गांव: संघर्ष, उम्मीद और विकास की नई दिशा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-02-2025
Village: Struggle, hope and a new direction for development
Village: Struggle, hope and a new direction for development

 

nirmalaनिर्मला टाक

विकास की चर्चा करते समय अक्सर गांवों को पिछड़ा हुआ समझा जाता है, और यह मान लिया जाता है कि वहां की सामाजिक, आर्थिक और भौतिक स्थिति शहरों से कहीं अधिक खराब है. यह सही है कि शहरों की तुलना में गांवों में विकास की गति धीमी होती है, लेकिन इसके बावजूद गांवों में निरंतर संघर्ष, उम्मीद और बदलाव की एक अलग कहानी चल रही होती है.

गांवों के लोग अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में न केवल कठिनाइयों का सामना करते हैं, बल्कि वे उम्मीद और मेहनत से विकास की नई दिशा भी दिखा रहे हैं. एक ऐसा ही उदाहरण बीकानेर जिले के लूणकरणसर ब्लॉक स्थित करणीसर गांव की कहानी है, जहां ग्रामीण विकास का संघर्ष और उसकी उम्मीदों को महसूस किया जा सकता है.

गांव की संघर्ष और उम्मीद की कहानी

करणीसर गांव, जो कि लगभग 335 लोगों का छोटा सा गांव है, विकास के मामले में पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नहीं है, लेकिन यहां के लोग जीवन के संघर्ष में उम्मीद और सकारात्मक बदलाव की दिशा में काम कर रहे हैं. यहां के लोग अपनी कठिनाइयों को समझते हुए, उन्हें अपने जीवन का हिस्सा मानते हुए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, ताकि वे अपने जीवन में बदलाव ला सकें.

सीमा देवी, 50 वर्षीय एक महिला, जो गांव की समस्याओं को अच्छे से जानती हैं, कहती हैं, "गांव में पानी की पाइपलाइन तो बिछी है, लेकिन पीने के लिए साफ पानी का संकट लगातार बना रहता है. नल से खारा पानी आता है, जिससे हमें रोज़ पानी की तलाश में मीलों पैदल चलना पड़ता है." सीमा देवी की बातों में हमें यह समझ में आता है कि केवल सुविधाएं उपलब्ध करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी गुणवत्ता और असर भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

वहीं, 30 वर्षीय शारदा की जिंदगी भी इस संघर्ष को बयां करती है. वह कहती हैं, "रोज़मर्रा की जिंदगी में रोजगार की उम्मीद तो है, परंतु मेहनत के बावजूद हमें सही फल नहीं मिलता. रोजगार के सीमित अवसर हमारे संघर्ष को और बढ़ा देते हैं." शारदा की पीड़ा यह दिखाती है कि मेहनत का फल समय पर मिलना चाहिए, ताकि विकास की कहानी पूरी हो सके.

नई दिशा की ओर बढ़ते युवा

विकास की दिशा में बदलाव केवल बूढ़े और वृद्धों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं में भी यह परिवर्तन साफ तौर पर देखा जा सकता है. माया, 18 वर्षीय किशोरी, जो करणीसर गांव की रहने वाली है, कहती है, "मेरे पास अब आधुनिक तकनीक जैसे स्मार्टफोन की सुविधा है, जिससे मेरी पढ़ाई में मदद मिल रही है.

अब मैं ऑनलाइन कक्षाएं ले सकती हूं, नई चीजें सीख रही हूं, और अपनी रुचियों को बढ़ावा दे रही हूं." माया की बातों में एक नई उम्मीद और दिशा की झलक दिखाई देती है, जो बताती है कि जब युवाओं को सही साधन मिलते हैं, तो वे अपने सपनों को साकार करने के साथ-साथ पूरे गांव के विकास की दिशा को बदल सकते हैं.

किसानों का संघर्ष और उम्मीद

करणीसर गांव के किसानों की मेहनत भी विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. गुलाब सिंह, 52 वर्षीय किसान, कहते हैं, "मेरी मेहनत और धैर्य से जब हल चलते हैं और फसल उगती है, तो हर बूंद पसीने के साथ एक नई उम्मीद जगमगाती है. यह उम्मीद मेरी लहलहाती फसल की कहानी बुनती है." गुलाब सिंह के शब्द हमें यह बताते हैं कि जब तक मेहनत और संघर्ष के साथ सही दिशा में काम नहीं किया जाएगा, तब तक किसी भी विकास की संभावना अधूरी रहती है.

विकास के रास्ते में चुनौतियां और भागीदारी की आवश्यकता

हालांकि, विकास के रास्ते में चुनौतियां कम नहीं हैं. सविता, 46 वर्षीय महिला, कहती हैं, "हर बार जब कुछ नया होता है, तो हमारी उम्मीदें बढ़ जाती हैं, लेकिन अक्सर विकास का सपना अधूरा रह जाता है." सविता की बातों में यह संदेश छुपा है कि विकास का रास्ता केवल सुविधाओं के बढ़ने से नहीं, बल्कि उनके सही क्रियान्वयन और जनभागीदारी से तय होता है. वह कहती हैं, "अगर गांव में विकास करना है तो सभी को अपनी पूरी भागीदारी निभानी होगी। केवल सरकारी विभाग और पंचायत को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता."

गांव के एक बुजुर्ग परमबीर का कहना है, "विकास का सफर कभी आसान नहीं होता, लेकिन हर छोटी सफलता एक मजबूत आधार बनाती है. पहले भी समस्याएं थीं, लेकिन अब लोगों की उम्मीदें और अपेक्षाएं बढ़ गई हैं."

विकास की असली कहानी: मेहनत, उम्मीद और संघर्ष का मेल

हर गांव की अपनी अलग कहानी होती है, जो उसके संघर्ष को और उम्मीदों को दर्शाती है. करणीसर गांव की कहानी भी ऐसे ही संघर्षों और सफलता की छोटी-छोटी कहानियों से भरी हुई है. यहां के लोग अपने जीवन में पीने के पानी की समस्याओं से लेकर, रोजगार, शिक्षा और कृषि के विकास तक के मुद्दों पर काम कर रहे हैं.

हर सफलता, चाहे वह पानी की समस्या का समाधान हो, एक खुशहाल परिवार की मुस्कान हो या फिर युवा पीढ़ी की पढ़ाई में हुई प्रगति हो, वह इस गांव में विकास की वास्तविक कहानी को बयां करती है. इन सभी छोटी-छोटी सफलताओं में हमें यह समझ में आता है कि विकास का असली पैमाना उस व्यक्ति के संघर्ष और मेहनत से है, जो अपने सपनों को सच करने के लिए हर दिन नई उम्मीद के साथ जीवन जीता है.

और अंत में

 

गांवों में विकास का पैमाना केवल भौतिक विकास नहीं है, बल्कि यह वहां के लोगों की उम्मीद, संघर्ष, मेहनत और विश्वास पर आधारित है. करणीसर गांव की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब लोग अपने जीवन में बदलाव की उम्मीद रखते हैं और उसे हासिल करने के लिए संघर्ष करते हैं, तो विकास की प्रक्रिया पूरी होती है.

इस प्रकार, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के असली मापदंड उन लोगों के दिलों में बसी आशा और उनकी मेहनत का मिलाजुला रूप होते हैं. यही सच्चा विकास है जो हर व्यक्ति को उसके सपनों को साकार करने का अवसर देता है.

(लेखिका शिक्षिका हैं)