जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा को संदेह के कगार पर धकेला

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-09-2023
Trudeau pushes Canada to the brink
Trudeau pushes Canada to the brink

 

अजय भारद्वाज

बहुत कम ही देश, दूसरे देशों के लिए अलगाववादियों का प्रजनन स्थल बनते हैं. 80 के दशक में पाकिस्तान एक दूरस्थ उदाहरण था, जिसने पंजाब के युवाओं को पंजाब में अलगाववादी आंदोलन खड़ा करने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया था. अब एक दूर-दराज का देश कनाडा, नकली वैचारिक आधार पर इसे दोहराने की कोशिश कर रहा है. पूरी दुनिया यह समझने के लिए उत्सुक है कि आखिर कौन सी बात कनाडा को अफवाह फैलाने और भारत के साथ राजनयिक संबंध बंद करने के लिए प्रेरित कर रही है. कनाडा के भीतर ही इस बात पर बड़ी बहस चल रही है कि खालिस्तान टाइगर फोर्स के कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सार्वजनिक रूप से क्यों मुखर होना पड़ा, जिनके मामले में कनाडाई पुलिस की जांच, अब तक ज्यादा निष्कर्ष निकालने में विफल रही है.

ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे ट्रूडो निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता के खिलाफ ‘विश्वसनीय आरोपों’ के अपने दावे को पुष्ट कर सकें. इस तथ्य में कोई दो राय नहीं है कि निज्जर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कनाडा गया और बाद में नागरिकता हासिल करने के लिए एक स्थानीय महिला से शादी की, जो कि कुछ रिपोर्टों के अनुसार, अभी भी संदिग्ध है. वैंकूवर के जिस गुरुद्वारे में दो मोटरसाइकिल सवार व्यक्तियों ने उनकी हत्या कर दी थी, वह एक विवादित स्थान है और निज्जर पर आरोप है कि उसने इस पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया था.

 


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पिछले 18 जून को जब निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, तब से कनाडाई पुलिस जांच में बहुत कम प्रगति हुई है. दोषियों की गिरफ्तारी तो दूर, अब तक उनकी पहचान तक नहीं हो सकी है. पिछले तीन महीने से अधिक समय से इस अंधेरे में टहलते हुए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अचानक संसद में ‘कथित’ आधार पर भारत सरकार की संलिप्तता पर संदेह जताने के लिए आ जाते हैं.

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कनाडा की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे ने निज्जर की हत्या और भारत सरकार के बीच ‘संभावित संबंध’ के सबूत मांगे हैं. जबकि एक प्रमुख अखबार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘‘अगर बाद में यह पता चलता है कि ट्रूडो ने यह ‘रूपक बम’ बिना कुछ किए गिराया है, तो यह बड़े पैमाने पर घरेलू और भू-राजनीतिक प्रभाव वाला एक बड़ा घोटाला साबित होगा.’’

हालांकि भारत ने मामले की जांच में कनाडा को मदद की पेशकश करके एक सकारात्मक कदम उठाया है, लेकिन विश्वसनीय सबूत पेश करने की जिम्मेदारी ट्रूडो सरकार पर होगी, अन्यथा कनाडा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़े पैमाने पर हार का सामना करना पड़ेगा.

पंजाब के एक अन्य आतंकवादी सुक्खा दुनेके की कनाडा में कथित तौर पर अंतर-गिरोह संघर्ष में हत्या के बाद ट्रूडो की पिच अब और अधिक फिसलन भरी हो जाएगी. क्या ट्रूडो भी इस हत्या के लिए भारतीय एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराएंगे, जबकि लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने हत्या को अंजाम देने की जिम्मेदारी ली है? निज्जर के मामले में भी, यहां के वरिष्ठ अधिकारियों ने गुरुद्वारे के प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर विवाद की ओर इशारा किया है, जिसके कारण उनकी हत्या हुई, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.


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यह प्रकरण अल्पमत सरकार के सामने, ट्रूडो के अदूरदर्शी और अपरिपक्व नेतृत्व को दर्शाता है, जिसे वह चला रहे हैं. बिना किसी विश्वसनीय कारण के कनाडा में संपूर्ण भारतीय प्रवासी अब विभाजित हो गए हैं. ट्रूडो ने जो सार्वजनिक रुख अपनाया है, उससे खालिस्तानी तत्वों का हौसला तो बढ़ ही रहा है, बाकी प्रवासी दहशत में आ जाएंगे.

भले ही भारतीय अधिकारियों ने कनाडा में हिंदुओं के लिए चेतावनी दी है, लेकिन सिख फॉर जस्टिस ने आने वाले दिनों में अपने खालिस्तान समर्थक अभियान को तेज करने का फैसला किया है. सिख फॉर जस्टिस के प्रवक्ता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने घोषणा की है कि वह भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने निज्जर समर्थक रैली का नेतृत्व करेंगे.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि ट्रूडो राजनीतिक कारणों से खालिस्तान की राजनीति कर रहे हैं. अल्पमत में होने के कारण उन्हें खालिस्तान की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन प्राप्त है, जिसके बाद उन्होंने खालिस्तान की अलगाववादी गैलरी में खेलना शुरू कर दिया है.

दिल्ली में जी20 की बैठक के दौरान यह मामला उनके और उनके राजनयिकों की टीम के मन में घर कर गया था, जिसके बाद उन्होंने भारत के प्रति उदासीन रुख अपनाया और जैसे ही वह अपने देश वापस आए, उन्होंने सबसे पहला काम निज्जर पर सार्वजनिक रूप से बयान देना किया. अपने तर्क के समर्थन में बिना किसी तथ्य के हत्या का मामला कह दिया.

यह हमें इस विवाद में लाता हैः क्या कनाडा, एक बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश होने के नाते, सिख धर्म के नाम पर एक धार्मिक राज्य का समर्थन करता है? इसने कनाडा में बार-बार खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह की अनुमति दी है, इस तथ्य के बावजूद कि पूरी प्रक्रिया भारतीय प्रवासियों को उत्साहित करने में विफल रही है और सिखों के बीच से भी खराब समर्थन प्राप्त हुआ है.


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कनाडा को पंजाबी आतंकवादियों की नर्सरी बनाकर ट्रूडो केवल आग से खेल रहे हैं. भारतीय अधिकारियों की एक आधिकारिक जानकारी के अनुसार, कनाडा ने अवैध तरीकों से देश में प्रवेश करने वाले दो दर्जन से अधिक सिख आतंकवादियों को आश्रय प्रदान किया है.

क्या कनाडा आतंकवादियों का नया ठिकाना बन गया है? क्या ट्रूडो की राजनीति अलगाववादियों और आतंकवादियों द्वारा संचालित होगी, जिनका उद्देश्य अपने मूल देश में कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा करना है? पंजाब में हिंसा की एक दर्जन से अधिक घटनाएं हुई हैं, जिनमें जांच एजेंसियों ने पाया कि संसाधनों के मामले में विध्वंसकों को ट्रूडो सरकार का आश्रय प्राप्त आतंकवादियों द्वारा समर्थन दिया गया था.

ट्रूडो द्वारा अपने राजनीतिक कारणों से देश को संकट के कगार पर लाने के बाद आने वाले दिनों में यह कनाडा की विश्वसनीयता के लिए एक बड़ी चुनौती बनने जा रही है.

(लेखक चंडीगढ़ स्थित वरिष्ठ मीडियाकर्मी हैं.)