पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे का कूटनीतिक मिशन क्या है?

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 20-09-2024
Narendra Modi with Quad leaders
Narendra Modi with Quad leaders

 

राकेश चौरासिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगामी अमेरिका दौरा, जो 21 सितंबर से शुरू हो रहा है, वैश्विक राजनीति के वर्तमान परिदृश्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण है. दुनिया में इस समय दो प्रमुख युद्ध क्षेत्र हैं - इजरायल और हमास के बीच तनाव, और यूक्रेन-रूस युद्ध. इस पृष्ठभूमि में, पीएम मोदी की कूटनीतिक प्रयासों की चर्चा जोरों पर है. खासकर यह सवाल कि क्या उनकी बातचीत इन युद्धों को थामने में सहायक हो सकती है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 सितंबर तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी क्वाड नेताओं के चौथे शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जो 21 सितंबर को डेलावेयर के विलमिंगटन में आयोजित होगा. यह सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी में राष्ट्रपति बाइडन के गृह नगर डेलावेयर में होगा. क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद पीएम मोदी 22 सितंबर को न्यूयॉर्क जाएंगे और भारतीय प्रवासियों को संबोधित करेंगे. क्वाड शिखर सम्मेलन में जियो-पॉलिटिक्स और सुरक्षा चिंताओं के अलावा, टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. शाम को क्वाड रिसेप्शन का आयोजन किया जाएगा.

22 सितंबर को प्रधानमंत्री का न्यूयॉर्क में पहला कार्यक्रम लॉन्ग आइलैंड में 16,000 सीटों वाले नासाऊ वेटरंस मेमोरियल कोलेजियम में सुबह 10.00 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक प्रवासी कार्यक्रम ‘मोदी और यूएस, प्रोग्रेस टुगेदर’ होगा, जहां वे भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करेंगे. प्रवासी कार्यक्रम के लिए 25,000 से अधिक लोगों ने टिकटों के लिए रजिस्ट्रेशन किया है. जबकि लाखों लोग इस कार्यक्रम में भाग न ले पाने के कारण मायूस हुए हैं. इस कार्यक्रम से भारत और उसके प्रवासी समुदाय के बीच मजबूत संबंधों को मजबूती मिलेगी. इसके बाद दोपहर में, प्रधानमंत्री मोदी अपने होटल में टेक्नोलॉजी, एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए अमेरिकी व्यापार जगत के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. बैठक के बाद, प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे, जो रात 10.00 बजे तक जारी रहेगी.

प्रधानमंत्री मोदी 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ को भी संबोधित करेंगे. शिखर सम्मेलन का विषय ‘बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान’ है.

प्रधानमंत्री मोदी का यह अमेरिकी दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया कई चुनौतीपूर्ण मुद्दों से जूझ रही हैं. इनमें इजरायल-हमास संघर्ष और यूक्रेन-रूस युद्ध जैसी बड़ी घटनाएं शामिल हैं. यह देखना अहम होगा कि पीएम मोदी इन संघर्षों के समाधान की दिशा में किस तरह के कदम उठाते हैं.

मोदी की कूटनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे विश्व नेताओं के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों और कूटनीतिक संपर्कों का उपयोग करते हुए, एक संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं. चाहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन हों या यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की, दोनों के साथ पीएम मोदी खुलकर बात कर चुके हैं. इसी प्रकार, वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भी काफी मजबूत संबंध रखते हैं, जो कि इस समय वैश्विक राजनीति के महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं. अब देखना है कि बाइडेन सहित क्वाड नेताओं और मोदी के बीच क्या वार्ता होती है.

यूक्रेन-रूस युद्धः क्या मोदी कुछ नया कर सकते हैं?

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने पूरे यूरोप को तनाव में डाल रखा है. इस युद्ध से ना केवल यूक्रेन के नागरिकों को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है. यूरोपियन यूनियन, अमेरिका, और छ.ज्व् के अन्य देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों ने रूस की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डाला है, लेकिन इसके बावजूद युद्ध थमने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है.

पीएम मोदी ने पहले भी दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की है. उन्होंने बार-बार शांति और बातचीत की अपील की है. भारतीय विदेश नीति की प्रमुख विशेषता है कि भारत किसी भी देश के साथ दुश्मनी नहीं रखता और संतुलित नीति अपनाता है. इसी कारण, भारत ने यूक्रेन के संकट पर न तो रूस का समर्थन किया और न ही यूक्रेन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया. पीएम मोदी अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलने जा रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे बाइडेन के सामने युद्ध को रोकने के लिए कोई नई योजना प्रस्तुत करेंगे.

इजरायल-हमास संघर्ष में क्या पीएम मोदी का कोई रोल हो सकता है?

इजरायल और हमास के बीच चल रहा संघर्ष दशकों पुराना है, जिसमें समय-समय पर संघर्षविराम होते रहे हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं मिल पाया है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर वैश्विक शक्तियों की निगाहें हमेशा लगी रहती हैं. भारत का इजरायल के साथ लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहा है, जबकि भारत फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है. प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की है और उम्मीद की जा रही है कि वे इस संघर्ष के समाधान पर भी अपने विचार रख सकते हैं. हालांकि, इजरायल-हमास संघर्ष में भारत का सीधा हस्तक्षेप कम ही रहता है, फिर भी पीएम मोदी की कूटनीति शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संदेश दे सकती है.

अमेरिका और पश्चिमी देशों की अपेक्षाएं

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद करते हैं कि वे रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसके अलावा, इजरायल-हमास संघर्ष में भी भारत से एक संतुलित और सकारात्मक भूमिका की अपेक्षा की जा रही है. अमेरिका, जो कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है, भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है. ऐसे में, मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को भी गहरा कर सकता है.

बाइडेन-मोदी मुलाकात का क्या होगा एजेंडा?

जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी के बीच की मुलाकात वैश्विक राजनीति के संदर्भ में बेहद अहम मानी जा रही है. दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिनमें यूक्रेन-रूस युद्ध, इजरायल-हमास संघर्ष, और भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती शामिल है. भारत के आर्थिक और सैन्य उभार ने अमेरिका को भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है. यह मुलाकात वैश्विक रणनीति को दिशा दे सकती है.

संयुक्त राष्ट्र को पीएम मोदी से क्या उम्मीदें हैं?

पीएम मोदी की वैश्विक प्रतिष्ठा की सराहना करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि कूटनीति में उनकी और भारत की आवाज बहुत ऊंची और महत्वपूर्ण है. दुजारिक ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा से प्रसन्न हैं और उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर, खासकर ग्लोबल साउथ के लिए एक मजबूत और शक्तिशाली आवाज है. उन्होंने मौजूदा संघर्षों और भारत की भूमिका पर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम सभी का लक्ष्य एक है, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता के अनुसार इन संघर्षों का अंत करना.’’ दुजारिक ने कहा कि अगर भारत को देखें तो यह शिखर सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें सुरक्षा परिषद सुधारों के बारे में बात की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमें बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री यहां होंगे. भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत और शक्तिशाली आवाज है, लेकिन विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के लिए भी. हमने हाल ही में जी20 में सभी प्रकार के मुद्दों पर भारत के नेतृत्व को भी देखा है.’’

युद्धों को थामने के प्रयास में, मोदी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन यह देखना होगा कि क्या उनके पास जो योजना है, उस पर पश्चिमी देश क्या नजरिया अपनाते हैं.

पीएम मोदी का ताजा ‘अमेरिकी दौरा’ विश्व मंच पर भारत की भूमिका को और मजबूत करने तथा एक शांतिपूर्ण विश्व की स्थापना का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है. इजरायल-हमास और यूक्रेन-रूस के मुद्दों पर उनकी कूटनीति की दिशा में उठाए गए कदमों का दुनिया पर गहरा प्रभाव हो सकता है. पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ मुलाकात से क्या नई दिशा मिलेगी, यह देखना अहम होगा.