डॉ.कबीरुल बशर
जानवरों और इंसानों के बीच का रिश्ता सृष्टि की शुरुआत से ही घनिष्ठ रहा है.बहुत से लोगों में वन्यजीवों, पालतू जानवरों और सभी प्रकार के जानवरों के प्रति अत्यधिक प्रेम और करुणा होती है.वे दुनिया का हिस्सा हैं और उन्हें भी महसूस करने की जरूरत है.जंगली जानवर अपने प्राकृतिक वातावरण में स्वतंत्र रूप से रहना चाहते हैं, जबकि पालतू जानवर हमारे साथी के रूप में प्यार और देखभाल की मांग करते हैं.
यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके प्रति दयालु रहें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. मानव जीवन के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए जानवरों के प्रति दया और प्रेम दिखाना बहुत जरूरी है, लेकिन सदियों से फैली जानवरों के जरिए दुनिया में कई लोगों की जान लेने वाली बीमारियों की संख्या भी कम नहीं है.
पशु-जनित रोग या ज़ूनोटिक रोग वे हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं, और ये रोग आमतौर पर विभिन्न जानवरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलते हैं.ये रोग वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी या कवक के कारण हो सकते हैं.पशु-जनित बीमारियाँ न केवल मनुष्यों के लिए हानिकारक हैं, ये बीमारियाँ जैव विविधता और कृषि को भी भारी नुकसान पहुँचा सकती हैं.
ऐसी कुछ बीमारियों का मनुष्यों में संचरण दुनिया भर में एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है.पशु-जनित रोग दो प्रकार के हो सकते हैं, एक तो जानवरों के माध्यम से नियमित संचरण, दूसरा यह रोग पहले जानवर के शरीर से मनुष्यों में फैलता है और फिर मनुष्यों से मनुष्यों में फैलता है.ये वे बीमारियाँ हैं जो पहले जानवरों में होती हैं और फिर मनुष्यों को संक्रमित करके मनुष्यों में फैलती हैं.
दुनिया में 2000 से अधिक ज़ूनोटिक बीमारियाँ सूचीबद्ध हैं.ये बीमारियाँ विभिन्न प्रकार के वायरस, बैक्टीरिया, कवक और परजीवियों के कारण होती हैं और मच्छर, कुत्ते, चमगादड़, चूहे, पक्षी, बंदर, चिंपैंजी, गाय, भेड़, ऊंट, बकरी, भेड़, घोड़े, मुर्गियों, सूअरों जैसे विभिन्न जानवरों द्वारा फैलती हैं.
हालाँकि, दुनिया में कई अन्य पशु-जनित बीमारियाँ भी हैं, जो विभिन्न प्रकार के जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती हैं.पशु-जनित रोग मानव स्वास्थ्य और पशु स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करते हैं, इसलिए इन्हें रोकने के लिए जागरूकता और प्रभावी उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं.
पशु-जनित रोग या ज़ूनोटिक रोग वे हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं, और ये रोग आमतौर पर विभिन्न जानवरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलते हैं.ये रोग वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी या कवक के कारण हो सकते हैं.दुनिया की पशु-जनित बीमारियों में से कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं जिनके कारण बड़े पैमाने पर मानव मौतें हुई हैं और ऐतिहासिक रूप से मानव जाति के लिए एक बड़ा खतरा रही हैं.उनमें से एक है-
ब्लैक डेथ या प्लेग.प्लेग इतिहास की सबसे खराब पशु-जनित बीमारी थी, जो 1347और 1351के बीच यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका में व्यापक रूप से फैल गई थी.यह मूल रूप से कृंतकों के माध्यम से मनुष्यों में फैला था.
पिस्सू, एक प्रकार का कीड़ा है जो चूहों के शरीर पर रहता है, प्लेग के बैक्टीरिया को फैलाता है और उनके काटने से मनुष्यों में संक्रमण फैलता है.यह रोग संक्रमित व्यक्ति के रक्त और लार के माध्यम से मानव शरीर में फैल सकता है.इस महामारी के कारण दुनिया भर में लगभग 70 से 200 मिलियन लोगों की मौत हो गई.
मलेरिया: मलेरिया एक गंभीर मच्छर जनित बीमारी है, जो प्लास्मोडियम परजीवी द्वारा मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलती है.यह रक्तप्रवाह के माध्यम से फैलता है और यकृत और रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है.मलेरिया में मुख्य रूप से तेज बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होते हैं.अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 2023की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 400मिलियन लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं और सालाना लगभग 400,000लोगों की मृत्यु हो जाती है.मलेरिया दुनिया के 85देशों में स्थानिक है, लेकिन यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में सबसे अधिक प्रचलित है.
डेंगू: डेंगू एक मच्छर जनित वायरल बीमारी है, जो विभिन्न गर्म आर्द्र क्षेत्रों, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में व्यापक है.डेंगू वायरस एडीज मच्छर से फैलता है.डेंगू से संक्रमित मच्छर जब मानव रक्त पीते हैं तो यह वायरस फैलाते हैं.
डेंगू के प्राथमिक लक्षण हैं: उच्च तापमान, सिरदर्द, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और दाने.यदि डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) गंभीर है, तो यह रक्तस्राव और सदमे का कारण बन सकता है, जिससे मृत्यु हो सकती है.दुनिया भर में हर साल लगभग 25,000-50,000लोग डेंगू से मरते हैं.लेकिन उचित उपचार और विशिष्ट उपायों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
रेबीज: रेबीज एक गंभीर वायरल बीमारी है जो मस्तिष्क में सूजन का कारण बनती है.यह वायरस आमतौर पर कुत्तों, लोमड़ियों, चमगादड़ और अन्य जानवरों के काटने या डंक से मनुष्यों में फैलता है.यदि पीड़ित को उचित उपचार न मिले तो यह बहुत जल्दी घातक हो जाता है.
रेबीज से हर साल लगभग 55,000लोग मर जाते हैं, खासकर दक्षिण एशिया और अफ्रीका में.रेबीज के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, जीभ की समस्याएं और, कई मामलों में, पानी का डर (जिसे हाइड्रोफोबिया कहा जाता है) शामिल हैं.लेकिन अगर प्रभावित व्यक्ति टीका ले सकता है, तो इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है.
हिस्टोप्लास्मोसिस: हिस्टोप्लास्मोसिस एक कवक रोग है जो चमगादड़ के बिल या पक्षी के गोबर से मनुष्यों में फैलता है.कवक के बीजाणु मानव श्वास के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़ों में संक्रमण का कारण बनते हैं.
यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक आम है और गंभीर होने पर फेफड़े, यकृत और मस्तिष्क तक फैल सकता है.यह बीमारी आमतौर पर बहुत गंभीर नहीं होती है, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले या कमजोर लोगों के लिए यह खतरनाक हो सकती है.
पशु-जनित रोग मानव स्वास्थ्य और पशु स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करते हैं, इसलिए इन्हें रोकने के लिए जागरूकता और प्रभावी उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं.
वेस्ट नाइल वायरस: एक मच्छर जनित वायरल रोग, जो मुख्य रूप से मच्छरों द्वारा फैलता है और मनुष्यों में तंत्रिका संबंधी समस्याओं का कारण बनता है.यह वेस्ट नाइल वायरस के कारण होता है, जो मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है.मच्छर संक्रमित पक्षियों से वायरस लेते हैं और फिर इसे मनुष्यों तक पहुंचाते हैं.
सिरदर्द, बुखार, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द और कुछ मामलों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं (जैसे मस्तिष्क की सूजन) का कारण बनता है.हालाँकि यह बीमारी घातक नहीं है, लेकिन यह बुजुर्ग या दुर्बल व्यक्तियों में मृत्यु का कारण बन सकती है.इस बुखार के लक्षण अधिकतर हल्के होते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल दुनिया भर में लगभग 100-150लोग इससे मर जाते हैं.
निपाह वायरस: निपाह वायरस मुख्य रूप से फल चमगादड़ या उड़ने वाली लोमड़ी से फैलता है.चमगादड़ इस वायरस के प्राथमिक वाहक हैं और वायरस उनके रक्त, लार, मूत्र या उनके मल के माध्यम से फैल सकता है.चमगादड़ों के माध्यम से यह वायरस पकी इमली, पपीता, खजूर आदि पेड़ों के फलों पर फैलता है.इन फलों को खाने से संक्रमित लोगों को यह वायरस हो जाता है.
इसके अलावा, यदि मवेशी (विशेषकर सूअर) निपाह वायरस से संक्रमित हैं, तो उनके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी यह वायरस मिल सकता है.ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां निपाह वायरस सूअरों से इंसानों में पहुंचा है.निपाह वायरस संक्रमण घातक हो सकता है, खासकर पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में.
यह वायरस मानव मस्तिष्क और श्वसन प्रणाली पर गंभीर प्रभाव डालता है, जिससे मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) हो सकती है.कुछ मामलों में, रोगी को बेहोशी, सांस लेने में कठिनाई और मृत्यु का अनुभव हो सकता है.
मृत्यु दर 75 प्रतिशत तक हो सकती है, जिससे यह बहुत खतरनाक वायरस बन जाता है.निपाह वायरस एक और बीमारी है जो चमगादड़ों द्वारा खाए गए विभिन्न फलों और ताड़ के रस के कारण बांग्लादेश सहित दुनिया भर में संक्रमित होती है.
बांग्लादेश में निपाह वायरस का संक्रमण कई बार हो चुका है और इसके फैलने से देश में काफी दहशत फैल गई है.2001में निपाह वायरस का पहला प्रकोप चटगांव क्षेत्र में हुआ था, जहां कुछ लोग संक्रमित हुए और मर गए.इसके बाद, 2003, 2011, 2015और 2018में बांग्लादेश में निपाह वायरस का प्रकोप दोबारा हुआ, खासकर बरगुना, चटगांव, कोमिला, राजशाही और मदारीपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों में.
निपाह वायरस का संक्रमण आमतौर पर जनवरी और अप्रैल के बीच अधिक होता है, क्योंकि इस दौरान चमगादड़ फल की तलाश में अधिक सक्रिय होते हैं.इसलिए इस दौरान संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.वर्तमान में निपाह वायरस के लिए कोई विशिष्ट उपचार या टीका नहीं है, लेकिन प्रारंभिक उपचार और सहायक चिकित्सा (उदाहरण के लिए, श्वसन सहायता) रोगी के ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
प्रभावित व्यक्तियों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना और लक्षणों की निगरानी करना आवश्यक है.इस बीमारी से बचने का एक तरीका यह है कि चमगादड़ द्वारा खाए गए फल या जूस खाने से बचें.
(डॉ,कबीरुल बशर,प्रोफेसर, शोधकर्ता, जंतु विज्ञान विभाग, जहांगीरनगर विश्वविद्यालय)