्स जल्द ही संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे बड़ा भाषाई समूह बन सकते हैं.जिससे अमेरिकी समाज में स्पष्ट रूप से चिंताएं बढ़ गई हैं.
ट्रम्प की आव्रजन नीति और बांग्लादेशियों पर इसका प्रभाव
ट्रम्प की आव्रजन नीति का न केवल बांग्लादेश पर बल्कि पूरे विश्व पर सीधा आर्थिक प्रभाव पड़ेगा.जो बांग्लादेशी छात्र अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आना चाहते हैं, उन्हें गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, जिनमें प्रवासी आय पर नकारात्मक प्रभाव, धन प्रेषण में कमी और आर्थिक विकास में मंदी शामिल है.
कड़ी जांच का सामना करना पड़ेगा। लेकिन यह समझने के लिए कि यह झटका कितना बड़ा है, हमें ज्यादा शोध की जरूरत नहीं है.यदि आप अपनी आंखें और कान खुले रखेंगे तो आप इसे समझ सकते हैं.
यद्यपि कोई विशिष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन विभिन्न स्रोत संकेत देते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 1.2 मिलियन बांग्लादेशी वैध और अवैध आप्रवासी हैं.लेकिन इनमें से अधिकांश वैध आप्रवासी हैं.वे बेहतर जीवन की आशा में यहां आये हैं.अकेले न्यूयॉर्क के जैक्सन हाइट्स और जमैका में लगभग 400,000 बांग्लादेशी आप्रवासी रह रहे हैं.
देश की आर्थिक मंदी के दौरान प्रवासियों द्वारा भेजी गई धनराशि विदेशी मुद्रा भंडार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.ये धन प्रेषण न केवल भंडार में गिरावट को रोकते हैं, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और भुगतान संतुलन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.तब यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रवासी वास्तव में कितने मजबूत स्तंभ हैं.
ट्रम्प की एआई नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पहले ही अपनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता या एआई नीति के बारे में शोर मचा चुके हैं.उन्होंने श्रीराम कृष्णन को अपना एआई नीति सलाहकार नियुक्त किया है.तब से रिपब्लिकन पार्टी में नस्लीय भेदभाव की झलक मिलती रही है.
राजनीतिक विभाजन भी तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है.ऐसा भी प्रतीत होता है कि नस्लीय भेदभाव की चिंताओं के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में वैध और अवैध आप्रवासियों के बीच का अंतर धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.इसके परिणामस्वरूप यह चिंता जातीय आधार पर फैल गई है, जिससे विभाजन और अधिक बढ़ गया है.
ट्रम्प का कार्यकारी आदेश
ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के दौरान आव्रजन को प्रभावित करने वाले प्रमुख निर्णयों में से एक सीबीपी वन ऐप को रद्द करना है.इस ऐप का उपयोग मूलतः आप्रवासियों के लिए शरण प्रक्रिया हेतु किया जाता था.पिछली सरकार ने शरणार्थियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए इस ऐप का इस्तेमाल किया था.
ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की और सेना को प्रवासियों को सीमा पार करने से रोकने का आदेश दिया.
बांग्लादेश-अमेरिका संबंधों की रसायन शास्त्र
हालाँकि, अब तक संयुक्त राज्य अमेरिका और बांग्लादेश के बीच संबंध राजनीतिक रूप से स्थिर बने हुए हैं.हालाँकि, बाइडेन प्रशासन और हमारी अंतरिम सरकार के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध स्पष्ट दिखाई दे रहे थे.अभी यह कहना कठिन है कि वर्तमान ट्रम्प प्रशासन के साथ हमारे संबंध कैसे होंगे.शायद भविष्य में सब कुछ ठीक हो जायेगा.
बांग्लादेश भी ट्रम्प के कठोर आव्रजन उपायों के प्रति नीतिगत प्रतिक्रिया के अनुरूप कुछ कदम उठा सकता है.ऐतिहासिक रूप से, बांग्लादेश ने बांग्लादेश और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की कोशिश की है.हमें व्यापार, रणनीतिक साझेदारी और लोगों के बीच मजबूत संबंधों पर जोर देने के लिए आव्रजन पर अधिक रणनीतिक होना होगा.
जैसा कि ट्रम्प 2.0 की आव्रजन नीतियां प्रकाश में आई हैं, ऐसा लगता है कि इनका संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध आप्रवासी आबादी पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रम्प के इन शुरुआती कदमों से अमेरिका में रह रहे बांग्लादेशी प्रवासियों के बीच अनिश्चितता पैदा हो गई है, जो चिंता का कारण है.
लेकिन यह सच है कि ट्रम्प सिर्फ अवैध आव्रजन को रोकने की बात नहीं कर रहे हैं.यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका आप्रवासन के बिना जीवित नहीं रह सकता.इस दृष्टिकोण से बांग्लादेश के लिए चिंता का कोई विशेष कारण नहीं है.हममें से अधिकांश लोग वैध आप्रवासी हैं। हमारी सरकार को अवैध आप्रवासियों के मामले में सीधे हस्तक्षेप करने के बजाय उनके प्रति अलग दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.
(प्रशांत कुमार शील. मीडिया शिक्षक एवं अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विश्लेषक)